शहडोल जेल से नही हो रहा अधीक्षक का मोह भंग जेल मंत्री से हुई थी शिकायत,कार्यवाही शून्य
शहडोल पीली कोठी के अजब-गजब किस्से तो आपने सुनी रखे होंगे, ताजा तरीन मामला जेल के अंदर कैदी का फेसबुक चलाना एवं जेल की अंदर की फोटो अपलोड करने का है जिस पर जांच चल रही है, पर क्या आप यह जानते हैं कि कई वर्षों से शहडोल जेल पर पदस्थ जेल अधीक्षक द्वारा कुछ खास प्रहरियों के माध्यम से कैदियों के परिवार वालों को फोन लगाकर अवैध वसूली की जाती है, जेल का सिलेंडर साहब के घर में इस्तेमाल होता है, और बड़े-बड़े कैदी तो साहब के घर में झाड़ू,पोछा,बर्तन करते हैं यह हम नहीं कहते यह आरोप है जेल के मुख्य प्रहरी रामायण का जिसे अब शहडोल जेल से स्थान्तरित कर दिया गया है।
शहडोल (कोबरा) : कई वर्षों से शहडोल जेल में बतौर जेल अधीक्षक पदस्थ जी एल नेटी गंभीर आरोपों से घिरे रह चुके हैं। यही नहीं साल भर पहले साहब की शिकायत तो जेल मंत्री से भी हो चुकी है, सायद वक्त के साथ मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है लेकिन ताजातरीन मामला जेल के अंदर से कैदी प्रभाकर द्विवेदी द्वारा फेसबुक ऑपरेट करते हुए जेल के अंदर की फोटो व धमकी भरे मैसेज अपलोड करने का है। जिसकी जांच चल रही है लेकिन चर्चाओं की माने तो साहब ने इस मामले में छुट्टी के बहाने राजधानी का ट्रिप लगाकर खुद को और अपने खास गुर्गों को बचाने की तैयारी पूरी कर ली है। पर मामला काफी तूल पकड़ चुका है अब देखना यह होगा की इस बार कार्यवाही होती है या फिर पिछली बार की तरह मामला रफा दफा कर दिया जाएगा।
चलता है अधीक्षक का कानून...
मध्य प्रदेश जेल प्रशासन द्वारा भले ही जेल के संचालन संबंधी प्रावधान निश्चित किए हो, प्रमुख सचिव जेल विभाग एस एन मिश्रा, एवं डीजी जेल संजय चौधरी व उनके निर्देश भी मानो शहडोल जेल के लिए कोई मायने नहीं रखते क्यों की जेल में तो अधीक्षक नेटी का ही कानून चलता है शिकायत में बताया गया था कि संगीन अपराधों में सजा काट रहे मुजरिम साहब के घर का काम करते हैं। वही साहब अपने बंगले में जिन पकवानों को चखते हैं उन्हें बनाने के लिए सिलेंडर जेल से जाता है। इतना ही नहीं रसूखदार कैदियों को सेवा शुल्क के एवज में घंटों लैंडलाइन की सुविधा भी साहब द्वारा मुहैया कराई जाती है। इतना ही नहीं जेल के अंदर गांजा जैसे मादक पदार्थों का व्यापार होता है जिसकी पुष्टि जेलर की रिपोर्ट पुस्तिका से की जा सकती है ऐसा दावा भी शिकायतकर्ता द्वारा किया गया था।
सप्लाई होता है नशा
मुख्य प्रहरी रामायण पाठक द्वारा आरोपों में बताया गया था कि जेल में अधीक्षक नेटी द्वारा नागेंद्र त्रिपाठी नामक प्रहरी से नशा सप्लाई करवाया जाता है जिसके एवज में कैदियों के घर से पैसे मंगवाए जाते है वही छोटा बड़ा लेन देन मुख्य प्रहरी रामभरोसे गौतम द्वारा किया जाता है जिसके स्थानांतरण की मांग भी शिकायत में की गई थी। शिकायत के अनुसार राजश्री गुटखा से लेकर गांजे तक का नशा जेल में आसानी से उपलब्ध हो जाता है। जो की उप जेल अधीक्षक के रिपोर्ट बुक में भी दर्ज है इसके बाद भी बड़े अधिकारियों द्वारा कार्यवाही ना किया जाना मामले में सवालिया निशान खड़ा करता है।
आखिर क्यों जांच से परहेज..
जेल के अंदर प्रहरी तक को मोबाइल ले जाने की अनुमति नियमतः नहीं है ऐसे में प्रभाकर नाम के कैदी का जेल के अंदर फ़ोटो खिंचा कर अंदर से ही अपलोड करने के मामले से जेल की सुरक्षा व्यवस्था का अंदाजा आप बखूबी लगा सकते हैं। जेल में सक्रिय हमारी सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि जेल अधीक्षक व उनके तीन खास प्रहरी ही इस तमाम भरे शाही के लिए जिम्मेदार हैं, जिनके बैंक अकाउंट जिसके माध्यम से कैस का लेनदेन किया जाता है के 2 वर्ष के डिटेल, जेल में लगे कैमरों की फुटेज, एवं गोपाल व अधीक्षक के कॉल डिटेल से पूरी पोल खुल सकती है फिर भी 1 वर्ष बाद भी उस शिकायत पर निस्पक्ष जांच के बजाए लीपापोती व मोबाइल आपरेट मामले में कई दिन बाद भी कार्यवाही का ना किया जाना कहीं ना कहीं जेल विभाग के अधिकारियों का संरक्षण प्रतीत हो रही है। जिसकी जमीनी हकीकत तभी पता चल सकती है जब जेल विभाग के बड़े अधिकारियों से पूरी जांच कराई जाए।
( इस संबंध में जानकारी के लिए जब रीवा सेंट्रल जेल अधीक्षक अनिल परिहार जी को दूरभाष के माध्यम से संपर्क साध कर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने काल रिसीव करना मुनासिब नही समझा। जो की कई प्रश्नों को जन्म देता है )


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