हिमाद्री के लिए आसान साबित हो सकता है चुनावी रण तो प्रमिला को जीत के लिए करनी पड़ेगी कड़ी मेहनत
शहडोल ( कोबरा- राजनीति) : शहडोल लोकसभा चुनाव का द्वंद बहुत ही रोमांचक हो चला है भाजपा व कांग्रेस के दोनों ही प्रत्याशी अपना-अपना पाला बदलकर चुनावी रण में शामिल हो चुके हैं। एक ओर हाल में ही कांग्रेश छोड़कर भाजपा में शामिल हुई श्री मती हिमाद्री सिंह को भारतीय जनता पार्टी से लोकसभा शहडोल का उम्मीदवार घोषित किया गया, वहीं दूसरी ओर भाजपा से जयसिंह नगर विधानसभा की पूर्व विधायक प्रमिला सिंह ने विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट ना देने से नाराज होकर कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया था उन पर कांग्रेस ने भरोसा जताया है माजरा कुछ ऐसा है कि जीत का फैसला फूल छाप कांग्रेसी और पंजा छाप भाजपाई के बीच होना है । ऐसे में कार्यकर्ता बेचारा परेशान है कि कल तक जिन की वाहवाही करते जुबान नहीं थकती थी आज आखिर उसका विरोध करे तो करे कैसे। हालांकि यह समस्या ज्यादा कांग्रेसी उम्मीदवार प्रमिला सिंह के मामले में सटीक बैठ रहा है क्योंकि श्री मती प्रमिला सिंह में काफी लंबे समय से भाजपा में रहकर पार्टी के लिए कार्य किया था।
जबकि हिमाद्री को राजनीति अपनी माता से विरासत में मिली है या यूं कहा जाए कि श्री मति हिमाद्री का कांग्रेश कार्यकाल भी काफी कम समय का ही रहा है ,हालांकि पारिवारिक रूप से हिमाद्री भी कांग्रेश से जुड़ी रही है। किंतु हिमाद्री की लोकप्रियता उस की व्यक्तिगत रूप से सभी से जुड़ी होने की वजह से वोट बैंक आज भी 20% के लगभग ही प्रभावित हुआ है। जबकि भाजपा से विधायक रहे श्रीमती प्रमिला सिंह के लिए यह समस्या विकट साबित हो सकती है।
टिकट कटने पर थामा था कांग्रेस का दामन
उल्लेखनीय है कि जयसिंह नगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रही श्री मति प्रमिला सिंह ने बीते विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट कट जाने से नाराज होकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था।किन्तु पार्टी से लंबे समय तक जुड़े रहने की वजह से आज भी उनकी छाप भाजपाई ही है। यही नही स्थानीय लोगों की माने तो विधायक के कार्य काल के दौरान जयसिंह नगर क्षेत्र की जनता में तत्कालीन विधायक श्रीमती प्रमिला सिंह को लेकर काफी असंतोष व नारजगी रही है, टिकट कटने से नाराज श्रीमती प्रमिला सिंह ने पार्टी आलाकमान को पत्र लिखकर नाराजगी भी जाहिर की थी उसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में श्रीमती प्रमिला सिंह में भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था और अपने विधानसभा क्षेत्र में जमकर पार्टी प्रत्याशी का विरोध भी किया था ।
किसके पाले में विजय श्री की ' गेंद'
लोकसभा चुनाव में विजय श्री की गेम किसके पाले में जाएगी यह तो आने वाला चुनाव ही बताएगा लेकिन एक बात निश्चित तौर पर कही जा सकती है कि शहडोल के जैतपुर व जयसिंह सिंह नगर एवं अनूपपुर के कोटमा से विधायक रहे हिमाद्री के चाचा ससुर जय सिंह मरावी की लोकप्रियता का फायदा प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से हिमाद्री को मिलेगा इतना ही नहीं जयसिंह की हर चुनावी जंग मे सारथी बनकर रथ संभालने वाली टीम के अनुभव का फायदा जीत की गेंद हिमाद्रि के पाले में ले जाने में सहायक साबित हो सकती है। वहीं दूसरी ओर जिला कांग्रेस कमेटी के दो गुटों की फूट जीत के लिए नासूर साबित हो सकती है, 2016 के उपचुनाव के दौरान जिले ही नहीं संभाग में कांग्रेस की स्थिति कुछ और ही थी जिसका फायदा प्रत्यक्ष रुप से हिमाद्री को मिला था किंतु दो गुटों में बटे जिला कांग्रेश का नुकसान निश्चित ही चुनाव में भुगतना पड़ सकता है, ऐसे में फूल छाप कांग्रेसी होने की मोहर भी जनता के बीच नकारात्मकता का परिचायक सिद्ध हो सकती है।
सिटिंग एमएलए की काट दी थी टिकट...!
जयसिंह नगर सिटिंग एमएलए का टिकट काटकर जयसिंहनगर विधानसभा क्षेत्र में जैतपुर के सिटिंग एमएलए को टिकट देकर चुनाव लड़वाना एवम सिटिंग एमएलए के विरोध के बाद भी बाहर के प्रत्याशी का भारी मतों से विजई होने से पूर्व विधायक की लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि टिकट कटने का कारण तो पार्टी आलाकमान ही जाने लेकिन जन चर्चाओं की माने तो क्षेत्र के तमाम विकास कार्यों जनता के सुख-दुख में तत्कालीन विधायक की अनुपस्थिति की वजह से क्षेत्र की जनता में विधायक के प्रति काफी रोष कहां है जिसको देखते हुए पार्टी आलाकमान ने सिटिंग एमएलए की टिकट काट दी वहीं जानकारों की माने तो तत्कालीन विधायक प्रमिला सिंह की घटती लोकप्रियता व मिलनसार स्वभाव ना होना टिकट कटने का प्रमुख कारण बताया जा रहा है। इसके अलावा यह भी बताया जाता है कि आम जनता तो दूर की बात है विधायक का रवैया मीडिया कर्मियों व समाजसेवियों के प्रति भी कुछ खास नहीं रहा है।
आगे पढ़िए....
⇒ क्यों कटी थी सिटिंग एमएलए की टिकट.......
⇒भाजपा ने क्यों जताया हिमाद्रि पर भरोसा.....



0 Comments