शहडोल (कोबरा-टेढ़ीबात): अब बोलूंगा तो बोलोगे कि बोलता है लेकिन थोड़ा बोलने और पोल खोलने में कोई हर्ज नहीं है रेत की नीति भले ही नहीं आ गई हो पर जुगाड़ तो अभी भी पुराना ही चल रहा है। पोंडी की रेत पानी-पानी क्या हुई 15 सो रुपए पर गाड़ी का तो जुगाड़ ही फेल हो गया। लेकिन कहते हैं ना ऊपरवाला एक दरवाजा बंद करता है तो दूसरा दरवाजा भी खोलता है और फिर क्या दूसरा दरवाजा खुल गया बुढ़वा के तिवारी और शहडोल वाले लोकप्रियता के भूखे साहब की डील तय हो गई। हालांकि इसमें अन्य मैनेजमेंट को अलग रखा गया है लेकिन हिदायत साफ-साफ यही दी गई है की मीडिया में आएगा तो पैसा मम और काम बंद हो जाएगा। सुना तो यह भी है कि मैनेजमेंट का ठेका भी मुख्यालय में ही दे दिया गया है पर अपने को क्या जो सच है वो खुल के सामने आएगा, जो जैसा बोयेगा वैसा ही पायेगा बांकी कल से कारोबार जोरो पर रहेगा,और कोबरा खरी-खरी कहेगा। बांकी कहासुनी माफी,अभी के लिए इतना काफी, रात बांकी बात बांकी।
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