शहडोल (कोबरा-टेढी बात) : बोलूंगा तो बोलोगे कि बोलता है लेकिन थोड़ा बोलने और पोल खोलने में कोई हर्ज भी नहीं भाजपाइयों का नारा है कि मोदी है तो मुमकिन है लेकिन आलम नगर ही नहीं पूरे संभाग के ऐसे हो चुके हैं कि अगर सारथी भाईजान जैसा कुशल हो तो हर गाड़ी से वसूली मुमकिन है, इस मुश्किल कार्य को मुमकिन करने का हुनर सिर्फ भाईजान को ही आता है कैप्सूल से पांच हजार, ट्रांसपोर्ट से दस हजार प्रति माह की वसूली कर साहब के साथ बराबर की हिस्सेदारी करने वाले भाईजान दिखने में भले आम दिखे लेकिन तीनो जिले की वसूली का ठेका इन्होंने ही ले रखा है। चाँद भाई पर टिके बिना सितारा वाले सारथी के वसूली के इस कारोबार की जड़े इस कदर फैली हुई है, कि सिर्फ इसकी वसूली ही सूबे के मुखिया के तनख्वाह की दस गुनी से भी ज्यादा है, लेकिन बेईमानी के इस काम में ईमानदारी रखने वाला सारथी अपने आका के साथ पूरी रकम का बंदर बांट करता है अब जब मामला टेलीवीजन तक पहुंचेगा तब साहब की बड़े साहब के सामने खोखली दलीलों की धज्जियां उड़ने पर माजरा देखने लायक होगा हालांकि काम तो गंदा है पर यह सारथी - और साहब के बीच का धंधा है ।
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