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हिमाद्री सिंह और प्रमिला सिंह नहीं तो कौन....?? लोकसभा टिकट को लेकर कयावद शुर!!


क्या नए चेहरे पर लगेगी मोहर ..या फिर बागियों बेदाग छवि के नेताओं को मिलेगा महत्व

विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड जीत मिली जिसके बाद अब लोकसभा चुनाव के लिए अब कुछ ही माह शेष है जो कि बहुत विषेष है मंत्री मंडल के गठन को लेकर लिये गये निर्णय यह बात को लेकर स्पष्ट कर रहे है कि भाजपा संगठन अलग ही मूड में है ऐसे में पार्टी पुराने दागी, दलबदलू व्यक्तिवाद से प्रेरित प्रत्याषियों को नजर अंदाज कर नये पर मोहर लगा सकती है। जहां शहडोल उमरिया के लिए हिमांद्री सिंह की लोकप्रियता लगभग शून्य बताई जा रही तो भाजपा विधायको की तुलना कुत्ते से करने वाले नेताओं पर पार्टी भरोसा करेगी यह मुष्किल है।


शहडोल। भाजपा सांसदों का मूल्यांकन जनवरी 2024 में होगा, इस बार जैसी जरूरत, वैसा ही भाजपा ने लोकसभा के लिहाज से संभावित प्रत्याशियों की लिस्ट बनाने के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई है। भाजपा ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए अपने संभावित कैंडिडेट्स को चुनने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस बार हर राज्य की अलग-अलग राजनीतिक जरूरतों के हिसाब से प्रत्याशी तय हो सकते हैं, क्योंकि जातीय जनगणना और समुदाय आरक्षण की मांग के बीच सियासी समीकरण नए मोड़ ले रहे हैं। इस बार ये भी मुमकिन है कि जीत की ज्यादा संभावनाओं वाली ए कैटेगरी की सीटों पर भी पार्टी प्रत्याशी बदल सकती है। यह समिति उम्र, जीत की संभावना, उम्मीदवार की जाति, लोकसभा क्षेत्र के विकास, सीट की समस्याएं तथा प्रमुख विरोधी दलों के संभावित उम्मीदवारों की प्रोफाइल बना रही है। भाजपा राज्यों के प्रभारी महासचिव, राज्य के संगठन महासचिव और मुख्यमंत्री के फीडबैक के आधार पर सीटों का मूल्यांकन कर रही है। 


स्क्रीनिंग, मूल्यांकन और समीक्षा

भाजपा कुछ सीटों के प्रत्याशियों को लोकसभा चुनाव घोषित होने से पहले भी तय किया जा सकता है। भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले ज्यादा सीट जीत सके, इसके लिए संभावित उम्मीदवारों के अलावा लोकसभा सीटों की स्क्रीनिंग जरूरी है और पार्टी इस काम में लग गई है। बिहार और उत्तर प्रदेश में जातीय जनगणना की मांग के चलते सीटों के जातीय समीकरण आने वाले दिनों में प्रभावित हो सकते हैं। इसे ऐसे समझें कि यदि ओबीसी समुदाय बाहुल्य सीटों पर मौजूदा भाजपा सांसद दूसरी जाति का है तो उसकी सीट अगले लोकसभा चुनाव में बदल सकती है। भाजपा राज्यों के प्रभारी महासचिव, राज्य के संगठन महासचिव और मुख्यमंत्री के फीडबैक के आधार पर सीटों का मूल्यांकन कर रही है। जनवरी के दूसरे हफ्ते से मौजूदा सांसदों के तरफ से किए गए डेवलपमेंट वर्क की समीक्षा का काम शुरू करने की योजना है। प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया में भाजपा के सहयोगी दलों के संभावित प्रत्याशियों को लेकर भी विचार होगा।


मंत्रीयों की तर्ज पर नये चेहरे 

मध्यप्रदेष शासन ने मंत्री मण्डल विस्तार के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चाए जोरो पर है कि पार्टी पुराने धूमिल चेहरो पर फिर से भरोसा जतायेगी या फिर मंत्री मण्डल के भांति ही प्रत्याषी चयन में भी नये चेहरो को महत्व दिया जायेगा। ऐसे में यदि नये प्रत्याषियों को लेकर विचार किया जाता है तो दो नाम प्रमुखता से आते है एक है पूर्व विधायक श्रीमती प्रमिला सिंह दूसरा पूर्व आयोग अध्यक्ष नरेन्द्र मरावी इसके अलावा शहडोल जिला मुख्यालय से कुछ चेहरे मनोज आर्मो, श्रीमती संचिता सरवटे, अनूपपुर मुख्यालय से रामलाल रौतेल तो उमरिया से श्रीमती कुसुम सिंह जैसे नाम भी चर्चे में है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पार्टी विभिन्न माध्यमों से मौजूदा सांसदों के विकास कार्यो की समीक्षा और कार्यों के मूल्याकंन के आधार पर टिकट देने की तैयारी में है ऐसे में सांसद ही श्रीमती हिमांद्री सिंह की टिकट कटनी लगभग तय मानी जा रही है।

 

हिमांद्री और प्रमिला ही क्यों नहीं 

सांसद हिमांद्री सिंह को राजनीति विरासत में मिली भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेन्द्र मरावी से विवाह के बाद पैतीक राजनीतिक/पार्टी को छोड हिमांद्री सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल हुई लेकिन क्षेत्र में लोकप्रियता विकास कार्य आम जन के दुखदर्द में साझेदारी जैसे अन्य मुद्दो पर हिमांद्री सिंह की टिकट कटने की अटकले लगाई जा रही है। तो वहीं जिस चुनाव में हिमांद्री सिंह को भाजपा के बैनर तले जीत मिली उसी चुनाव में भाजपा की विरोध में भाजपा की पूर्व विधायक श्रीमती प्रमिला सिंह ने ही चुनाव लडा। अपने राजनीतिक कैरियर में दलबदलू का ठप्पा लगने के बाद लोकसभा चुनाव के दौरान श्रीमती प्रमिला सिंह ने मंचो से भाजपा को खूब कोषा तो वही भाजपा की विधायक की तुलना कुत्ते तक से ही कर डाली उसके बाद भाजपा में वापसी तो हुई लेकिन पार्टी ने जयसिंहनगर विधानसभा चुनाव में प्रमिला सिंह पर भरोसा नहीं जताया।  


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