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तो क्या एसआईएसएफ को सोनू नामक गुर्गे के मार्फत नहीं मिली पेशगी, तो आदिवासियों से की जवानों ने मारपीट..



झूठे मामले में फंसाए गए आदिवासियों को छुड़वाने और एसआईएसएफ के जवानों पर मुकदमा कराने की मांग को लेकर एनएच में चक्का जाम

लगभग दो दशक से ज्यादा समय हो चुका है जब से ग्रामीण बटुरा, बिछिया, बकही आसपास के क्षेत्र से गड्ढा सुरंग आदि बनाकर प्रतिदिन बोरी में कोयला निकलते हैं और उसे भरकर साइकिल में ले जाकर 120 रुपए बोरी के दर पर ढाबों में बेचते है, जहां एसआईएसएफ का कोई हस्तक्षेप आज तक नहीं था, एसआईएसएफ को एसईसीएल की कोयला खदानों की सुरक्षा हेतु तैनात किया गया है। अब इसमें दखल बताया जाता है किसी सोनू नामक युवक का की सोनू एस एसआईएसएफ के शहडोल और रीवा स्थित अधिकारियों से अच्छा संबंध रखता है और सोनू ही या निश्चित करता है की कार्यवाही हो या ना हो चर्चाओं के अनुसार कार्यवाही न करने की एवज में सोनू ग्रामीणों से वसूली भी करता था और इस वसूली का नतीजा है रविवार की सुबह कार्यवाही और अब ग्रामीणों का रोष, नेशनल हाईवे में लगा चकाजाम खैर हम चर्चाओं की पुष्टि नहीं करते लेकिन यह एक बड़ा जांच का विषय है।



गजेन्द्र परिहार

शहडोल। रविवार की सुबह जिले के अंतिम छोर पर शहडोल-अनूपपुर जिले की सीमा पर बसे ग्राम बटुरा, बकही, अटरिया, बिछिया के दर्जन भर ग्रामीणों के साथ एसईसीएल के सोहागपुर एरिया में तैनात एसआईएसएफ के जवानों के द्वारा अपने कार्य क्षेत्र से बाहर जाकर ग्रामीणों के साथ मारपीट करने और उन्हें अमलाई पुलिस के हवाले करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस पूरे मामले में अमलाई पुलिस द्वारा ग्रामीणों के खिलाफ कोयला चोरी का मामला दर्ज करना, पुलिस के गले की फांस बन गया है। वहीं एसआईएसएफ के जवान इस मामले में बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। दरअसल इस मामले में हुआ यह कि एसआईएसएफ ने दर्जन भर ग्रामीणों को कोयला चोरी करने के आरोप में कार्य क्षेत्र से बाहर जाकर पकडक़र पुलिस को सौंप दिया, अमलाई पुलिस ने आस-पास के कई ठीहों से लगभग 40 टन कोयला जब्त भी कर लिया, जिसके बाद गिरफ्तार किये गये ग्रामीणों के घरों की महिलाएं एवं अन्य ग्रामीण इस पूरी कार्यवाही के विरोध में सडक़ पर उतर आये।

एनएच पर चकाजाम

रविवार की दोपहर ग्रामीणों ने एनएच-43 को पूरी तरह से जाम कर दिया है। जिससे सडक़ के दोनों किनारे कई किलोमीटर तक जाम की स्थिति निर्मित हो गई है। ग्रामीणों ने वाहनों को वापस मोडऩे तक का मौका नहीं दिया, जिस कारण कई वाहन आड़े-तिरछे होकर सडक़ पर फंस गये, स्थिति यह रही कि दो पहिया वाहन भी सडक़ से नहीं निकल पा रहे थे। घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद अमलाई पुलिस मौके पर पहुंच गई है और खबर लिखे जाने तक ग्रामीणों को समझाईश दी जा रही है, अमलाई थाना प्रभारी जे.पी. शर्मा ने बताया कि ग्रामीणों का कहना है कि इस मामले में एसआईएसएफ के जवान जिन्होंने मारपीट की है, उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया जाये।


 

आखिर कौन है सोनू शुक्ला

इस पूरे मामले में एक नई जनरेशन निकलकर सामने आई है जिसमें सोनू शुक्ला नामक एक नाम निकलकर सामने आया है बताया जाता है कि यह सोनू शुक्ला जो की एसआईएसएफ के कमांडेंट रीवा और शहडोल के एसआईएसएफ के जवानों से अच्छे संबंध होने के पुष्टि के आधार पर बोरी में कोयला चोरी करने वालों से बड़ी रकम की मांग करता था, जन चर्चा के अनुसार बीच में ग्रामीणों द्वारा और बोरी में कोयला चोरी करने वाले आदिवासियों द्वारा चंदा करके लगभग ₹200000 की रकम कथित सोनू शुक्ला नामक व्यक्ति को सौंप गई थी जिस पर सोनू ने रेवा कमांडेंट बता कर एक युवक से 2 लाख की पेशगी की बात भी की थी।



तो क्या पैसों को लेकर कार्यवाही 

जन चर्चाओं की माने तो लगभग एक महापूर्व जब बोरी से कोयला चोरी करने वाले आदिवासियों ने चंदा करके सोनू के मार्फत रकम दी थी तो लगभग एक माह तक किसी प्रकार की कार्यवाही एसआईएसएफ के जवानों द्वारा नहीं की गई लेकिन कुछ समय बाद दोबारा रकम की मांग की गई और रकम न मिलने से नाराज होकर एसआईएसएफ के जवानों ने कहीं और का कोयला कहीं और बताकर झूठी कार्यवाही करते हुए आदिवासियों के साथ मारपीट की और कार्यवाही के नाम पर पुलिसिया कार्यवाही को अंजाम दिलाया जिसको लेकर अब आदिवासियों में रोस है और एसआईएसएफ के जवानों पर कार्यवाही की मांग की जा रही है।

इनका कहना है 

ग्रामीणों द्वारा एसआईएसएफ के जवानों पर मारपीट के आरोप लगाए जा रहे हैं एवं जवानों पर मामला कायम करने को लेकर नेशनल हाईवे में चक्का जाम लगाया गया है ग्रामीणों को समझाने पर चकाजाम हटवाने का प्रयास किया जा रहा है। 

जेपी शर्मा 

थाना प्रभारी अमलाई


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