साहब का गुस्सा ऐसा की पत्रकार के सवालों पर हुए आगबबूला..! फिर हुई मामले की लीपापोती
इतना भयंकर साहब का गुस्सा की तीन को किया कार्यमुक्त, और कोरोनावयरस को दे दी चेतावनी..!
शहडोल( कोबरा) : एक ओर पूरा भारत कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ रहा है दूसरी ओर जिम्मेदार पद पर विराजमान अधिकारी अपने कैंपस की अंतरकलह भी शांत नही कर पा रहें। जी हाँ ताजातरीन मामला शहडोल के मेडिकल कालेज का है जिसे आपातकाल में कोरोना वायरस से ग्रसित मरीजो के इलाज के लिए खोला गया है। मेडिकल कॉलेज में इलाज प्रारंभ हुए लगभग कुछ सप्ताह ही हुए , और मेडिकल कॉलेज के अधिकारी वर्ग और कर्मचारी वर्ग में मानो एक जंग सी छिड़ गई है । अधिकारी वर्ग या फिर यह भी कहा जा सकता है कि मेडिकल कालेज के सबसे बड़े अधिकारी डीन डॉ मिलिन्द शिलारकर ने आनन फानन में तीन पैरामेडीकल स्टाफ गुलजार सिंह , तोमल सिंह एवं संतोष पांडेय को जिला स्वास्थ्य विभाग से आइसोलेशन वार्ड में अटैच किया था बिना नोटिस दिए बिना सैम्पल लिए ही कार्यमुक्त कर डिपोर्ट के आदेश जारी कर दिए गए ।
यह है मामला ...
भर्रेशाही के शिकार मेडिकल कॉलेज में डिपोटेशन में सेवा दे रहे पैरामेडिकल स्टाफ ने हमारी टीम के साथ चर्चा करते हुए बताया कि स्टाफ की कमी के कारण उन्हें सेवा देने हेतु मेडिकल कॉलेज में जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा भेजा गया था। संक्रमित मरीज मिलने पर उनकी ड्यूटी आइसोलेशन वार्ड में लगाई गई जहां वे तीनों लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में आ रहे थे। जिस कारण स्टाफ द्वारा पीपीई किट की मांग की गई किंतु उन्हें पीपीई किट प्रदान नही किया गया इसके बाद भी वे कोरोना संक्रमित मरीजो को चाय, नास्ता, भोजन पहुंचाते रहे। लेकिन पीपीई किट मांगना मेडिकल कालेज के अधिकारियों को इस कदर न गवार गुजरा की बिना नोटिस दिए ही आज पैरामेडीकल स्टाफ को रिलीफ आर्डर थमा दिया गया ।
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| आदेश की प्रति |
पैरामेडीकल स्टाफ ने लगाए गंभीर आरोप ...
मूल रूप से एमपीडब्ल्यू में पदस्थ संतोष पांडेय एवं फार्मासिस्ट गुलजार ने हमारी टीम से संपर्क कर पूरा वाक्या दूरभाष के माध्यम से हमें बताया बताया गया की बिना पीपीई किट के बिना उन्हें कोरोना संक्रमित पेशेंट्स को भोजन चाय नास्ता सर्व करने को कहा का रहा था जिसका उन्होंने विरोध किया और आनन फानन में आग बबूला हुए अधिकारी ने बिना नोटिस दिए ही तीनो कर्मचारियों को डिपोर्ट कर दिया इतना ही नही लगभग सप्ताह भर कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में रहे कर्मचारियों के ना ब्लड सैंपल लिए गए ना ही उन्हें कोरनटाइन करने की व्यवस्था की गई। जब कर्मचारी द्वारा यह पूछा गया कि हम ऐसे कैसे घर जा सकते हैं तब भी जिम्मेदारों द्वारा उन्हें होम कोरन्टीन की सलाह दी गई मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा सहयोग ना मिलने की स्थिति में कथित कर्मचारियों द्वारा मीडिया से संपर्क साधा गया।
सवालों पर भड़के डीन....
पीड़ित कर्मचारियों के माध्यम से जरिया जानकारी हमारी टीम को लगी तो मामले की वास्तविकता व प्रशासन का पक्ष जानने मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ मिलिंद को दूरभाष में संपर्क साधा गया तो अपना पक्ष बताने की वजह डॉक्टर साहब पहले तो मामले में चुप्पी साधने की प्रयास किया किंतु जब लापरवाही को लेकर सवाल जवाब किये गए तो डॉक्टर साहब भड़क उठे और कर्मचारियों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगा डाला किंतु कर्मचारियों को कोरन टाइम कहां किया जाएगा और उनके ब्लड सैंपल क्यों नहीं लिए गए इस बात का उत्तर डॉ मिलिंद के पास फिर भी नहीं था।
फिर शुरू हुआ डैमेज कंट्रोल...
निरुत्तर डॉ मिलिंद के फोन काटने के कुछ ही समय बाद हमारी टीम के मीडिया कर्मी के पास दोबारा साहब का फोन आता है और बताया जाता है कि उन्हें वही क्वॉरेंटाइन किया गया है जहां से वह आए थे पूछने पर उन्होंने रैन बसेरे में क्वॉरेंटाइन करने की बात कही और बताया कि ब्लड सैंपल ले लिए गए हैं इतना ही नहीं साहब के बातचीत करने के तरीके को लेकर साहब से सवाल किए गए तो उन्होंने पत्रकारों के कार्यप्रणाली के प्रति काफी नाराजगी व्यक्त की ।
ये कैसे जिम्मेदार ....
अब मामले की हकीकत क्या है या तो जांच में खुलकर सामने आएगी लेकिन यह बात तो स्पष्ट है कि धुआ तभी निकलता है जब आग लगती है इस प्रकार गुस्से में किसी कर्मचारी वर्ग के खिलाफ बिना किसी पूर्व सूचना या नोटिस के कार्यवाही मेडिकल कॉलेज प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाने का कार्य कर रहा है। इतना ही नहीं मीडिया के सवालों पर इस तरह भड़कना भी इतने बड़े ओहदे पर बैठे अधिकारी को शोभा नहीं देता। इतना ही नहीं डीन डॉ मिलिंद द्वारा यह जानकारी दी गई थी कि ब्लड सैंपल ले लिए गए हैं तो उसके बाद भी कर्मचारियों का यह दावा था कि ब्लड सैंपल अभी तक नहीं लिए गए हैं ना तो कोरण्टाईन करने की व्यवस्था की गई है। इतना ही नहीं देर शाम इस पूरे वाक्य के कुछ घंटों बाद जब समाचार लिखा जा रहा था तब मेडिकल कॉलेज की एक टीम उल्लेखित पैरामेडिकल स्टाफ के पास उनका ब्लड सैंपल कलेक्ट करने पहुंची जिस की जानकारी पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा हमारी टीम को दी गई अगर ऐसा था तो एक बात तो स्पष्ट थी कि इतने बड़े होते हैं बैठे अधिकारी का इस प्रकार से मीडिया को गलत बयान देना उनकी कार्यप्रणाली और कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह का कार्य कर रहा है ।
क्या की जाएगी मामले की जांच...
कोरोनावायरस जैसे इस वैश्विक महामारी एवं संकट की घड़ी में इस प्रकार संभाग की सबसे बड़ी संस्था में कर्मचारियों का प्रशासन पर आरोप लगाना, और कॉलेज प्रशासन का डैमेज कंट्रोल करते नजर आना जांच का विषय है। उच्चस्तरीय जांच से यह स्पष्ट हो सकता है कि कार्यवाही व्यक्तिगत द्वेषवश की गई है या फिर कर्मचारियों को पीपीई किट मांगना मांगना पड़ गया या फिर साहब के गुस्से के आगे ये टिक नही पाए। अब देखना यह होगा कि शहडोल जिला प्रशासन व संभागीय मुख्यालय के अधिकारी इस मामले में जांच के आदेश जारी करते हैं या मामला ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया जाता है।
इनका कहना है
अनुशाशनहीनता के संबंध में मौखिक जनाकारी दी गई थी किंतु कार्यमुक्त करने संबधित कोई भी जानकारी हमे नही हैं
डॉ ओ पी चौधरी
जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी शहडोल



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