लो भाई खुली किताब हो गई बंद कमरे की जनसुनवाई और जनसुनवाई की गंभीरता...
इंट्रो : हे भगवान मेरे शहडोल को क्या हो गया है जंहा धीरे-धीरे प्रशासनिक व्यवस्थाएं बोलने लगी है अभी कुछ ही दिनों पहले ही निर्वाचन आयोग ने एक मामले को लेकर तत्कालीन कलेक्टर ललित दाहिमा को शहडोल से स्थानातरित कर दिया था और अब जब साहब की वापसी हुई तो अधिकारी है कि उनके मन मे साहब के काम को लेकर गंभीरता ही नही है । प्रभार लेने के बाद से ही कलेक्टर महोदय जन जन तक पहुंच कर अपनी न सिर्फ छवि को बेदाग करने के प्रयास में जुटे हैं बल्कि कड़ी धूप में दूरदराज के क्षेत्र तक पहुंच कर लोगो की समस्या का निवारण कर रहे हैं ।वंही जन सुनवाई के दौरान मौजद एक अधिकारी इन सब से परे कलेक्टर की बातों को अनसुना कर पूरे टाइम मोबाइल में वीडियो गेम खलने में मशगुल रहे ।
शहडोल(कोबरा) : कलेक्टर ललित दाहिमा को पुनः शहडोल का चार्ज लिए हुए लगभग एक सप्ताह ही बीता है कि प्रशासनिक कार्यशैली को लेकर सवाल फिर मुखर होने लगे। जहां कलेक्टर कड़ी मेहनत कर लोगों की समस्या का निवारण कर रहे थे वहीं दूसरी ओर निर्देशो को लेकर हामी भर रहा एक अधिकारी का पूर्णतः ध्यान अपने गेम में था । अब सवाल यह उठता है की कलेक्टर के सामने इस प्रकार गंभीर मुद्दों के बीच ऐसी लापरवाही या तो साहब की सभा मे अनुशाशन की कमी की वजह से थी या सम्भव है कि कथित अधिकारी को लोगों की समस्या से सरोकार ही नही या फिर कलेक्टर सभागार के अनुशासन भंग होने का डर नही। सरकार की अति महत्वाकांक्षी जन सुनवाई का पालन करते हुए शहडोल कलेक्टर ललित दाहिमा कलेक्ट्रेट कार्यालय के सभागार में जिले के सभी अधिकरियो के साथ बैठ समस्या लेकर आए लोगो की वन टू वन चर्चा कर वहां मौजूद अधिकरियो से निराकरण करा लोगो को राहत देने का काम कर रहे थे ,
तभी वहां मौजूद आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी आर .के श्रुति जन सुनवाई में पूरे टाइम अपने मोबाइल पर वीडियो गेम खेलते नजर आए , वे गेम खेलने में इतने मसगूल थे की उन्हें यह भी नही पता चला की मीडिया की तीसरी आँख उनकी इस हरकत को कैमरे में कैद कर रही है ।उनसे संबंधित समस्या लेकर लोग उनके पीछे खड़े उनके वीडियो गेम खत्म होने का इंतजार करते रहे कि कब उनका जेम खत्म हो तो वे उनकी बात सुने , लेकिन महोदय तो अपने गेम में वयस्त रहे.......।
सफाई देते नजर आये खिलाड़ी साहब...!
वही जब इस मामले में उनसे इस लापरवाही के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कमरे से अपना चेहरा छुपाते हुए पहले तो मोबाइल पर गेम खेलने से मना कर दिया , लेकिन जब उन्हें हकीकत से अवगत कराया गया तो उनका नजरिया ही बदल गया यह कहते हुए की अभी ही थोड़ा देर पहले खेलना शुरू किया हु । मोबाइल में गेम खेलना कोई गुनाह तो नहीं है किंतु जहां एक और साहब पीड़ितों के शिकायत का निवारण में लगे हुए हैं और संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी कर रहे हैं ऐसे गंभीर माहौल में साहब के नजरों के सामने टेबल के नीचे मोबाइल रखकर गेम खेलना कितना जरूरी रहा होगा इस बात का अंदाजा आप लगा सकते हैं। कलेक्टर जिसे जिले का मुखिया कहा जाता है उनके दरबार में इस प्रकार की लापरवाही कथित अधिकारी की मनमानी, व बुलंद हौसलों का परिचायक बन रही है की उन्हें किसी बात का भय नहीं है ।
इनका कहना है
जानकारी आपके माध्यम से संज्ञान में आई है आप मुझे साक्ष्य भेजे मैं दिखवाता हूँ ।
ललित दाहिमा
कलेक्टर शहडोल


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