*कोयलांचल में खुशी की लहर या फिर संगठन में फुट की सुनामी..*
भाजपा पार्टी के आलाकमान किस करवट बैठेंगे यह कहना तो बहुत मुश्किल है किंतु एक बार फिर पार्टी के जिला अध्यक्ष की गद्दी कोयलांचल के हवाले किए जाने की खबर प्राप्त हो रही है ऐसे में मुख्यालय के नेताओं का हौसला जरूर पस्त होगा लेकिन कोयलांचल में खुसी की लहर फिर एक बार दौड़ेगी ।_
शहडोल : जिला अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पार्टी में बीते दो माह के दावेदारी का खेल चालू था जिस पूर्णविराम लगभग 2 दिनों पहले रायशुमारी के बाद लगा जब जिला अध्यक्ष के दावेदारों ने अपने-अपने आकाओं की चौखट छोड़ दी और पार्टी हाईकमान के आदेश का इंतजार करने लगे। और अब फैसले की घड़ी नजदीक आ चुक है और तमाम दावेदारों की धड़कन बढ़ने लगी हैं गिरधर प्रताप सिंह जैसे वरिष्ठ बेदाग नेता का उम्र की वजह से दावेदारी से किनारे होना निश्चित ही जिला मुख्यालय के तमाम प्रबल दावेदारों के लिए सकारात्मक रही और इसका फायदा एक बार फिर जिले के कोयला जल को मिलने जा रहा है । सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के ट्रांसपोर्ट नगरी बुढार से जिला अध्यक्ष के दावेदार दौलत मनवानी की मेहनत सार्थक हुई और दिल्ली भोपाल का जोर भी काम आया जिससे आगामी कुछ ही घंटों में होने जा रही घोसड़ा में जिला अध्यक्ष की कमान सौंपी जाएगी प्राप्त जानकारी के अनुसार कथित नेता के चहेतों ने तो इसका जश्न मनाना भी शुरू कर दिया है और निश्चित नहीं उसका फायदा ट्रांसपोर्ट नगरी और कोयलांचल को भी मिलेगा।
ट्रांसपोर्ट नगरी का होगा विकास*
दौलत मनवानी के जिला अध्यक्ष बनने से निश्चित ही ट्रांसपोर्ट नगरी और कोयलांचल में संगठन मजबूत होगा जिसका फायदा निकट भविष्य में हाल जिला अध्यक्ष श्री छाबड़ा को धनपुरी नगरपालिका चुनाव में भी देखने को मिल सकता है लेकिन यह चुनाव कहीं ना कहीं बड़े प्रश्न खड़े खड़ा करता है किंतु इस घोषणा से निश्चित ही खुशी की लहर ट्रांसपोर्ट नगरी में देखने को मिलेगी हालांकि वर्तमान जिला अध्यक्ष भी कोयलांचल से ही थे।
मुख्यालय की उपेक्षा पड़ सकती है भारी..
कुछ लोगों की माने तो दौलत का चुनाव एक अच्छा चुनाव है लेकिन वहीं कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि संगठन में सिर्फ दौलत की ही तूती बोलती है... अब इसमें कितनी सच्चाई है कि चुनाव रायशुमारी से संपन्न हुआ है या दौलत से किंतु भाजपा संगठन में एक बार फिर मुख्यालय के वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा की है क्योंकि और प्रबल दावेदार व भावी जिला अध्यक्ष मुख्यालय से हो सकता था किंतु संगठन को यदि एक बार फिर मुख्यालय के ब्राम्हण नेताओं से दूरी बनाकर जिला अध्यक्ष का चयन करना ही था तो बेदाग छवि के कमल प्रताप सिंह भी भाजपा के लिए अच्छा विकल्प हो सकते थे ।
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