गैराज बन सकता है कलेक्ट्रेट परिसर, बढ़ सकती हैं चुनौतियां
भोपाल ( कोबरा): दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हो या संविदा अनुबंध के तहत कार्य कर रहे लिपिक सब ने अपनी अपनी बात प्रशासन व सत्ता तक पहुंचाने के लिए अपने संगठन का गठन किया हुआ है जहां संगठन द्वारा सर्वसम्मति से चुने गए नेतृत्व द्वारा आलाकमान एवं प्रदेश सरकार ही नहीं केंद्र सरकार तक अपनी मांगे पहुंचाई जाती हैं किंतु मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र शहडोल में एक ऐसे संगठन ने जन्म लिया है जिससे निश्चित ही आगामी समय में जिला प्रशासन की चुनौतियां और भी गंभीर हो सकती हैं जी हां हम बात कर रहे हैं एक ऐसे यूनियन की जो अब तक भले ही दस्तावेजों में ना पहुंचा हो किंतु सोशल मीडिया के माध्यम से बैठक की जानकारी देते हुए जिला अध्यक्ष की औपचारिक घोषणा कर दी गई है। जिसमें लगभग 40 गांव के वाहन स्वामी शामिल है संगठन की प्रथम बैठक बुढार के खैरहा में आयोजित की गई। यह संगठन शहडोल ही नहीं अपितु प्रदेश के लिए एकदम नया है इसमें 40 गांव के वाहन स्वामियों द्वारा संगठन बनाया गया है यह वाहन सवारी ढोने वाले वाहन नहीं अपितु रेत और गिट्टी परिवहन करने वाले वाहनों के वाहन स्वामियों का है जिसका नाम मेटाडोर एसोसिएशन रखा गया है। खैरहा में आयोजित इस बैठक में संगठन का जिलाध्यक्ष कुलदीप पांडे उर्फ बंटी भैया को मनोनीत किया गया जो वाहन स्वामीयों की तरफ से जिला प्रशासन को अपनी समस्याओं से अवगत कराएंगे।
यूनियन बनाए जाने के ये हैं कारण
सोशल मीडिया में बैठक के संबंध में की गई पोस्ट के अनुसार रेत गिट्टी व अन्य खनिजों के घटते दामों को लेकर संगठन जिला स्तर पर प्रशासन को अपनी समस्याओं से अवगत कराएगा इसके अलावा पोस्ट में प्रशासन द्वारा बनाए जा रहे दबाव व की जा रही कार्यवाही ओं के संबंध में भी उल्लेख किया गया बताया गया कि यूनियन द्वारा जिला प्रशासन से औपचारिक तौर पर अपनी बात रख कर समस्याओं के निदान की मांग की जाएगी। ताकि वाहन स्वामी इस बेरोजगारी के दौर में समय पर वाहन की किस्त जमा करते हुए अपने परिवार का पालन पोषण कर सके।
जिला प्रशासन की बढ़ सकती हैं समस्यायें
प्राप्त जानकारी के अनुसार संगठन के गठन के बाद से ही जिला प्रशासन के आला अधिकारियों की समस्याएं दिन म दिन और बढ़ सकती हैं सोशल मीडिया में किए गए पोस्ट में इस बात का उल्लेख किया गया कि यदि औपचारिक वार्तालाप में कोई निष्कर्ष नहीं निकलता तो सभी वाहन स्वामी एकमत होकर अपने वाहन कलेक्ट्रेट परिसर में खड़ा कर वाहन की चाबी जिला प्रशासन के आला अधिकारियों को सौंप देंगे हालांकि इस बात की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है किंतु यदि ऐसा हुआ तो निश्चित ही जिला प्रशासन की चुनौतियां और भी प्रखर होगी।
औपचारिक वार्ता में छलका दर्द
हमारी टीम द्वारा एसोसिएशन के सदस्यों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस बेरोजगारी के दौर में वाहन स्वामी बड़ी मुश्किल से गाड़ी जी की भर पाते हैं साथ ही उसी कमाई में उन्हें अपने परिवार का पालन पोषण भी करना होता है वही रेत व अन्य खनिजों का मूल्य निर्धारित ना होने का खामियाजा भी वाहन स्वामियों को भुगतना पड़ता है । इसके अलावा प्रशासन द्वारा बनाए जा रहे दबाव की वजह से वाहन स्वामियों का परिवार की दाल रोटी चलाना भी मुश्किल हो रहा है।
मेटाडोर एसोसिएशन के नवमनोनित अध्यक्ष बंटी पांडे ने बताया कि अनिर्धारित मूल्य की वजह से वाहन स्वामियों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है इसके अलावा रॉयल्टी पर्ची व अन्य दस्तावेजों के बाद भी कार्यवाही का शिकार हुए वाहन स्वामियों को महीनों अपने वाहनों को छुड़ाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं वही प्रतिमाह भरी जाने वाली किस्त भरने के लिए जमीन जायदाद बेचने तक की नौबत आ जाती है श्री पांडे ने यह भी बताया कि एसोसिएशन का उद्देश प्रशासन की खिलाफत ना करते हुए परिवार का पालन पोषण कर रहे वाहन स्वामियों की बात प्रशासन तक पहुंचाना है। चर्चा के दौरान यह बात भी निकल कर सामने आई कि प्रशासन वह आम जनता की नजरों में मेटाडोर के वाहन स्वामियों की छवि माफियाओं के तौर पर गढ़ दी गई है। जो कि सही नहीं है तालाब की कुछ गंदी मछलियों की वजह से तालाब को गंदा कहा जाना सरासर गलत है यह जरूरी तो नहीं कि वाहन मैं परिवहन किया जा रहा खनिज अवैध ही हो।
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