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लाठी पीटने की तर्ज पर उमरिया खनिज विभाग का अमला पहुंचा मझौली अवैध खदान की जांच में..!!

ठेका कंपनी के अवैध उत्खनन पर खनिज अधिकारी सुश्री फरहत जहां  की खामोशी कई सवालों को दे रही जन्म..!!


क्या खनिज विभाग की भांति ठेका कंपनी के रंग में रंगे उमरिया कलेक्टर..???


पहले तो नियमों की अनदेखी पर खामोश था विभाग, अब आंखों देखी मक्खी निगलने से भी नही गुरेज..!!


पुरानी कहावत है की आंखों देखी मक्खी निगली नहीं जाती लेकिन उमरिया का खनिज विभाग इस कहावत को भी पछाड़कर अलग कहानी लिखने में उतारू है... एक बात तो स्पष्ट प्रतीत हो रही है कि है कि ठेका कंपनी के मझौली में अवैध उत्खनन पर खनिज विभाग के अधिकारी कार्यवाही नहीं करेंगे लाजमी है कि उन्होंने लंबी पेशकश कंपनी से ले रखी हो पर सवाल यह भी उठता है कि क्या कलेक्टर भी खनिज विभाग की भांति सुनहरी रेत  रंग में रंगे हैं और क्या वरिष्ठ अधिकारियों को मझौली अवैध खदान में जांच के नाम पर बजाया गया झुनझुना दिखाई नहीं पड़ रहा है।

मीडिया हब शहडोल 

शहडोल /उमरिया। पूर्व मंत्री का रसूख है या नोटों के भारी बंडल जिनके आगे बेबस हुआ प्रबंधन और सांप निकालने के बाद लाठी पीटने की तर्ज पर खबर छपने के अगले दिन खनिज विभाग के अधिकारी मझौली खदान पहुंचे और जांच का झुनझुना बजाकर लौट आए कहने को तो उन्हें ना वहां मशीन मिली ना ही रेत से भरे  वाहन.. खैर हमारे सूत्र यह बताते हैं कि खनिज विभाग के जिम्मेदारों ने पहले ही ठेका कंपनी को सूचना दे दी थी कि हम जांच का झुनझुना बजाने आपकी अवैध खदान पर पहुंचेंगे जिसको लेकर कंपनी के कारिंदों ने हुंडई कंपनी की पोकलेन मशीन कुछ ही दूर जंगल में छिपा दी थी और वाहनों को मानपुर रोड में खड़ा कर दिया था, चलो माना कि खनिज अधिकारी फरहत जहां और उनकी टीम को मौके में मशीन व  वाहन नहीं मिले लेकिन अवैध खनन तो मौके पर मौजूद था मैडम चाहती तो उसे पर ही कार्यवाही कर देती गौरतलब है कि जीपीएस लोकेशन सहित तमाम जानकारी समाचार के माध्यम से हमारे द्वारा प्रकाशित की गई थी जिसमें गाड़ी नंबर मय टीपी और वही गाड़ी खदान से लोड होनी साफ तौर पर दिख रही है। 


अवैध खदान या बिका ईमान 


हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े-लिखे को फारसी क्या सब ने सुन रखा है खैर अब संभाग भर में चर्चा है कि कथित कंपनी ने मैनेजमेंट का ऐसा मकड़जाल फैलाया है कि खनिज अधिकारी कंपनी पर कार्यवाही नहीं करेंगी ऐसे में कार्यवाही की उम्मीद नवागत कलेक्टर से की जा सकती है खैर संभाग में भी शुक्रवार को कमिश्नर की पदस्थापना की गई है जिससे भी उम्मीदे बढ़ रही हैं, तो वही प्रत्यक्ष रूप से अवैध उत्खनन दिखाने के बाद भी खनिज विभाग का रवैया उदासीन होने के बाद अब संभाग में जन चर्चा  का विषय है की आखिर खनिज अधिकारी और अन्य जिम्मेदारों ने अपनी कुर्सी का क्या मोल ठेका कंपनी को लगाया है।


बॉस चुस्त,विभाग सुस्त 

मध्य प्रदेश की कमान मोहन यादव को मिलने के बाद विभिन्न घटनाओं में मोहन यादव ने तत्काल कड़े कदम उठाए हैं जिसके बाद कहीं ना कहीं अधिकारियों के मन में इस बात का भय है कि यदि लापरवाही हुई तो सी एम  मोहन की कार्यवाही का कहर उन्हें झेलना होगा, लेकिन उमरिया जिले में कहानी मानो उल्टी है खनिज अधिकारी कलेक्टर सहित विभिन्न प्रशासनिक अधिकारी को मानो प्रदेश के सुशासन और कम के कर की रत्ती भर भी परवाह नहीं और यह अपनी मनमानी पर उतारू है आलम ऐसा है कि खनिज विभाग सहित तमाम जिम्मेदारों को हटाकर कथित ठेका कंपनी के विभिन्न जी एम को अलग-अलग विभागों का प्रमुख बना देना चाहिए। कम शब्दों में कहा यह जा सकता है कि खनिज अधिकारी फरहत जहां और नवागत कलेक्टर को सीएम की कार्यवाही का कोई भय नहीं मानो प्रदेश में चलता होगा मोहन का कानून उमरिया तो कथित अधिकारी अपने जुगाड़ से ही चलाएंगे।

पार्टी की हो रही किरकरी

प्रतीत हो रहा है कि उमरिया में कार्यरत ठेका कंपनी अवैध उत्खनन को अंजाम देने के लिए किसी भी हद तक जाने को उतारू है ऐसे में ठेका कंपनी के अवैध उत्खनन पर भाजपा के पूर्व मंत्री का संरक्षण होने की चर्चा आम हो रही है तो वही नोट को बतौर पास कार्ड अथवा ट्रकों का पास बताया जा रहा है जैसे समाचार भी जमकर वायरल हो रहे हैं जिनके बाद यह बात तो स्पष्ट हो रही है कि उमरिया में दाल में काला नहीं पूरी दाल ही काली है, लेकिन जिस प्रकार से लोकसभा चुनाव सर पर है ऐसे में पूर्व मंत्री के नाम की चर्चा होना पूर्व मंत्री के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकती है।

नियमों की भी अवहेलना 


कथित ठेका कंपनी की मनमानी का आलम यह है कि कंपनी द्वारा अमलीहा खदान में खनिज विभाग के कायदों को तो धता बताया ही जा रहा है साथ ही एनजीटी के निर्देशों को भी साफ तौर पर धंज्जिया  उड़ाई जा रही हैं, कंपनी का रसूक इस कदर हावी है कि कंपनी के कहने पर शहडोल जिले से निकलने वाले ओवरलोड रेत के वाहनों की जांच तो होती है लेकिन उमरिया के खदान से निकलने वाले वाहनों को बे रोकटोक  हरी झंडी दिखाई जाती है, इसके अलावा खदान के भौतिक सत्यापन का मामला भी पूर्व में तूल पकड़ चुका है जिस पर भी खनिज विभाग की जमकर किरकिरी हुई लेकिन विभाग अपनी करगुजारी से बाज नहीं आ रहा है।

लाठी पीटने की तर्ज पर 


गौरतलब है कि हमारी टीम द्वारा मझौली खदान में अवैध उत्खनन का समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था उल्लिखित समाचार में जीपीएस लोकेशन युक्त फोटो भी संलग्न की गई थी हालांकि मौके से ही खनिज अधिकारी व उनकी टीम को संपर्क साधा गया था लेकिन कहीं फोन नहीं उठा तो कहीं जानबूझकर कार्यवाही ना करनी पड़े इस हेतु दूरी बनाना प्रतीत हुआ, बहरहाल जीपीएस लोकेशन युक्त अवैध उत्खनन के प्रमाण, खदान से लोड होने वाले गाड़ियों की ईटीपी सहित  अन्य प्रमाण होने के बाद भी खनिज विभाग  कार्यवाही के स्थान पर सिर्फ जांच का झुनझुना बजना प्रतीत हो रहा है की किसी प्रकार से प्रदेश में आदर्श आचार संहिता प्रभावित हो जाए और कार्यवाही ना करनी पड़े जबकि दस्तावेज और साक्ष्यो के आधार पर विभाग को जुर्माना और जप्ती कराने  को उचित कार्यवाही करनी चाहिए थी।



इनका कहना है 

समाचार छपने के बाद हम और मैडम टीम के साथ मझौली खदान गए थे वहा कुछ नहीं मिला, जीपीएस लोकेशन की फोटो आप हमे भेजें उसके आधार पर आगे की कार्यवाही की जायेगी।

दिवाकर चतुर्वेदी 
खनिज निरीक्षक,उमरिया 


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1 Comments

  1. खनिज अधिकारी के चश्मे का नम्बर बदलवाने लायक हो गया है, उनको दिन में भी नजर नही आता है, वैसे तो बहुत ईमानदार हैं।

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