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काला काल: उच्च शिक्षा विभाग के आदेश को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने बताया धता

 


मूल पद में वापसी के आदेश के बाद भी कुर्सी में डटे कुलसचिव, एक माह बीते अभी भी कुलसचिव डा आशीष तिवारी





भर्ती घोटाले मामले में जांच के आदेश के बाद मीडिया से मुंह चुराते दिख रहे कुलपति और विश्वविद्यालय  प्रबंधन..


भोपाल डेस्क


इंट्रो : विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा मानो भरसक  प्रयास किया जा रहा है कि समय के साथ भर्ती घोटाले मामले को ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया जाए यही कारण है कि जांच के आदेश जारी होने के बाद से कुलपति ने मीडिया के सवालों से दूरी बना ली है, इतना ही नहीं उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कुल सचिव आशीष तिवारी को मूल पद में वापसी के आदेश लगभग एक माह पूर्व जारी हो चुके हैं इसके बाद भी कुलसचिव आशीष तिवारी का कुलसचिव की कुर्सी पर अवैध कब्जा बरकरार है। प्रतीत हो रहा है कि भर्ती घोटाले की पोल खुल ना जाए  इस वजह से पूरा जोर लगा कर कुलपति द्वारा कुलसचिव को कुर्सी में  रोक रखा गया है।



शहडोल: अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत तो आप सभी ने सुन रखी है मानो इसी तर्ज पर इन दिनों शहडोल का पंडित शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय संचालित है,कुलपति प्रोफेसर रामशंकर में जबसे पंडित शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय शहडोल का बतौर कुलपति प्रभार लिया है विश्वविद्यालय विवादों को लेकर प्रदेश भर में सुर्खियां बटोर रहा है। सहायक अध्यापक भर्ती घोटाले के मामले मैं पंडित शंभूनाथ विश्वविद्यालय की प्रदेश ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी हुई है..। जिसका जिम्मेदार कौन है यह आप स्वयं समझदार हैं स्वयं जानते हैं।  कुलपति और कुलसचिव एक ही बात का रट्टा लगाए हुए हैं की भर्ती नियमत: की गई है जबकि प्रबंधन के जारी आदेशों में भी इस बात का उल्लेख है कि भर्ती संबंधी नियमों का पालन नहीं किया गया। खैर कहावत तो यह भी है कि धुआं तभी निकलता है जब आग लगती है आखिर क्यों तत्कालीन  कुलपति मुकेश तिवारी के कार्यकाल में की गई भर्तियों पर इस प्रकार के आरोप नहीं लगे यह एक बड़ा सवाल है।


कुर्सी पर डटे डॉ आशीष तिवारी

28 दिसंबर 2022 में उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा जारी आदेश में पंडित शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ आशीष तिवारी के मूल पद में वापसी के आदेश जारी किए गए थे। साथ ही शहडोल पंडित शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय का कुलसचिव डॉक्टर आई के मंसूरी को नियुक्त करने के आदेश जारी हुए। लेकिन इस आदेश को लगभग एक माह से ज्यादा समय जारी हुए हो चुका है और अभी भी बतौर कुलपति डॉ आशीष तिवारी ही कुर्सी में अवैध रूप से का काबिज बताए जा रहे हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि कहीं भर्ती घोटाले से पोल ना खुल जाए इसी वजह से कुर्सी में श्री तिवारी कुलपति के निर्देशानुसार डटे हुए तो नहीं है। बहरहाल कुलसचिव ने मीडिया से दूरी बनाई हुई है और विश्वविद्यालय में जनसंपर्क अधिकारी की नियुक्ति आज दिनांक तक नहीं हुई है।



भर्ती घोटाले में पर्दा डालने का प्रयास 


गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया था कि भर्ती घोटाले में विज्ञापन व अन्य नियमों का पालन नहीं किया गया है जिस वजह से कार्यसमिति की बैठक लेकर आगामी भर्ती घोटाले संबंधी कदम उठाकर उच्च शिक्षा विभाग को सूचित किया जाना था। लेकिन इस संबंध में भी प्रबंधन द्वारा कोई कार्यवाही आज दिनांक तक नहीं की गई अथवा बंद दरवाजों के बीच में कुछ पत्राचार किए भी गए हो तो कुलपति अथवा कुलसचिव इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़ने को मानो राजी ही नहीं है। बताया यह भी जा रहा है कि एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र को दिए गए वर्जन में किसी प्रकार के पत्र जारी होने की बात को भी कुलपति ने नकार दिया है।



विभाग के आदेश का नहीं पालन


उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा 28 दिसंबर को जारी आदेश में कुलसचिव पंडित शंभूनाथ विश्वविद्यालय डॉ आशीष तिवारी को मूल पद प्रोफेसर पद हेतु वापसी के आदेश जारी किए गए थे लेकिन इस बात को 1 माह बीत गए और वापसी नहीं हुई इस दौरान विश्वविद्यालय प्रबंधन ने मीडिया से दूरियां बनाए रखने दूरभाष का उत्तर ना देने का भरसक प्रयास किया, लेकिन 1 फरवरी को पुलिस अधीक्षक शहडोल को किए गए पत्राचार में इस बात का खुलासा हुआ कि डॉ आशीष तिवारी अभी भी अवैध रूप से कुलसचिव के पद में काबिज हैं, जबकि उन्हें आदेश का पालन करते हुए मूल पद पर वापसी करनी थी, उसके बाद यह प्रश्न उठता की श्री मंसूरी बतौर और कुलसचिव ज्वाइन कर रहे हैं या नहीं। 



मेरी मर्जी की तर्ज पर  विश्वविद्यालय प्रबंधन


प्रतीत हो रहा है कि पंडित शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय प्रबंधन इन दिनों मेनी मर्जी की तर्ज पर काम कर रहा है, जैसे मीडिया के सवालों का जवाब नहीं देंगे कौन हमारा क्या कर लेगा..? उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी मूल पद में वापसी के आदेश का पालन नहीं करेंगे कौन हमारा क्या कर लेगा? यहां तक कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश कार्यसमिति की बैठक लेकर भर्ती घोटाले संबंधी निर्णय का भी पालन हम नहीं करेंगे कौन हमारा क्या कर लेगा..?? की तर्ज पर काम करता विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रतीत हो रहा है। यही नहीं दीक्षांत समारोह में अनियमितताओं संबंधी समाचार के संबंध में स्पष्टीकरण अथवा कार्यवाही भी मेरी मर्जी की तर्ज पर होगी और कौन क्या कर लेगा..?? जैसे सवाल भी खड़े हो रहें है। तो सवाल यह भी है कि आदेशों को लगातार प्रबंधन धता बता रहा है और उच्च शिक्षा विभाग की खामोशी बरकरार है, कहीं विभाग की खामोशी उच्च शिक्षा मंत्री के रिश्तेदारों की नियुक्ति होने के आरोपों पर मुहर लगाने का कार्य तो नहीं कर रहा। खैर जंगलराज के खिलाफ जनसरोकार की दृष्टि से हमारी जंग जारी रहेगी अगले अंक में कुछ अन्य सवालों के जवाब हम आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।


इनका कहना है

फोन पे में शुल्क लेने की धोखाधड़ी की शिकायत बतौर कुलसचिव मेरे द्वारा की गई है,मूल पद पर वापसी के आदेश  जैसा अभी कुछ नही है।( और ठीक है कह कर महोदय ने फोन काट दिया)

डॉ आशीष तिवारी

कुलसचिव प. शंभूनाथ विश्वविद्यालय


(वही इस संबंध में जानकारी के लिए कुलपति प्रो. राम शंकर जी से दूरभाष में संपर्क साधने का प्रयास किया गया तो हमेशा की तरह उन्होंने मीडिया से अपनी दूरी बनाई रखी और फोन नहीं उठाया)


(इस संबंध में जानकारी हेतु अवर सचिव मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग मिलन सिंह भलावी से दूरभाष में संपर्क करने का प्रयास किया गया किंतु किन्ही कारणों बस उनसे संपर्क नहीं हो पाया)

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