बंदी प्रभाकर द्विवेदी व जिला जेल के व्यापक भर्रेशाही का मामला पहुचा भोपाल...
मामला फेसबुक में कैदी द्वारा जेल के अंदर से जेल की फ़ोटो व धमकी भरा संदेश पोस्ट करने का ।
पीली कोठी का हाले बयान और कोठी के पुराने कदरदान का किस्सा अब राजधानी की गली-गली में गुलजार हो चुका है। साल भर पहले बल्लू सटोरिया का जेल के अंदर से सट्टा खिलाने का मामला तो अब पुराना हो चला हालांकि भोपाल तक पहुंचने के बाद शहडोल की पीली कोठी के बरसों पुराने कदरदान ने खुद को तो बाइज्जत रुक्सत करा लिया था पर एक बार फिर साहब के दामन पर प्रभाकर नाम के कैदी ने वर्दी से नाफरमानी का कीचड़ उछाल दिया है। पिछली बार मामला बच्चन साहब के दफ्तर तक पहुचा था और मैनेजमेंट और सिफारिशों की दौर के बाद पुराने कदरदान को कोठी की रखवाली से दूर नही किया गया था। अब किस्सा फिर वही है बस फर्क इतना सा है कि पिछली बार कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं था कि बल्लू अंदर मोबाइल/ लैंडलाइन इस्तेमाल कर रहा है किंतु इस बार तो स्क्रीनशॉट सचिवालय व हेडक्वॉर्टर में मोबाइल-मोबाइल मंडरा रहा है और कदरदान फिर भी आल इज वेल.. कह कर अपने मन को संतोष दिला रहे हैं।
शहडोल (कोबरा ): शरीफ और ईमानदार व्यक्ति का शहर की पीली कोठी जिला जेल से भला क्या वास्ता, लेकिन आपका यदि कोई जान- पहचान का व्यक्ति यंहा सजा काट रहा है तो फिर आप शहडोल की पीली कोठी में काली कमाई का खेल तो जानते ही होंगे और अगर नही जानते तो ऐसे किसी व्यक्ति से मिलिए जो कोरोना महामारी से पहले जिला जेल किसी कैदी से मिलने गया हो तो आपको जमीनी हकीकत का पता चल जाएगा कैदी से मिलना हो तो जुगाड़, राजश्री,सिगरेट,पान पहुंचाना हो तो जुगाड़, और तो और कैदी को वीआईपी ट्रीटमेंट दिलवाना हो तो जुगाड़, हालांकि वीआईपी ट्रीटमेंट वाले जुगाड़ में जेल के बाहर भी जुगाड़ बनाना पड़ता है खैर ये सब तो कही सुनी बाते हैं मुद्दे की बात है हाल ही में बहुचर्चित कैदी प्रभाकर द्विवेदी का जेल के अंदर से जेल के अंदर की फोटो का सोशल मीडिया में वायरल करने का मामला,जिसकी शिकायत राजधनी तक पहुच चुकी है और स्थानीय जिम्मेदार हैं की मामले को रफा दफा करने के प्रयास में जुटे हैं। प्रभाकर जो की क्षेत्र में गाँजा सरगना के नाम पे चर्चित है उसका जेल के अंदर से फोन आपरेट करना कंही न कही कई वर्षों से शहडोल जेल की कमान संभाल रहे जेल अधीक्षक जी एल नेटी के कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।
जाने क्या है मामला...
भारी मात्रा में गांजा और हथियार के साथ गिरफ्तार कैदी जेल के अंदर से जेल के अंदर की फ़ोटो अपलोड करता है,इतना ही जेल के अंदर से अपना नया नंबर भी शेयर करता है और तो और कभी रोमांटिक मूड में रोमांटिक सायरी तो कभी गुस्से में धमकी भरे पोस्ट डालता है। और जेल अधीक्षक को इसकी जरा भी भनक नही होती। ऐसी पुख्ता व्यवस्था की अंदर की बात बाहर ना जाए और बाहर की बात अंदर ऐसे में यह जानकारी मीडिया तक पहुंचती है और प्रभाकर की फेसबुक आईडी से स्क्रीनशॉट लिए जाते हैं। प्रमुखता से समाचार छपता है मामला तूल पकड़ता है तब जेल अधीक्षक द्वारा वर्जन ले रहे हमारे मीडिया कर्मी से ही साक्ष्य और सबूत मांगे जाते हैं जबकि जेलर द्वारा मामला अधीक्षक के सज्ञान में होने की बात कही जाती है। साक्ष्य मीडिया के माध्यम से सामने लाये जाते हैं तब जांच की चर्चा शुरू होती है। फिर शुरू होता है मामला दबाने और रफा दफा करने का दौर लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नही होती न तो कैदी प्रभाकर द्विवेदी को किसी अन्य जेल में शिफ्ट किया जाता है और न ही जेल अधीक्षक को स्थान्तरित कर मामले की और जिम्मेदारों की विधवत जांच कराई जाती है।और अब समय ऐसा आ चुका है कि फॉलोअप के लिए मीडियाकर्मीयों द्वारा किये गए फोन से भी जेल अधीक्षक कतराते नजर आ रहे हैं।
साहब बेकसूर हैं...!
कई वर्षों से शहडोल जेल में बतौर जेल अधीक्षक पदस्थ नेटी साहब के नाक के नीचे गाँजा सरगना के नाम पर चर्चित कैदी प्रभाकर द्विवेदी ना सिर्फ जेल के अंदर फोटो खिंचवाता रहा बल्कि सोशल मीडिया में अपलोड भी करता रहा या संभवतःजेल के अंदर से गाँजा का रैकेट संचालित करता है और साहब को भनक नही होती पर साहब की क्या गलती साहब तो बेकसूर हैं ना यही नही सैकड़ो कैमरे जो जेल के कोने कोने पर लगे है मॉनिटरिंग के समय साहब की उस पर नजर ही नही पड़ी पर इसमें साहब की क्या गलती साहब तो बेकसूर हैं। पैरोल खत्म होने के बाद भागने वाले कैदी की खास मोनिटरिंग होनी चाहिए थी पर साहब को क्या साहब तो बेकसूर हैं ना। जेल के अंदर की फ़ोटो शेयर करने वाला मोबाइल आपरेट करने वाला कैदी अभी भी उसी जेल में है पर साहब को क्या साहब तो बेकसूर हैं ना। कई वर्षों यहीं पदस्थ साहब को पहले भाग चुके 9 कैदियों का मामला नही पता न ही जेल हाइजेक करने का मामला क्यों की साहब तो..........।
अब हो रहा डैमेज कंट्रोल
पूरा मामला उजागर होने के बाद जेल अधीक्षक हमारी टीम के सवालों से कतराते नजर आ रहे पर जेल में सक्रिय हमारे सूत्रों की मानें तो अब डैमेज कंट्रोल की पूरी तैयारी साहब कर चुके हैं जिसके लिए रीवा वाले साहब ने भी दबी जुबान से हामी भर दी है, साइबर सेल द्वारा जांच की बात कहकर मामला लंबा खींचा जाएगा,कि शायद समय के साथ मामला ठंडा हो जाए।फ़ोटो होली की बताई जाने लगी जो जेल के कर्मचारियों द्वारा खींची गई थी हालांकि फ़ोटो में प्रभाकर पर गुलाल नही लगा और अगर इस मंसूबे में सफलता नहीं मिली तो खाना पूर्ति के लिए कुछ प्रहरियों पर कार्यवाही की गाज भी गिराई जा सकती है, पर यह स्पष्ट है कि वे साहब के तीन अनमोल रतन नही होंगे। कार्यवाही के बाद रिपोर्ट रीवा सेंट्रल जेल भेज दी जाएगी और जाहिर है कि रिपोर्ट की फाइल खोलने से पहले ही रिपोर्ट में क्या लिखा है यह बड़े साहब को मालूम होगा ।हालांकि रीवा वाले साहब की इन दिनों अपनी एक अलग कहानी है पर वो फिर कभी। और मामले का नतीजा या निकलेगा कि सिपाहियों से ज्यादा गलती होने के बाद भी सेनापति पर कोई कार्यवाही नहीं होगी। पर मामला साहब तब पलट सकता है जब पिछली बार की तरह ही एक लेटरबम एक दर्जन किस्सों के साथ राजधानी में फूटेगा ।
जांच व फुटेज से खुलेगी पोल
रीवा सेंट्रल जेल अधीक्षक का मीडिया के सवालों से कतराना, कंही न कंही शहडोल जेल अधीक्षक के प्रति एक साफ्ट कार्नर को प्रदर्शित करता है।संभवतः चोर चोर मौसेरे भाई वाली कहावत की तर्ज पर बंदर बांट भी लंबे समय से चल रहा हो । वंही शहडोल संभाग के लिए यह गर्व की बात है की शहडोल रेजं को एडीजी जी जनार्दन का कुशल मार्गदर्शन मिल रहा है जिन्होंने विजीलेंस जैसे विभाग में रहकर खूब ख्याति अर्जित की है। ऐसे में यदि जेल अधीक्षक को अन्यत्र कर उनकी जांच एडीजी शहडोल को गृहमंत्रालय अथवा जेल विभाग के मुख्य सचिव एस एन मिश्रा या डीजी संजय चौधरी द्वारा सौपी जाती है तो निश्चित ही परिणाम स्वरूप सीसीटीवी कैमरे में कैद पीली कोठी के काले रहस्य सामने आ सकते है। व्यापक भर्रेशाही का मामला सामने
आ सकता है।
इनका कहना है
जानकारी प्राप्त हुई है, उचित जांच कराकर कार्यवाही की जाएगी ।
गाजीराम मीणा
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जेल, भोपाल
आगे पढ़ें...(comming soon..)
1.लेटर बम से मचा था बवाल,गंभीर आरोपों से घिरे थे जेल अधीक्षक नेटी।
2.'रामभरोसे' व्यवस्था,पालनहार बने साहब के अनमोल रतन..!
3.साहब का गजब कमाल अंदर खुला है शॉपिंगमॉल..!


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