शर्मनाक: हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करा पा रहा प्रशासन,आदेश पर रसूखदार का मैनेजमेंट हावी..!
इंट्रो: न्यायपालिका को भारत में भले ही सर्वोच्च दर्जा दिया गया है, न्यायपालिका के आदेश का पालन करना हर भारतीय नागरिक का कर्तव्य है पर यह बात शायद शहडोल के कुछ जिम्मेदार अधिकारी भूल चुके हैं, यही कारण है कि 4 साल बीत जाने के बाद भी स्थानीय अमला तहसील, जिला एवं उच्च न्यायालय के फैसले को अमल नहीं करा पा रहा है, आम रास्ता बाधित करने के मामले में जिला प्रशासन से उम्मीद हार कर स्थानीय लोगों द्वारा माननीय न्यायालय की शरण ली गई थी, न्यायालय ने रास्ता बहाल करने का निर्णय भी सुनाया पर मामला सिर्फ पत्राचार तक ही सीमित रह गया और न्यायालय के आदेश एवं स्थानीय लोगों के दर्द से स्थानीय जिम्मेदार रूबरू ना हो सके।
शहडोल(कोबरा) : वार्ड नंबर 11 की पार्षद एवं स्थानीय लोगों द्वारा तहसीलदार सुहागपुर को की गई शिकायत की प्रतिलिपि जब न्याय की अपेक्षा के साथ हमारे दफ्तर पर पहुंची तो शिकायत पढ़कर बॉलीवुड की फेमस फिल्म जॉली एलएलबी में न्यायधीश का अभिनय कर रहे अदाकार का फेमस डायलॉग जहन में कौंध गया ''कि आज भी जब कभी सड़क पर दो लोगों के बीच विवाद होता है तो वे एक दूसरे को कहते नजर आते हैं कि मैं तुझे कोर्ट में देख लूंगा'' कम शब्दों में कहें तो आज भी आम आदमी का भरोसा ना सिर्फ न्यायपालिका पर बरकरार है अपितु न्यायपालिका आज भी आम आदमी के लिए सच्चाई की जंग जीतने का ब्रम्हास्त्र है। पर यह ब्रम्हास्त्र शहडोल,सोहागपुर के अधिकारियों के आगे विफल होता प्रतीत हो रहा है जब शहडोल के जिम्मेदार न्यायपालिका के आदेश का पालन नहीं करवा पा रहे हैं या संभवतः पालन नही करवाना चाह रहे हैं। इतना ही नहीं स्थानीय लोगो एवं पार्षद द्वारा की गई शिकायत में किए गए पत्राचार की प्रमाणित प्रति एवं समस्त न्यायालयों द्वारा जारी आदेशों की प्रति भी जिम्मेदार अधिकारी को शिकायत के साथ सौंपी गई थी जिसकी प्रति हमें भी प्रेषित की गई शिकायत को 2 सप्ताह से ज्यादा समय बीत चुका है पर अब तक मामले में किसी प्रकार की कार्यवाही सामने नहीं आई है।
जानें क्या है मामला...
शिकायत में बताया गया कि नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत पुराना वार्ड क्रमांक 8 एवं नया वार्ड क्रमांक 11 में तारीख सभी एवं नीरू जैन नामक व्यक्तियों द्वारा भारती पैलेस के समीप सार्वजनिक रास्ते को लगभग 4 वर्षों से अतिक्रमण कर बंद कर दिया गया है। तहसील न्यायालय जिला न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय से सार्वजनिक रास्ते को पूर्णता बहाल करने के आदेश दिए जा चुके हैं। जिस पर अमल करते हुए रास्ता खोले एवं अतिक्रमण हटाने के लिए नगर पालिका प्रशासन शहडोल द्वारा अनुविभागीय अधिकारी एवं तहसीलदार सोहागपुर को पत्राचार किया गया था जिसकी प्रति भी शिकायत के साथ संलग्न की गई। जिस पर तहसीलदार सोहागपुर द्वारा अतिक्रमणकर्ता को दिनांक 28 जून 2016 को 24 घंटे के अंदर स्वयं अतिक्रमण हटाने का नोटिस भेजा गया था एवं ना हटाए जाने पर प्रशासन द्वारा दिनांक 9 अगस्त 2016 को प्रशासन द्वारा स्वयं के व्यय से अतिक्रमण हटाया जाना निश्चित हुआ था। उल्लेखित पत्र की भी प्रमाणित प्रति शिकायत के साथ संलग्न की गई और हमें भी प्रेषित की गई। किंतु शिकायत दिनांक 13 जून 2020 को लगभग 4 वर्ष बीत जाने के बाद भी न्यायालयीन आदेश के अनुसार आम रास्ते को पूर्वतः बहाल नही किया जा सका।
पत्राचार-पत्राचार और पत्राचार
ऐसा नहीं है कि स्थानीय प्रशासन ने आदेश पालन कराने की कोशिश नहीं की, पर कोशिशों का दौर सिर्फ पत्राचार तक ही सीमित रह गया, जी हां न्यायालयीन आदेश के बाद कभी नगर पालिका ने तहसीलदार सोहागपुर को आर आई भेजकर रास्ता खुलवाने के लिए पत्राचार किया तो कभी अनुविभागीय अधिकारी सोहागपुर को सार्वजनिक रास्ते में किए गए अतिक्रमण को हटवा कर उच्च न्यायालय जबलपुर के निर्णय का पालन कराने तहसीलदार को पत्राचार किया। और फिर लगभग 1 महीने बाद एसडीएम सोहागपुर में उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश के परिपालन हेतु तहसीलदार सोहागपुर को फिर पत्राचार किया। 2 अगस्त 2016 को तत्कालीन तहसीलदार सोहागपुर ने आदेश के पालन हेतु अतिक्रमणकारी तारिख सफी को पत्राचार किया इतना ही नहीं इस पत्राचार में तो तहसीलदार ने 24 घंटे के भीतर सार्वजनिक रास्ते की आराजी से अपना अवरोध हटा कर रास्ता पूर्वक बहाल करने अन्यथा दो दिवस के भीतर बिना पूर्व सूचना के शासकीय रास्ते का अवरोध हटाने का उल्लेख तक पत्राचार में कर डाला। पत्राचार का सिलसिला यहीं समाप्त नहीं होता न्यायालय तहसीलदार तहसील सोहागपुर द्वारा 5 अगस्त 2016 को टी आई थाना कोतवाली शहडोल एवं मुख्य नगरपालिका अधिकारी शहडोल को न्यायालय के आदेश का परिपालन करते हुए आम रास्ते को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए कोतवाली एवं नगर पालिका से दिनांक 9 अगस्त 2016 को अमले एवं बल की व्यवस्था सुनिश्चित कराने का भी पत्राचार किया। कुल मिलाकर सौ बात की एक बात कभी नगर पालिका ने तहसीलदार को पत्राचार किया तो कभी तहसीलदार ने नगर पालिका को.... किंतु आज लगभग 4 वर्ष बीत चुके हैं आर न्यायालय के आदेश का पालन अब तक नहीं हो सका, आम रास्ता आज भी अवरुद्ध है और फिर फरियादी प्रशासनिक जिम्मेदारों से फरियाद लगाने को मजबूर है।
क्या फिर होगा पत्राचार...
उल्लेखित पूरे मामले में पत्राचार शब्द की बार-बार पुनरावृत्ति हुई है, अब देखना यह होगा की जिम्मेदार पत्राचार को लेकर शर्मसार होते हैं या फिर एक बार पत्राचार कि यह प्रथा फिर उल्लेखित मामले में प्रारंभ होगी। या प्रशासन मामले को गंभीरता से लेते हुए आम रास्ते को फिर से बहाल कराया जाएगा। हालांकि हम मामले की जमीनी हकीकत व कार्यवाही से आपको आगे भी अवगत कराते रहेंगे की अब प्रशासन का ऊँट किस करवट बैठेगा।वही मामले में अब कुछ नए पहलू भी निकलकर सामने आ रहे हैं, जहां न्यायालयीन आदेश होने के बाद भी सोहागपुर तहसील के एक जिम्मेदार अधिकारी द्वारा वरिष्ठ अधिकारी को गलत जानकारी देकर मामले के संबंध में बरगलाने की कोशिश की गई,जिसकी पुष्टि अधिकारिक तौर पर हमारी टीम से दूरभाष में कई गई। वंही सूत्रों की मानें तो बीते 4 वर्षों से मामले/कार्यवाही में गुलाबी कागजो का जोर चल रहा है,और शायद यही कारण है कि साहब द्वारा आम रास्ते के वजूद को नकारा जा रहा।
निगाहे टिकी अब बड़े साहब पर...
कहते हैं सरकार बदलने के बाद नई सरकार की अधिकारियों के तबादले की पुरानी आदत है। वही कभी समय में शहडोल के अधिकारियों पर पार्टी विशेष के समर्थक होने का ठप्पा लग जाता है। पर वर्तमान में शहडोल कलेक्टर डॉक्टर सतेंद्र सिंह इन सब आरोपों से पूर्णता अछूते हैं। अपनी निष्पक्षता के लिए श्री सिंह ने जिले में अपनी अलग पहचान बनाई है, ऐसे में आम आदमी की आस,और उम्मीद की निगाहें अब सिर्फ सफलता पूर्वक जिले में कोरोना को नियंत्रित करने वाले जिला प्रशासन के सर्वोच्च अधिकारी कलेक्टर श्री सिंह पर अटकी हुई है।
इनका कहना है
मामला मेरे संज्ञान में है तहसीलदार को कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया है। आप विस्तृत जानकारी अथवा शिकायतकर्ता को मेरे पास भेज दें कार्यवाही की जाएगी ।
धर्मेंद्र मिश्रा
एसडीएम सोहागपुर
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