एसपी की स्पेशल टीम ने खोली थाने के मिलीभगत की पोल
ऊपरी कमाई में मशगूल स्थानीय पुलिस, सट्टा जुंआ शराब और कबाड़ को अभयदान
इंट्रो : जिले के अंतिम छोर पर बसे बिजुरी और राजनगर ने अवैध कारोबार चरम में है इस बात की जानकारी बीते कई दिनों से मिल रही थी जिस पर दोनों ही थाना क्षेत्रों में हमारी टीम द्वारा स्थानी मुखबिर , अवैध कारोबारियों एवं स्थानीय लोगों के साथ मिलकर अवैध कारोबार कारोबार से प्राप्त रकम और वसूली भाइयों के संबंध में आंकड़े एकत्रित किए गए आंकड़ों के आधार पर बिजूरी नगर की स्थिति कुछ इस प्रकार है ।
शहडोल/ बिजुरी( कोबरा) अनूपपुर जिले के अंतिम छोर पर बसा बिजुरी नगर इन दिनों अवैध कारोबार का गढ़ बन चुका है जहां स्थानीय अवैध कारोबारी अंतरराज्यीय अवैध कारोबारीयों के साथ मिल कर नगर की अनमोल संपदा काले हीरे (कोयले ) की तस्करी छत्तीसगढ़ के विभिन्न ठीहो में कर रहे हैं। मध्य प्रदेश की सीमा पार करते ही कोयले से लदे इन वाहनों की संपूर्ण जिम्मेदारी जाफर एवं अन्य अपराधियों की होती है वहीं मध्य प्रदेश की सीमा से लगे विभिन्न थानों का मैनेजमेंट स्थानीय कारोबारी द्वारा ही किया जाता है। मैनेजमेंट के नाम पर बिजुरी थाने में प्रति वाहन ₹20000 नगद दिए जाते हैं जिसकी एवज में एक वर्दी धारी ,थाने की सीमा ट्रक अथवा वाहन पहुंचाने की जहमत उठाता है । पूर्व में थाने में पदस्थ थाना प्रभारी के दो खास सिपहसालारो को वसूली की जिम्मेदारी दी गई थी वहीं इन दिनों वसूली की जिम्मेदारी स्थानीय माफिया के हवाले ही कर दी गई है ।मोटू शाहिद को विभिन्न अवैध कारोबारियों एवम माफियाओं से वसूली कर अपना कमीशन काटते हुए रकम प्रभारी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दे दी गई है ।इस बात की जानकारी माफियाओं के बीच सक्रिय विशिष्ट सूत्रों के माध्यम से प्राप्त हुई इतना ही नहीं जिले में सबसे अधिक कमाई के थाने के नाम से जाने जाने वाला थाना इन दिनों अपनी कमाई में लगभग पांच लाख का इजाफा कर चुका है। इसका कारण है कि थाना क्षेत्र में अवैध रेत का परिवहन करने वाले वाहनों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है क्योंकि कालरी के कर्मचारियों को आवंटित मकानों में आंशिक सुधार का कार्य चल रहा है इसीलिए रेत माफियाओं ने थाना प्रभारी व उनके सिपहसलारो के साथ मिलकर प्रति वाहन ₹2000 की राशि निर्धारित कर दी है।
'एसपी स्पेशल टीम' ने खोली पोल
काफी समय से बड़े स्तर के कोल माफियाओं द्वारा कोयला स्मगलिंग की खबर लगातार जिले में चर्चा का विषय बनी हुई थी जिस पर स्थानीय पुलिस का खुला संरक्षण प्राप्त होने की वजह से बीते दिनों
जब पुलिस अधीक्षक को थाना क्षेत्र अंतर्गत दलदल वार्ड क्रमांक 7 में लगभग एक हजार बोरियों से अधिक कोयले के अवैध भंडारण की जानकारी मिली तो पुलिस अधीक्षक ने मामले को गंभीरता से लेते हुए विशेष टीम का गठन कर कार्यवाही हेतु निर्देशित किया विशेष टीम ने कार्यवाही कर लगभग 1000 बोरी कोयले को जप्त किया वंही कार्यवाही ने पुलिस से मिलीभगत की चर्चा को वास्तविक स्वरूप प्रदान किया।
हर अपराध की कीमत तय....
बिजुरी थाना क्षेत्र अंतर्गत सिस्टमैटिक वसूली की तर्ज पर हर अपराध की कीमत तय रखी गई है जिसमें लगभग डेढ़ सैकड़ा से अधिक ट्रैक्टरों से प्रतिमाह ₹2000 अवैध रेत खनन की एवज में लिया जाता है वहीं डोंगरिया, बइहाटोला एवं अन्य स्थानों पर अवैध रूप से पत्थर खनन करने वाले खनन माफियाओं से प्रति माह दस हजार की कीमत तय की गई है, इतना ही नहीं गोयनका नामक स्थानीय बड़े खनन माफिया से प्रतिमाह ₹25000 की मोटी रकम वसूल की जाती है इसके अलावा विभिन्न कार्यों एवं निजी उद्देश्य के लिए कथित खनन माफिया से बेगारी का काम भी लिया जाता है। इसके अलावा दीपक के ढाबे से शुरू होने वाला अवैध शराब व अहाते का खेल बिजली फाटक के समीप संचालित तमाम ढाबो से होता हुआ मोहाड़ा - डबल स्टोरी - माईनस कॉलोनी ,थानगांव, कोठी बहेरा बांध ,भक्ता भवानी बिजुरी लोहसरा कपिलधारा के रास्ते थाने में समाप्त होता हैं । मामले में विशेष बात तो यह है कि इन अहाता संचालकों को प्रत्यक्ष रुप से थाना अथवा थाना प्रभारी के पास रकम नहीं पहुंचाना पड़ता अपितु क्षेत्र में शराब ठेकेदार द्वारा कराई जा रही बेकारी की एवज में प्रतिमाह डेढ़ लाख रुपए जिम्मेदार के हवाले किए जाते हैं। हालांकि पहले या राशि कम थी अस्सी से बढ़कर एक लाख , फिर एक लाख 30 हजार और अंततः डेढ़ लाख तक राशि पहुंच चुकी है वहीं खपत के अनुसार रकम में उतार चढ़ाव होता रहता है।
यह है मुख्य कमाई का जरिया....
दो सैकड़ा वाहनों से प्राप्त प्रतिमाह प्रति वाहन ₹2000 में सिपहसालारो व वसूली भाई का कमीशन काट कर आका को पहुंचा दिया जाता है जिसमे सिर्फ ट्रैक्टर शामिल है किंतु वास्तविक कमाई का जरिया यह नहीं है सत्ता में लगभग 10 बड़े वाहन बड़े कोल माफिया अलीनगर का अली व नगर के प्रतिष्ठित सेठ के द्वारा प्रति वाहन बीस हजार सिपहसलारो को दिए जाते हैं इसके अलावा मोटू शाहिद टीपू एवं छोटे-मोटे कोल माफिया भी लगभग एक गाड़ी कोयला तो हर रात निकाल ही लेते हैं जिसमें मुनाफे का 40% शेयर जिम्मेदारों के पास पहुंचाया जाता है। वहीं प्राप्त जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा कमाई वाला यह भी भाग सबसे जिम्मेदार एस आई के हवाले किया गया है जिसने थाना में ही अवैध वसूली की पूरी ट्रेनिंग पीएसआई बनकर ले रखी है। कम ही समय में दो सितारा वाले छोटे साहब द्वारा अवैध कारोबारियों के बीच अच्छी पैठ जमा ली गई है इसका प्रत्यक्ष फायदा बड़े साहब छोटे साहब दोनों को मिल रहा है। वहीं कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि कुल वसूली का मात्र 50% ही बड़े साहब तक पहुंच पाता है बाकी तो हवलदार और एस आई एवम विशेष वसूली भाई आपस में बांट लेते हैं। वही रकम का कुछ भाग मोटू वसूली भाई के हिस्से में भी आता है। खाने की कमाई का एक जरिया और भी है जिसमें कोल माइंस में फर्जी दस्तावेजों के आधर पर नौकरी कर रहे कर्मचारियों की जानकारी कोल माइंस में नेतागिरी कर रहे नेताओं से ली जाती है फिर उनके नाम पर झूठी शिकायत कर जांच के बहाने मोटी रकम वसूल की जाती है यह रकम इतनी होती है कि कुल कमाई का 50% तो एक बार में ही मिल जाता है जिससे महीने की कमाई डेढ़ गुनी हो जाती है। यदि महीने में एक भी फर्जी नौकरी वाला कर्मचारी मिल गया तो उसका खून चूस कर कम से कम बीस लाख की वसूली की जाती है।वंही उक्त मोटी रकम के अलावा सट्टा , प्रतिमाह दी जाने वाली जुंए की विशेष परमिट के आड़ में कमाई निरंतर जारी रहती हैं।
आगे पढ़ें : कौन है सिपहसलार...... कौन कर रहा अवैध कारोबार नामजद पढ़े रिपोर्ट
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