महज खोखले अल्फाज साबित हुए 'आदर्श आचार संहिता' व 'निष्पक्ष चुनाव' जैसे शब्द
शहडोल (कोबरा): संभागीय मुख्यालय में आदर्श आचार संहिता व स्थानांतरण नीति का जमकर माखौल बनाया जा रहा है और जिम्मेदारों ने इस पर चुप्पी साध रखी है। कई वर्षों से शहडोल जिले में पदस्थ अधिकारियों की राजनीतिक पकड़ मजबूत होने की वजह से निर्वाचन आयोग का शिकंजा अधिकारियों पर नहीं कसा जा रहा है। बात धनपुरी नगरपालिका में पदस्थ सीएमओ रवि करण त्रिपाठी की जाए या बैगा विकास परियोजना के समन्वयक प्रयास कुमार प्रकाश की मामला हर जगह एक जैसा ही है, कथित अधिकारी अपनी राजनीतिक पकड़ के बलबूते शहडोल में अपनी जड़े जमा हुए हैं यही नहीं अपने आधिकारिक वोट बैंक का जमकर इस्तेमाल अपने पसंदीदा नेता के लिए करते हैं हमाम में सिर्फ यही नहीं हैैं मत्स्य विभाग में पदस्थ संतोष चौधरी और पीआई यू व पी डब्लू डी तक स्थानांतरण में सीमित करण सिंह भी इसी श्रेणी में आते हैं । यही नहीं शहडोल जिले में एक अरसे से अपनी सेवा दे रहे आर्यस में पदस्थ इंजीनियर सुरेंद्र सिंह का कांग्रेस से विशेष मोह बताया जाता है । ऐसा ही कुछ हाल नपा मेंं पदस्थ करोड़पति इंजीनियर का भी है । निष्पक्ष चुनाव आदर्श आचार संहिता की माला जपने वाले निर्वाचन अधिकारियों को यह समझ ही नहीं आता की स्थान्तरण नीति के अनुसार आदर्श आचार संहिता को मद्देनजर रखते हुए कथित कर्मचारियों अधिकारियों का पद स्थापना जिले के बाहर की जानी चाहिए।
वर्मा जी और वर्मा जी का जुगाड़
लगभग डेढ़ दशक से भी अधिक समय से नगर पालिका शहडोल में पदस्थ इंजीनियर बृजेंद्र वर्मा की गिनती शहडोल के चंद अमीर लोगों में होने लगी है। करोड़ों के बंगले में रहने वाले साहब के राजनीतिक संबंध इतने प्रखर है कि हितग्राहियों का अमूल्य मत अपनी इच्छा अनुसार अपने चहेते राजनेताओं को दिलाते हैं यही नहीं जनता को यह भी है कि दल दलने में माहिर वर्मा जी भाजपा शासनकाल में भाजपा के कुछ नेताओं के साथ बताए जाते थे वहीं जैसे ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई तो इंजीनियर साहब ने नपा उपाध्यक्ष का दामन थाम लिया इतना ही नहीं तत्कालीन शहडोल कलेक्टर श्री मति अनुभा श्रीवास्तव द्वारा कई बार कार्यवाही हेतु नगर पालिका सीएमओ एके तिवारी को निर्देश दिए गए थे। किंतु इन निर्देशों को साहब ने ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया। सूत्रों की मानें तो इस पूरे मकड़जाल में इंजीनियर साहब ने सीएमओ समेत अन्य उच्चाधिकारियों पर मोहनी का जाल फेक रखा है,किन्तु यह मोहनी तंत्र-मंत्र वाली नहीं हरे वा गुलाबी नोटो वाली है।
घंटो तक व्यस्त रहे निर्वाचन अधिकारी
एक ओर जहां जिला मुख्यालय में आदर्श आचार संहिता की धज्जियां उड़ाई जा रही है ,वर्षों से पदस्थ अधिकारी अपनी कुर्सी का भरसक प्रयोग पार्टी विशेष को फायदा दिलाने के लिए कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर इस संबंध में जानकारी देने के लिए कई बार जिला निर्वाचन अधिकारी शहडोल से संपर्क करने का प्रयास हमारी टीम द्वारा किया गया किंतू साहब ने मामले के संबंध में अपनी प्रतिक्रिया देना उचित नहीं समझा जिससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि आदर्श आचार संहिता को लेकर जिला प्रशासन कितना सख्त है
।
इनका कहना है ।
इस संबंध की जानकारी आप हमें मेल के माध्यम से उपलब्ध कराएं तथा संबंधित जानकारी जिला निर्वाचन अधिकारी को भी दें।
बसंत प्रताप सिंह
निर्वाचन आयुक्त ( मध्यप्रदेश)
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