एक अध्यक्ष पति तो दूसरा बड़े भाजपा नेता का साला....जिन्होंने मिलकर पार्टी का नाम बेच डाला
इंट्रो- अब इसमें तो कोई शंका नही की प्रभारी मंत्री जी ने जो प्रेस कांफ्रेंस कर माफिया मुक्त का झुनझुना बजाया था और प्रशासन ने इस पर ताली बजाई थी सब महज औपचारिकता थी । और तो और अवैध खनन को मुद्दा बनाकर चुनाव जीतने वाले विधायक शरद की चुप्पी से मिलीभगत की बू आ रही है। इधर बोद्धिया से रोजाना सैकड़ो हाइवा रेत निकालना और रसपुर के लिए विधायक जी का पत्राचार....। बांकी आप खुद समझदार है और इधर जब अध्यक्ष पति का पेट नपा से नही भरा तो पुष्प के नाम को भी मलीन कर शत्रु-घन मीटर का हिसाब लगाने लगा और बुढ़वा में कहावत सारी खुदाई एक तरफ जोरु का भाई एक तरफ फिर चरितार्थ हुई।शहडोल(कोबरा) । अब तो ऐसा लगने लगा है कि जिले की तमाम नदियों को स्वयं कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंच कर साहब बचाओ, साहब बचाओ की गुहार लगानी पड़ेगी। क्योंकि ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जिस प्रकार केन्द्रीय स्तर के भाजपा नेता के साले साहब तीन तीन पोकलेन मशीन लगाकर कई सैकड़ा हाइवा रेत प्रतिदिन रीवा, इलाहाबाद, फूलपुर, घूरपुर, सतना भेजी जा रहीं है और जिम्मेदार हैं कि माफिया मुक्त जिले की माला फेर रहे हैं।
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हाले-रशपुर |
रसपुर की लाठी बोद्धिया की भैंस...
कहीं की टीपी कहीं की रेत माफिया चर रहे प्रशासन के खेत जैसा हाल इन दिनों जिले में है। उच्च स्तर की पहुंच का फायदा उठा कर दिल्ली में बैठे जीजा ने भोपाल फोन क्या घुमाया झांपर नदी का रसपुर घाट ग्रामपंचायत की रसपुर रेत खदान बन गई। अब रसपुर तक पहुंच मार्ग दुर्गम जो था तो माफियाओं ने रसपुर की टीपी से बनास नदी का सीना छलनी करना शुरू कर दिया। अब हाल ऐसे हैं कि रसपुर से रेत बिना टीपी ट्रैक्टरों में निकल कर लोकल बेची जा रही है। और रसपुर की टीपी से रेत उत्तरप्रदेश और रीवा भेजी जा रही है।
एक बड़े नेता का साला तो दूसरा....
... चोर चोर मौसेरे भाई, मलाई मिलकर खाई, किए कितने घोटाले वाह रे चिकने चोटाले....यह पंक्तियां जब क वि आजात शत्रु ने रेत के गढ़ राजस्थान में पढ़ी थी तो उन्हे यह मालुम नहीं था कि मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के ब्यौहारी क्षेत्र के रसपुर और बोड्डिहा पंचायत मेें यह पंक्तियां चरितार्थ होंगी। जब भाजपा के बड़े नेता और नपा अध्यक्ष के पति स्थानीय भाजपा नेता का कुछ ऐसा संगम होगा कि आखिरी एक माह के लिए फिर माफिया राज का बिगुल फूंक दिया जाएगा।
प्रशासन करे भी तो क्या .....
हे राम, इस जिले का यह कैसा हाल हो गया, माफिया प्रशासन को जेब में रखने के दावे करता है। प्रशासन माफिया मुक्त शहडोल का ढिंढोरा पीटता है लेकिन हाल दिन ब दिन बदतर होते जा रहे हैं। प्रशासन जब कार्रवाईकी हुंकार भरता है तो ट्रांसफर की घुडक़ी दिखाई जाती है। और प्रदेश के नाथ कहते हैं कि जिले को माफिया मुक्त करो। सत्ताधारी दल के नेता गली गली ऊंची पहुंच की धौंस दिखा रहे हैं मानेा जिला प्रशासन उनकी जेब में हो। पर सुनता उनकी भी कोई नहीं है। अजीब कश म कश की स्थिति बन चुकी है। न जाने क्या होगा शहडोल का..?
( इस संबंध में जानकारी हेतु जब जिला खनिज अधिकारी को दूरभाष में संपर्क किया गया तो उनका फोन बंद रहा)
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⇛कौन है जीजा कौन है साला जिन्होंने विपक्ष में रहकर नदी भेज डाला
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