जिनकी वाहवाही करते नहीं थकती थी जुबान, आज लेनदेन का आरोप लगा रहे ज्ञान
भोपाल( कोबरा): मध्यप्रदेश के शहडोल जिले का हर नेता अपना उल्लू सीधा करने में इस कदर उतारू है कि पार्टी के प्रति अपने कर्तव्य निष्ठा को दरकिनार कर अपने ही आलाकमान पर ऊल जलूल आरोप लगाने में जुटा हुआ है। शहडोल राजनीतिक इतिहास में भूचाल शब्द स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है ऐसा कोई चुनाव अब तक नहीं हुआ है जिसमें राजनीतिक समीकरण पेचीदे ना हुए हों।
ताजा तरीन मामला शहडोल लोकसभा क्षेत्र से सांसद ज्ञान सिंह का है जो अपने लोकसभा क्षेत्र से हाल ही में भाजपा की सदस्यता लेने वाली हिमाद्री सिंह टिकट देने से इस कदर नाराज है कि पहले तो उन्होंने हिमाद्री का चुनाव प्रचार ना करने की बात कही और उसके बाद स्वयं का निर्दलीय पर्चा दाखिल करने की बात मीडिया से रूबरू होकर बताइ मामला यही नहीं थमा उसके बाद तो नेता जी ने हद ही कर दी नेताजी बरसों से जिस पार्टी की सेवा में जुटे हुए थे उसी पार्टी के आला कमान पर आरोप लगाने लगे यदि मैन ले की ये आरोप सत्य हैं तो उपचुनाव के दौरान टिकट के लिए सांसद महोदय ने कितनी रकम पहुंचाई थी यह भी एक सवाल है।वंही अपनी ही पार्टी की साख पर बट्टा लगाना आगामी लोकसभा चुनाव की दृष्टि से पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है किन्तु जानकारों की माने तो सांसद महोदय का वित्त बैंक इतना नही की वे चुनाव में जीत या हार दिला सके फिर भी अपनी व्यक्तिगत भड़ास निकालने के लिए नेताजी मीडिया के मंच का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं।
टिकट बेचने का लगाया आरोप
मंगलवार को सांसद महोदय ने सिर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की थी जो कि दिन भर सोशल मीडिया में वायरल होता रहा वंही टिकट कटने से दुःखी नेता जी ने तो अगले दिन पार्टी के आलाकमान को भी आड़े हाथ लेते हुए बड़े बयान दे डालें सोशल मीडिया में वायरल हुए बयानों की मानें तो पार्टी आलाकमान ने करोड़ों रुपए लेकर हिमाद्री सिंह को टिकट भी है यही नहीं सांसद महोदय ने राज्यसभा सांसद को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जो पंच का चुनाव भी नहीं जीता ऐसे व्यक्ति को पार्टी ने राज्यसभा सांसद बनाया है गौरतलब है कि लोकसभा उपचुनाव के दौरान हिमाद्री सिंह व ज्ञान सिंह चुनावी रण में आमने-सामने रहे हैं । प्रदेश व केंद्र में भाजपा की सरकार होने के बाद भी लोकसभा उपचुनाव में टक्कर कांटे की रही है। स्टार प्रचारकों की झड़ी के बाद भी जीत का आंकड़ा काफी कम रहा है जिससे सांसद ज्ञान सिंह की लोकप्रियता व हिमाद्रि के वोट बैंक का अंदाजा लगाया जा सकता है।
'सांसद लापता' के बटे थे पर्चे
ज्ञान सिंह के अल्प कार्यकाल में ही संभाग में सांसद ज्ञान सिंह लापता के पर्चे सोशल मीडिया में जमकर वायरल हुए थे वहीं शहडोल से नागपुर ट्रेन के मामले में जब सांसद ज्ञान सिंह द्वारा कोई पहल नहीं की गई तो आम जनता में काफी रोष रहा, उसके बाद भी सांसद महोदय स्वयं के पास जनता बल होने की बात कह रहे हैं । मामला यहीं नहीं थमता जैसे ही लोकसभा चुनाव नजदीक आए तो चंद ट्रेनों की स्टॉपेज को लेकर सांसद महोदय ने स्वयं वह अपने चंद चाटुकारों के माध्यम से अपनी खूब वाहवाही क्षेत्र में करने का प्रयास किया जब जनता ने सांसद के कार्य की सराहना नहीं की तो अपने हिसाब से अपनी पीठ थपथपाने में भी सांसद महोदय ने कसर नहीं छोड़ी।
पुत्र को मिली विरासत में गद्दी
स्थानीय लोगों की माने तो सांसद ज्ञान सिंह का जनता बल मुट्ठी भर होने के बाद भी लोकसभा उपचुनाव के बाद बांधवगढ़ विधानसभा की रिक्त हुई सीट पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा सांसद पुत्र शिव नारायण सिंह को विरासत में भारतीय जनता पार्टी से टिकट देकर पूरा बल लगाते हुए विजय कराया गया इसके बाद भी इस उम्र में सांसद जी टिकट कटने के गम में अपने ही आलाकमान जिनकी कभी वाहवाही करते सांसद जी की जुबान नहीं सकती थी उस पर आरोप लगाने में जुटे हुए हैं। प्रश्न तो यह भी उठता है कि यदि भारतीय जनता पार्टी में टिकट सिर्फ पैसों के बलबूते मिलती है तो स्वयं को धनबल से कमजोर बताने वाले सांसद ज्ञान सिंह ने अपने पुत्र शिव नारायण सिंह को टिकट दिलाने के लिए कितने करोड़ की चडहोत्री आलाकमान को पहुंचाई थी ,यही नहीं लोकसभा उपचुनाव के दौरान भी लगभग आधा दर्जन उम्मीदवार टिकट के लिए अपनी दावेदारी दर्ज करा रहे थे ऐसे में उन्हें टिकट मिलना क्या मामले में धनबल का हावी होने का परिचायक रहा।
इनका कहना है
सांसद ज्ञान सिंह मेरे लिए पिता तुल्य हैं, मैं उनका काफी सम्मान करती हूँ । एक पिता का अपने पुत्री से नाराज होना कोई बड़ी बात नही वे मेरा समर्थन करें न करें मेरे लिए सदैव पिता तुल्य रहेंगे।
हिमाद्रि सिंह
लोकसभा उम्मीदवार, बीजेपी शहडोल
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