कलेक्टर परिसर में मौजूद रहे तमाम विभाग के अधिकारी, घंटो तक चली बैठक
शहडोल (कोबरा) : जिले ही नहीं पूरे प्रदेश में इस बात की चर्चा है कि लोकसभा चुनाव भाजपा बनाम प्रशासन हो रहा है, इस चर्चा पर शंका की एक और मोहर तब लगी जब रात के अंधेरे में दस बजे गुपचुप तरीके से शहडोल जिले के पालक प्रभारी मंत्री ओमकार सिंह मरकाम चंद लोगों की उपस्थिति में कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे जहां जिले के तमाम विभागों के आला अधिकारी पूर्व से ही मौजूद रहे। परिसर में मौजूद कुछ कर्मचारियों व बाबुओं से जब प्रभारी मंत्री के बैठक के संबंध में पूछताछ की गई तो उन्होंने दबी जुबान में आनाकानी करते हुए प्रभारी मंत्री का बैठक में व्यस्त होना बताया , हालांकि बैठक लेने की बात से मंत्री जी ने साफ तौर पर इंकार कर दिया। कलेक्ट्रेट परिसर में व्याप्त रही चर्चा के अनुसार आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को प्रशासन का पुरजोर सहयोग मिले इस हेतु प्रभारी मंत्री स्वयम तमाम विभाग के अधिकारियों की बैठक ले रहे थे इतना ही नहीं यह प्रयास भी किया जा रहा था कि हितग्राहियों का अमूल्य कांग्रेस के पक्ष में ही जाए।
प्रभारीमंत्री से चंद सवाल जवाब....
रात के अंधेरे में गुपचुप तरीके से प्रभारी मंत्री ओमकार सिंह मरकाम व जिले के तमाम विभाग के आला अधिकारियों व कलेक्ट्रेट परिसर में मौजूदगी संदेहास्पद प्रतीत हो रही है वहीं इस संबंध में जब कोबरा न्यूज़ की टीम द्वारा प्रभारी मंत्री से सवाल जवाब किए गए तो मंत्री जी ने स्वयं को कलेक्ट्रेट परिसर में चल रही बैठक से पूर्णतः परे बताते हुए स्वयं को 23 अप्रैल को होने जा रही राहुल गांधी की आम सभा की अनुमति हेतु कलेक्ट्रेट परिसर में मौजूद होना बताया। वहीं तमाम कार्यकर्ताओ व पदाधिकारीयों का जिले में मौजूद होने के बाद भी प्रभारी मंत्री जी का स्वयं अनुमति हेतु कलेक्ट्रेट पहुंचना संदेहास्पद है उक्त प्रश्न के उत्तर में प्रभारी मंत्री ने स्वयं को भी पार्टी कार्यकर्ता बताते हुए प्रश्न टाल दिया।
तो क्या पदाधिकारी इस काबिल नहीं....
जब रात के अंधेरे में अधिकारियों व प्रभारी मंत्री के कलेक्ट्रेट परिसर में मौजूदगी का प्रश्न उठाया गया तो मंत्री जी ने आगामी आम सभा कार्यक्रम के लिए अनुमति लेने हेतु स्वयं को कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंचना बताया हालांकि इस बात में संशय की एक रही है कि कांग्रेस के जिला अध्यक्ष व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों के मौजूद होने के बाद भी ऐसी कौन सी अनुमति थी जो सिर्फ प्रभारी मंत्री जी के आने पर ही मिलती।
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चेम्बर से निकलते प्राभारी मंत्री |
तो क्या रही निर्वाचन अधिकारी की भूमिका...
जिले में व्याप्त जन चर्चा की माने तो पहले ही जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर ललित दाहिमा पर कांग्रेसका थप्पा लग चुका है वही रात के अंधेरे में प्रभारी मंत्री व विभाग के अधिकारियों का कलेक्ट्रेट परिसर में मौजूद रहना जिला निर्वाचन अधिकारी की कार्यशैली पर भी प्रश्न का कार्य कर रहा है। सूत्रों की माने तो स्वयं निर्वाचन अधिकारी के निगरानी में यह बैठक आयोजित की गई थी जिसमें प्रभारी मंत्री भी मौजूद रहे जो कि चुनाव में कांग्रेस को प्रशासन का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो सके।
नहीं रहा मंत्री जी का काफिला मौजूद...
प्रश्न तो यह भी उठता है कि देर रात प्रभारी मंत्री की मौजूदगी और जिले में इस बात की भनक ना होना आदर्श आचार संहिता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है यही नहीं मंत्री जी के साथ मात्र सुरक्षा गार्ड व एक व्यक्ति ही मौजूद रहा तो क्या सैकड़ों कार्यकर्ता जिले में कांग्रेस के प्रचार में व्यस्त हैं क्या उनका मंत्री जी से मोह भंग हो चुका है। या फिर ऐसी कौन सी खुफिया बैठक कलेक्ट्रेट कार्यालय में चल रही थी जिससे पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को भी वंचित रखा गया यह भी एक बड़ा प्रश्न है।
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