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प्रतिबंध के बाद भी बोड्डिया में जा रही अवैध रेत खनन,भंडारण के नाम पर प्रशासन से धोखा




स्टॉक के नाम पर जोरों पर रेत खनन, प्रतिदिन सैकड़ों हाईवे रेत पहुंच रही रीवा.....!


शहडोल( कोबरा) : तेंदूखेड़ा की एक कंपनी शहडोल में रेत खनन का टेंडर लेती है इसमें कोई बुराई नहीं शासन के निर्देशानुसार टेंडर लिया जाता है। अब करोड़ों की लागत ठेकेदार ने टेंडर लिया है तो थोड़ा मुनाफा तो बनता है। चलो बारिश से पहले कंपनी ने महंगे दामों में रेत भेज कर अपना पुराना या यूं कहें कि लॉकडाउन के दौरान का नफा नुकसान बराबर कर लिया। किंतु अब मानसून सत्र प्रारंभ हो चुका है मानसून सत्र जलीय जीवो का प्रजनन काल होता है प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए प्राकृतिक संपदा के रक्षक कहलाई जाने वाली एनजीटी द्वारा मानसून सत्र पर रेत खनन पर पाबंदी लगाई गई थी। पर मानो यह पाबंदी शहडोल में लागू ही नहीं होती या यूं कहा जाए कि शहडोल के जिम्मेदार ठेकेदार के वफादार के प्रति इस कदर नतमस्तक है कि उन्हें ग्राम भुरसी, बोड्डिया, रसपुर समेत अन्य खदानों में चल रही बेखौफ रेत खनन में अपनी आंखें मूंद रखी हैं ।
बोड्डिया में जारी है खनन..
भंडारण के नाम पर बुधिया में ठेका कंपनी के कारिन्दों द्वारा जली जीवो के प्रजनन काल अर्थात मानसून सत्र में भारी मशीनें उतारकर खनन का कार्य कराया जा रहा है, और जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रहे हैं ऐसा नहीं है कि किसी को इस बात की भनक नहीं है जानते सब पर सबकुछ जानकर अनजान बनना भी एक हुनर है। ब्यौहारी के पुराने रेत माफिया भी इन दिनों ठेकेदार के कारिंदे के साथ मिलकर अवैध खनन और परिवहन को अंजाम दे रहे हैं।
भुरसी का हाल बेहाल....
गोहपारू थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम भुरसी के लूनी नदी घाट पर भी वंशिका ग्रुप को खदान आवंटित की गई थी यह वही खदान है जहां बीते दिनों खनिज अधिकारी द्वारा दबिश देकर पोकलेन एवं अन्य भारी वाहन जप्त किए गए थे। निश्चित ही वह एक बड़ी कार्यवाही थी जिस पर गोहपारू पुलिस ने भी वाहवाही लूटने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी। पर एक बार फिर जब मानसून सत्र में रेत खनन प्रतिबंधित होने के बाद भी पोकलेन उतारकर रेत खनन करवाते हुए भारी वाहन लोड करवाये जा रहे है तो देशभक्ति और जन सेवा की कसम खाने वाले जिम्मेदार कोसों दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। प्रतिदिन लगभग 500 तक की रेत गोहपारू जयसिंहनगर शहडोल एवं उसके अन्य आसपास के क्षेत्रों में बेची जा रही है। जिसे बताया तो भंडारण की रेत जाता है किंतु डग्गियों से तर तर बहता पानी नदी से ताजा निकली रेत की कहानी बयां करता है। इतना ही नहीं इसके बावजूद भी ठेकेदार की भूख समाप्त नहीं होती और भारी मात्रा में रेत रीवा इलाहाबाद एवं अन्य क्षेत्रों में भी भेजी जाती है।
बढ़ा दी गई कीमतें...
मानसून सत्र में भंडारण के नाम पर ना सिर्फ रेत का अवैध खनन कराया जा रहा है बल्कि रेत की कीमत भी दुगनी कर दी गई जी हां शहडोल मुख्यालय के आसपास सप्लाई करने वाले छोटे वाहनों को अब रेत ₹6500 में दी जा रही है। 120 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद डग्गी संचालक गाड़ी का मेंटेनेंस, ड्राइवर खलासी का पेमेंट, गाड़ी की किस्त काटकर शहर में रेत लगभग ₹12000 प्रति डग्गी बेच रहा है। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि पुराने दाम पर शासकीय निर्माण का टेंडर लेने वाला ठेकेदार अपने बच्चों का पालन पोषण कैसे करेगा क्योंकि शहडोल में रेत की कीमत 4 गुना बढ़ चुकी है और ठेका राशि तो निश्चित है चलो बड़े ठेकेदार है यह तो अपना काम चला लेंगे पर पीएम आवास का क्या होगा यह बड़ा सवाल है।

कार्यवाही पर अर्चन फौलाद का सीना...
ऐसा नहीं है कि ब्यौहारी एवं गोहपारू क्षेत्र में हो रहे खनन पर स्थानीय जिम्मेदारों ने कभी कार्यवाही की कोशिश नहीं की पर हर बार फौलाद का सीना सामने आ जाता है और बड़ी पहुंच बड़े अधिकारियों की बात बता कर कार्यवाही रोक दी जाती है। जन चर्चाओं की माने तो रेत कंपनी के ठेकेदार संजय शर्मा के खासमखास सुधीर द्वारा अवैध रूप से कराए जा रहे खनन में फौलाद के मजबूत सीने को आगे किया गया है बांकी पर्दे के पीछे सारे कार्य जिम्मेदारों की सह पर अनवरत जारी हैं।




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1.सत्ता पर भारी विपक्ष की ठेकेदारी, आखिर क्यों नतमस्तक प्रशासन एवं नेता...
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