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बी0एन0जी ग्लोबल इंडिया लिमिटेड कम्पनी के मैनेजर की नियमित जमानत याचिका खारिज

अजय नामदेव-7610528622
अनूपपुर। न्यायालय श्रीमान् विशेष न्यायाधीश डॉ सुभाष कुमार जैन जिला अनूपपुर के न्यायालय के वि.प्र.क्र. 02/19 थाना कोतवाली के अप. क्र. 99/16 धारा 420, 467, 468, 471, 120बी भादवि एवं धारा 6 म.प्र. निक्षे. के हितो. का संर. अधि. 2000 में आवेदक/अभियुक्त इस आधार पर जमानत आवेदन प्रस्तुत कर जमानत स्वीकार किये जाने के न्यायालय से मांग की गई थी कि मूल चालान के 03 अभियुक्तगण जमानत पर है और वह जेल में निरूद्व होकर प्रकरण के विचारण में शामिल हो रहा है। पूरक चालान के 03 सह अभियुक्तगण के विरूद्व पूरक अभियोग पत्र अभी हाल में न्यायालय में प्रस्तुत हुये है, जिसके कारण प्रकरण के विचारण में काफी समय लगने की पूर्ण संभावना है चूकिं अब प्रकरण में नये सिरे से फिर से मूल चालान एवं पूरक चालान के अभिलेख व साक्षियों का न्यायालय मे पुनः परीक्षण होना है, गिरफतारी दिनांक 12.08.2018 से मै और मेरे परिवार का मानसिक उत्पीड़न हुआ है, और निकट भविष्य में भी मैं और मेरा परिवार जेल में निरूद्व होने से उत्पीडि़त होगा आवेदन के समर्थन में उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय के न्याय दृष्टांतों भी प्रस्तुत करते हुए न्यायहित में जमानत पर रिहा किये जाने की मांग किया था।
जिला अभियोजन अधिकारी रामनरेश गिरि के द्वारा राज्य की ओर से अपना पक्ष लिखित में रखते हुए न्यायालय से यह अनुरोध किया गया कि विचारण न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के द्वारा जमानत आवेदन आवेदक/अभियुक्त पूर्व में निरस्त किया जा चुका है, पूरक अभियोग पत्र के साथ पुलिस के द्वारा प्रस्तुत 84 पॉलिसी, 61 पॉलिसी कुल 225 रसीदे की मूल प्रतियॉ कुल 323460 रूपये जो अभियुक्त आदित्य तिवारी से, अभियुक्त अरविंद साहू से 101 पॉलसिया जिसमें 64 मूल पॉलसिया 225 पॉलिसी की रसीद 606445 रूपये इस प्रकार 929905 रूपये की राशि आवेदक/अभियुक्त विष्णु प्रसाद सोनी ने ही उक्त कंपनी में मैनेजर की हैसियत से हितग्राहियों का जमा किया था। मूल अभियोग पत्र के साथ जो अभिलेख/साक्ष्य पुलिस के द्वारा प्रस्तुत किये गये थे जिनका न्यायालय में परीक्षण हो चुका है आवेदक/अभियुक्त विष्णु सोनी पिता रामदास सोनी निवासी कोतमा अनूपपुर के विरूद्व नाममात्र के थे। और अब पूरक चालान के साथ पर्याप्त अभिलेख एवं साक्ष्य प्रकरण में प्र्रस्तुत हो चुके हैं जिनका परीक्षण किया जाना शेष है। आवेदक/अभियुक्त के जमानत आवेदन पूर्व में विचारण न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा नाममात्र के अभिलेख व साक्ष्य होने पर ही निरस्त किये गये है इस कारण से वर्तमान में न्यायहित में आवेदक/अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया जाता है तब प्रकरण के हितग्राहियों को धन व बल का प्रयोग कर साक्ष्य प्रभावित करेगा। राज्य की ओर से प्रस्तुत की गई उक्त दलीलें को न्यायालय द्वारा गौर व तर्क से सहमत होते हुए उक्त आवेदक/अभियुक्त विष्णु सोनी का जमानत आवेदन निरस्त किया गया है।

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