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नारी का सम्मान देश में महज छलावा- वंदना खरे


चचाई / न्याय तो मिला नहीं सम्मान क्या मिलेगा । न्याय व्यवस्था से उठता विश्वास, अब तो लगने लगा है कि हैदराबाद पुलिस ने जो भी किया, वह बिलकुल सही हर लिहाज से सही था। 
न्याय ना मिलने का दर्द उस मां से पूंछो जरा जिसकी बेटी ने ये दर्द सहा है । वो न्याय व्यवस्था पर कैसे विश्वास बनाए रख सकती है। कैसे दिल को सांत्वना देती होगी । कैसे निवाला गले से उतरता होगा। बहुत ही दुखद पल हैं। ऐसी कैसी न्याय प्रणाली है ? इतने साल बीत गए ,कोई उम्मीद ही नहीं दिखाई देती है, बस फांसी की डेट लगातार बड़ती जा रही है।  हमारे देश में ऐसे हजारों, लाखों महिला होगीं जो इस दर्द को सह रही हैं , या ये भी कह सकते हैं कि सहने को मजबूर है। कितने शर्म की बात है कि एक तरफ तो कहा जाता है कि देश तरक्की कर रहा है, पर हमारा देश जा किस दिशाहीन दिशा में  रहा है, ये समझ के परे है ।
 क्या न्याय प्रणाली में वाकई सुधार की जरूरत है ? कोई एक उदाहरण बताये की केस दर्ज हुआ हो ओर दिन तो छोड़े महिने या साल में फैसला आया हो  । इंतजार ओर इंतजार करने के अलावा कुछ नहीं होता है । देश के संविधान निर्माताओं को न्याय पालिका से जुडे तमाम विसंगतियों की ओर ध्यान देना होगा।

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