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omg... तो क्या जेल के अंदर इसकी भी की जाती है व्यवस्था..!

साहब! संभालो आप को पता नही आज अंदर चुपचाप मोबाइल चला रहा कल गोली भी चला सकता है...।


जिला जेल की सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी सेंध,जांच तक सीमित मामला 


इंट्रो: जेल मतलब कारागार कहा ऐसा भी जा सकता है जंहा गुनाहों की सजा मिलती है। पर शहडोल जिला जेल की बात ही निराली है यहां के कैदी जेल के अंदर ना सिर्फ पोज  देकर अपनी फोटो खिंचवाते हैं बल्कि सोशल मीडिया में जेल के अंदर से ही बैठे-बैठ शेयर करते हैं। जेल की सुरक्षा पर इतनी बड़ी सेंध लगती है और वर्षों से एक ही कुर्सी पर बैठे अपनी ही धुन में मस्त  जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी भनक भी नहीं होती। शिकायतों के दौर के बाद जेल प्रशासन जागता तो है पर जांच की बात कह कर मामला फिर ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया जाता है ।

शहडोल (कोबरा) : सुख-सुविधाओं ऐसो आराम से दूर साधरण या यूं कहें कि अकेले कष्ट भरी जिंदगी जेल के अंदर बिताने से अपराधियों को अपनी गलती का एहसास होता है, और धीरे-धीरे मन से अपराध के भाव कोसों दूर चले जाते हैं यह भारत की दंड प्रक्रिया का एक हिस्सा है। शहडोल जेल का मामला तो बिल्कुल ही उल्टा है यहां जेल के अंदर कैदियों को मोबाइल फोन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है  जेल के अंदर कैदी ना सिर्फ फोटो खिंचा रहा है बल्कि जेल के अंदर से ही सोशल मीडिया में अपलोड भी कर रहा है। इतना ही नही जेल अधीक्षक को इसकी भनक भी नही पर शिकायतो के दौर के बाद जांच शुरू की जाती है वक्त बीतता जाता है पर जांच नतीजे तक नही पहुचती, खैर अब भले इसकी टोपी इसके सर की तर्ज पर गलतियों का ठीकरा किसी अदने से कर्मचारी पर फोड़ दिया जाए पर यह बात जग जाहिर है कि सिपाहियों के हार से सेनापति अलग नही होता और राज्य में सुरक्षा पे सेंध की जिम्मेदारी राजा को ही लेनी पड़ती है। पर यंहा तो बात जांच की कही जा रही देखना यह होगा की गाज वजीर पर गिरती है या प्यादे पर ।
यह है मामला
मामला आर्म्स एवं एनडीपीएस एक्ट के आरोपी प्रभाकर द्विवेदी का  जिला जेल के भीतर से फेसबुक में जेल की तस्वीरें एवं अन्य पोस्ट करने का है। टेडी प्रभाकर द्विवेदी लगभग 2 साल से जिला जेल शहडोल में बंद है ऐसे में उसके पास जेल के अंदर मोबाइल होना, और मोबाइल से धड़ल्ले से फेसबुक का संचालन करना जिला जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर सेंध का परिचायक साबित हो रही है। कैरी प्रभाकर द्वारा फेसबुक में अपनी एक फोटो अपलोड की गई है जो कि जेल के अंदर की है मामले में आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस जगह  प्रभाकर द्वारा खड़े होकर  फोटो खिंचवाई गई है उस जगह से जेल अधीक्षक जी एल नेटी का कार्यलय कुछ ही कदमो की दूरी पर है। इतना ही नहीं जेल के अंदर रहने के दौरान ही कई अन्य मैसेज भी सोशल मीडिया में अपडेट हुए हैं एक में तो कैदी प्रभाकर ने अपना नया नंबर ही शेयर कर दिया है। तो एक मैसेज में अप्रत्यक्ष रूप से किसी व्यक्ति विशेष को धमकी दी जा रही है और उसके लिए अपमानजनक शब्द इस्तेमाल में लाया जा रहे हैं संभव है कि इन शब्दों का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए हो रहा है जिसने मामले की जानकारी हेड ऑफिस में दी है।

सुर्खियों में जिला जेल..
अपनी करगुजारियों को लेकर समय-समय पर जिला जेल प्रबंधन अखबार में सुर्खियां बटोरता नजर आता है । फिर चाहे मामला भ्रष्टाचार का हो या व्यापक अनियमितताओं का। वहीं कई वर्षों से जेल में पदस्थ जेल अधीक्षक श्री नेटी की चर्चाएं भी एक अरसे से आम हो रही है । कुप्रबंधन जेल प्रशासन की लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है,  सूत्र बताते हैं कि परोसे जाने वाले भोजन से लेकर,कैदी की रवानगी तक व्यवस्था शुल्क का खेल चलता रहता है, इसके अलावा कैदियों को वीआईपी ट्रीटमेंट भी उपलब्ध कराया जाता है।जेल से जुड़े सूत्रों ने तो यंहा तक बताया की प्रति माह करोड़ो की हवेली में साहब द्वारा आधे करोड़ की होली अकेले मनाई जाती है,जिसके एवज में मोबाइल से लेकर बिरयानी तक की सुविधा कैडियों को उपलब्ध कराई जाती है ऐसे कई मामले है जो जिला जेल शहडोल में चल रहे व्यापक भ्रष्टाचार को उजागर करने का कार्य कर रही है जिसे हम अगले अंक मे  आप  तक पहुंचाएंगे।

प्रभाकर की कई चर्चाएं...
जेल के अंदर की चर्चाओं की माने तो दादी प्रभाकर द्विवेदी एवं जेल अधीक्षक जे एल नेटी के संबंध बड़े ही घनिष्ट हैं। इतना ही नहीं जेल में प्रभाकर का दबदबा हर कोने में दिखाई पड़ता है । साहब का खास होने की वजह से उसे अंदर वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जाता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रभाकर को पुलिस ने गांजे के साथ गिरफ्तार किया था। कुछ समय के बाद स्वास्थ्य बिगड़ने पर उसे पलवल में छोड़ दिया गया था किंतु पर वह खत्म होने के बाद भी जब प्रभाकर ने सरेंडर नहीं किया तो पुलिस द्वारा काफी मशक्कत के बाद दोबारा गिरफ्तार कर उसे जेल भेज दिया गया ऐसे में जेल प्रबंधन की लापरवाही कहें या मिलीभगत से दोबारा ऐसे अपराधी को जेल में मोबाइल फोन उपलब्ध कराना जेल के अंदर किसी अपनी घटना का कारक साबित हो सकता है।

जांच तक सीमित मामला? 
प्राप्त जानकारी के अनुसार जेल प्रबंधन द्वारा अभी भी मामले में जांच की बात कहकर मामला रफादफा करने का प्रयास किया जा रहा है । यही कारण है कि आरोपी प्रभाकर को अब तक किसी अन्य जेल में शिफ्ट ना करते हुए जिला जेल में ही रखा गया  है । अब देखना यह होगा की इस मामले में कार्यवाही होती है या फिर समय के साथ मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है । के हालाकि कुछ सवाल अभी भी उलझे हुए है कि जेल प्रशाशन द्वारा अभी तक मोबाइल की जब्ती क्यों नहीं दिखाई गई किसकी लापरवाही या मिलीभगत से जेल के अंदर तक चल फोन पहुंचा एवं आरोपी प्रभाकर द्वारा जेल की अंदर की जानकारी किसे किसे भेजी गई अथवा किस  से संपर्क साधा गया और वर्षों से एक ही कुर्सी पर विराजमान साहब द्वारा इस मामले पर क्या ठोस कदम उठाए गए।
इनका कहना है 
मामले में जांच जारी है , स्क्रीनशॉट हो तो हमे भी उपलब्ध कराएं।
जी एल नेटी 
जेल अधीक्षक ,शहडोल जेल

इस सम्बंध में जांच चल रही है,आप को जो जानकारी चाहिए अधीक्षक से लीजिये ।
एच एस राठौर 
जेलर, जिला जेल शहडोल

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⏩गंदा है पर लाखो का धंधा है... अंदर का हाल जाने हम, बाहर वाला अंधा है!

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