Ticker

6/recent/ticker-posts

चर्चा का केंद्र बना मूक पशुओं से लदा ट्रक,घण्टो तक चली तफ्तीश कार्यवाही शून्य....


ट्रक में ठूंस ठूंस  का भरे गए थे जानवर,तफ्तीश तक सीमित रही कार्यवाही...

ट्रक के अंदर से चीख़ते रहे जानवर, फिर भी नही पसीजा दिल... 

खैरहा पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवालिया निशान...चर्चा का केंद्र बना मामला 

 शहडोल (कोबरा) :  कोविड-19 के इस दौर में लगातार बढ़ रहे संक्रमितों की संख्या और उससे रोकथाम को लेकर सरकार भले ही लाखों इंतजाम कर इसे रोकनें के प्रयास में जुटी हो लेकिन कुछ ऐसे जिम्मेदार भी हैं जो जिनकी गैरजिम्मेदारी से इस महामारी में अचानक ही ईजाफा हो सकता है। मामला जिले के खैरहा थाना ईलाके क्षेत्र का हैं जहां रविवार शाम सैकड़ों ठसाठस सुअरों से लोड़ एक ट्रक को थाने में तैनात एसआई वैष्णवी पाण्डेय पहले पकड़ती हैं और कुछ ही घंटों के बाद खानापूर्ति कर छोड़ देती हैं।लेकिन पूरे मामले की जानकारी जब पत्रकार उनसे लेनें की कोशिश करते हैं तो हमेशा की तरह घंटों तक उनका फोन नहीं उठता और जब बात होती है तो पुलसिया अंदाज में सिर्फ इतना कहकर मामले से किनारा कर लेती हैं कि “मैंने तफ्तीस कर ली है” … लेकिन तफ्तीस के बारे में उनकी चुप्पी  कई सवाल खड़े करती नजर आती है।

आखिर क्या है पूरा माजरा..

प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार की शाम लगभग 4 बजे ठसाठस सुअरों से भरे परिवहन कर रहे ट्रक क्रमांक MH-14-GD-4084 को खैरहा थाना प्रभारी नें थानें के सामनें रोका, लेकिन इस ट्रक से दुर्गंध आनें के कारण उसे लगभग 100 मीटर की दूरी पर खड़ा करा दिया और चालक से लगभग 45 मिनट तक विभिन्न पूछताछ करते हुये दस्तावेजों की मांग की, और कुछ ही देर मे खोखली तफ्तीस पूरी कर क्लीनचिट देकर चलता कर दिया जानकारी के अनुसार ट्रक में ठसाठस सुअर भरे हुये थे। इन सुअरों की आवाज से ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता था कि उन्हें परिवहन करनें वाले कितनी क्रूरता के साथ उनका परिवहन कर रहे थे। सूत्र बताते हैं  इस ट्रक में ले जाये जा रहे कुछ सुअर मृत भी थे। जिनकी बदबू आस- पास फैल रही थी, लेकिन पकड़ा गया वाहन कुछ ही घंटों में बिना किसी कार्यवाही के छोड़ दिया गया। पूरे मामले में जब पत्रकारों नें जब इस संबंध में जिम्मेदार अधिकारी से जानकारी मांगी तो हमेशा की तरह पहले उनका फोन नहीं उठा और जब उन्होनें बात की तो  सिर्फ इतना कहकर पल्ला झाड़ लिया कि हमनें तफ्तीश कर ली है पर तफ्तीश क्या की गई है इसे बताना उचित नहीं समझा।


असुलझे प्रश्नों का नही मिला जवाब ...

खास बात तो यह है कि पशुओं के परिवहन को लेकर जहां तमाम नियम बनाये गये हैं वहीं पशुओं के साथ क्रूरता ना हो इसके लिये सख्त कानून भी है। इन नियमों की बात करें तो पशु परिवहन करते समय उनकी देखभाल के लिए एक परिचारक का भी होना अनिवार्य है तथा पशु परिवहन के दौरान वाहन में अन्य माल की ढुलाई भी पूर्णतया प्रतिबंधित है। इसी क्रम में सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना संख्या जी.एस.आर.546 (अ) द्वारा जारी केंद्रीय मोटरयान नियम (संशोधन) नियम 2015 के नियम 125 (ई) अनुसार पशुधन का परिवहन करने वाले मोटरयानों में पशुओं के लिए स्थान की साइज भी निर्धारित की गई है, जिसके अनुसार गाय और भैंस के लिए 2 वर्ग मीटर, घोड़े के लिए 2.25 वर्ग मीटर, भेड़ बकरी के लिए *0.3 वर्ग मीटर सूअर* के लिए 0.6 वर्ग मीटर प्रति पशु एवं कुक्कुट के लिए 40 वर्ग सेमी प्रति पक्षी के हिसाब से जगह निर्धारित की गई है। लेकिन नियमों के विपरीत ट्रक में इनके परिवहन के समय इंच भर का फासला नहीं था। वहीं तैनात थाना प्रभारी से जब पूरे मामले में पत्रकारों नें जानकारी मांगी तो वह यह भी नहीं बता सकीं कि सुअरों को परिवहन करता उक्त ट्रक कहां से आ रहा था, और कहां ले जाया जा रहा था, खास बात तो यह भी है कि उक्त ट्रक में इन पशुओं को परिवहन करनें से संबंधित ऐसे क्या दस्तावेज मौजूद थे जिसे देखनें के बाद तैनात जिम्मेदार नें कुछ ही देर में परिवहनकर्ता को क्लीनचिट दे दी। जबकि हमारी टीम  की पडताल मे साफ तौर पर सामने आया है कि सैकडों सुअरो का परिवहन कर रहे इस वाहन के दस्तावेज भी पूर्ण नही थे।  जनचर्चा के मुताबिक चैकिंग के नाम पर पदस्थापन के बाद से ही लगातार वसूली करने वाली शिकायत सामने आ रही है।

Post a Comment

0 Comments