फिर शुरू हुई हुकूमत के लिए जोर आजमाइश@माफिया टेरेटरी
शहडोल(कोबरा) : पत्रकार द्वारा एक एक्सक्लूसिव खबर छापी जाती है, जिला प्रशासन एवं खनिज विभाग द्वारा खबर को गंभीरता से लेते हुए कार्यवाही की जाती है। अब सवाल यह उठता है कि इस पूरे मामले में असंतुष्ट कौन है। जी हां हम बात कर रहे हैं बीते दिनों गोहपारू थाना क्षेत्र के भुर्सी में वंशिका ग्रुप को आवंटित रेत खदान की जहां एनजीटी के नियमों को धता बताकर मशीनों के माध्यम से रेत खनन का कार्य किया जा रहा था जिस पर एक स्थानीय पत्रकार की नजर पड़ी और निष्पक्ष और निडर पत्रकार ने प्रमुखता से खबर का प्रकाशन किया, जिस पर जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया और जिला खनिज अधिकारी फरहत जहां द्वारा अचानक ही दबिश देकर दो पोकलेन और और एक जेसीबी मशीन जब्त कर लेब गई,लेकिन मामला यहां खत्म नहीं हुआ इतनी बड़ी कार्यवाही के बाद ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा और उन्होंने चक्का जाम कर दिया। अब आश्चर्य की बात यह है कि प्रशासन द्वारा लापरवाही बरतने या कार्यवाही ना करने पर जनता का सड़क पर उतर जाना तो आम बात है पर कार्यवाही के बाद जनता का इस प्रकार चक्का जाम करना कई सवालों को जन्म दे रहा था चक्का जाम में ग्रामीणों के बीच स्थानीय माफियाओं के गुर्गों का शामिल होना यह प्रदर्शित करता है कि संभवत यह पूरा प्रपंच स्थानीय माफिया द्वारा रेत ठेकेदार पर दबाव बनाने के लिए किया गया है।
तो कौन था पर्दे के पीछे
ग्रामीण द्वारा किए जा रहे हैं प्रदर्शन के दौरान हमारी टीम ने यह नोटिस किया की ग्रामीण किसी भी कदम के लिए स्वयं निर्णय न लेकर व्यक्ति विशेष से संपर्क साध रहे हैं।वंही ग्रमीणों के अलावा चंद अन्य बाहर के व्यक्ति भी भीड़ में आसानी से देखे जा सकते थे जिसकी तफ्तीश हमारी टीम द्वारा शुरू की गई तो सडयंत्र की हकीकत प्याज की परत की तरह खुलने लगी,क्षेत्र में सक्रिय हमारे सूत्रों ने बताया कि भुर्सी रेत खदान पर एक अरसे से अपना कब्जा बरकरार रखने वाले जयसिंह नगर में नियमो को धता बताते हुए क्रेशर संचालन कर तहे तिवारी ब्रदर्स की चहलकदमी बीते दो दिनों में फिर एक बार गांव में बढ़ी थी, और उन्हीं के इशारे पर कुछ ग्रामीणों को भड़का कर साथ में अपने आदमी तैनात करके जिला प्रशासन एवं रेत ठेकेदार के खिलाफ यह प्रपंच रचा गया था। बखूबी एक पार्टनर में चक्का जाम की कमान संभाली तो दूसरे ने मुख्यालय में रहकर प्रशासनिक गतिविधियों की जानकारी अपने पार्टनर तक पहुंचाई। आर पर्दे के पीछे से तिवारी ब्रदर्स प्रशासन और रेत ठेकेदार पर दबाव बनाने में एक हद तक सफल भी हो गए।
तो अब आगे क्या..
कथित दोनों माफिया अपने मास्टर स्ट्रोक में किस हद तक सफल हुए हैं यह सवाल अभी भी सवाल बना हुआ है। अब देखना यह होगा कि इतने बड़े प्रपंच के बाद कथित दोनों माफिया जाने-माने रेत ठेकेदार पर दबाव बना कर फिर एक बार अपने मंसूबों में कामयाब होते हैं या नहीं। देखना तो यह भी होगा कि प्रशासन को खुला चैलेंज करने वाले कथित माफियाओं के साथ प्रशासन क्या व्यवहार करता है। जिले के अंदर रेत माफियाओं द्वारा लगातार रेत ठेकेदार से संपर्क साधने का प्रयास किया जा रहा है सूत्रों की माने तो टिहकी वाले लाला महाराज तो नेताजी के साथ ठेकेदार के द्वार तक दावेदारी प्रस्तुत करने पहुंच गए थे पर वे कितना सफल होते हैं यह तो वक्त के साथ हम आपको बताते रहेंगे।
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