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एसडीओ निलंबन की मांग, 9 वर्ष बीते नहीं हुआ ब्रिज निर्माण कार्य पूरा

लगभग 5 करोड़ शासकीय रकम खर्च, 9 वर्ष बीते, अधूरा ब्रिज निर्माण, खतरे में सैकड़ो जिंदगी 


 विकास के नाम पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है फिर भी उसका पूरा लाभ आम आदमी को नहीं मिलता शहडोल के श्याम डीह में हाल कुछ ऐसे हैं कि लाभ तो दूर की बात है निर्माण कार्य की वजह से सैकड़ो जिंदगियां खतरे में है बहरहाल कमिश्नर की पहल पर मार्ग बंद कर दिया गया है लेकिन नव वर्ष बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य पूर्ण न होना सेतु निर्माण विभाग के एसडीओ डी एस मरकाम मरकाम और ठेकेदार शिवकुमार पटेल की मिलीभगत का परिचायक साबित हो रहा है, अब देखना यह होगा कि विभाग के भ्रष्ट अधिकारी पर नवागत कमिश्नर क्या ठोस कदम उठाते हैं।

शहडोल : शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर श्याम डीह में लगभग 9 वर्षों पूर्व 2016 में लगभग 5 करोड़ की लागत से श्याम डीह ग्राम को कनवाही और चुहरी जैतपुर क्षेत्र से जोड़ने के लिए ब्रिज का निर्माण कार्य सेतु निर्माण विभाग द्वारा प्रारंभ कराया गया कार्य बखूबी तेजी से हो रहा था तभी हत्या के मामले में तत्कालीन एसडीओ के निलंबन के बाद सेतु निर्माण विभाग शहडोल की कमान भ्रष्ट लापरवाह एसडीओ डी एस मरकाम को मिली और वह दिन है और आज का दिन लगभग 9 वर्ष बीत जाने के बाद भी ब्रिज का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुआ तो वही आधे अधूरे ब्रिज के साथ पहाड़ काटकर बनाई गई मौत की खाई नुमा रास्ते के साथ लापरवाही पूर्वक विभाग और ठेकेदार ने आवागमन भी प्रारंभ कर दिया बहरहाल मीडिया और हमारे लोकप्रिय कमिश्नर के हस्तक्षेप के बाद आवागमन बंद हुआ लेकिन अब आवागमन बंद होने से स्थानीय लोगों का आक्रोश और फूट रहा है तो वही लोग नव वर्ष बाद भी निर्माण कार्य पूर्ण होने को लेकर एसडीओ पर निलंबन की कार्यवाही की मांग कर रहे हैं।


जाने क्या है पूरा  मामला 

लोक निर्माण विभाग के सेतु निर्माण शाखा शहडोल द्वारा संभागीय मुख्यालय के समीप आदिवासी अंचल श्यामडीह में आमजन की समस्याओं को मद्देनजर रखते हुए करोड़ों की लागत से सोन नदी पर सेतु निर्माण का कार्य कराया गया लेट लतीफ ही सही सेतु निर्माण का कार्य अधूरा है हालांकि जनता को विभाग की लापरवाही और ठेकेदार की मनमानी की वजह से काफी लंबा इंतजार भी करना पड़ा लेकिन काफी लंबे इंतजार के बाद अब तक यह ब्रिज का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हुआ है तो ग्रामीण और मजदूरों को ब्रिज का लाभ उठाने के लिए अपने जान की जोखिम में डालकर ब्रिज तक पहुंचाना पड़ रहा है श्यामडीह की ओर से जैसे ही ब्रिज क्रॉस किया जाता है तो शुरू होती है मौत की खाई,कम शब्दों में कहा जाए तो ग्राम को ब्रिज से जोड़ने के लिए विभाग और ठेकेदार द्वारा मिट्टी के लगभग 60 से 75 फीट ऊंचे टीले को काटकर रास्ता बनाया गया है,जिससे आये दिन किसी न किसी कोने से मिट्टी धसकती है हालांकि अब तक कोई भी बड़ा हादसा नहीं हुआ लेकिन ईश्वर न करे यदि यह टीला दशक गया और ग्रामीण इसके नीचे दब गए तो ग्रामीणों के शव निकालने में लगभग 72 घंटे का समय प्रशासन को लगेगा। जिसकी फिक्र ना विभाग को थी ना ठेकेदार को।

दाव पर सैकड़ो जान 

विभाग ने अपनी कारगुजारी और लापरवाही छुपाने के लिए ब्रिज का निर्माण कार्य पूर्ण होने के पूर्व ही ग्रामीणों का आक्रोश वरिष्ठ अधिकारियों तक न पहुंचे इस हेतु रास्ता और ब्रिज आंशिक रूप से प्रारंभ कर दिया हालांकि बड़े वाहन अभी भी नहीं गुजर रहे थे, लेकिन मजदूर और ग्रामीण ब्रिज का उपयोग करना प्रारंभ कर चुके थे लेकिन ग्रामीणों और मजदूरों ने  मरता क्या ना करता खाईनुमा  पहुंच मार्ग का उपयोग करना प्रारंभ कर दिया हालांकि जब तक मजदूर खाई नुमा मार्ग से गुजरते हैं तो उनकी नजर ऊपर की ओर ही रहती है की कहीं  ऊपर से मिट्टी की दीवाल उन पर गिर ना पड़े फिर भी जैसे-तैसे अपने जान को दाव पर लगाकर दिहाड़ी की लालच में कम समय में गंतव्य तक पहुंचने के लिए मजदूर और ग्रामीण मार्ग का इस्तेमाल करते हैं, हालांकि किसी बुद्धजीवी  ने समय रहते एक बड़े संभावित हादसे को भापते हुए मौत की खाई नुमा रास्ते की शुरुआत के पूर्व ही टंच लाइन ( नाली) जेसीबी से खुदवा दी  ताकि कोई बड़े वाहन उक्त मार्ग से ना निकले क्योंकि यदि बड़े वाहन उक्त मार्ग से निकलते हैं तो उसके वजन अथवा वाइब्रेशन से मिट्टी धसक सकती है।

कमिश्नर की पहल पर बंद हुआ रास्ता

नव वर्ष बीत जाने के बाद भी ब्रिज का निर्माण कार्य पूर्ण न होने ट्रैक्टर चार पहिया वाहन जैसे वाहनों की आवाजाही न होने और सड़क के नाम पर खाई नुमा 50 फीट पहाड़ छोड़ देने पर नाराज ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव के पूर्व आक्रोशित  होकर पुल के समीप जमकर नारेबाजी की लेकिन प्रशासन के किसी नुमाइंदे ने उनकी खबर लेनी वाजिब नहीं समझा, हमारी टीम के माध्यम से जब यह बात कमिश्नर शहडोल संभाग तक पहुंची तो उन्होंने तत्काल प्रभाव में एक्शन मोड पर आकर संभावित अप्रिय घटना दुर्घटना के पूर्व ही विभाग के अधिकारी को भेज कर आवागमन तत्काल प्रभाव से बंद कराया। वही इस दौरान दस मरकाम और ठेकेदार मीडिया और हमारी टीम के सवालों से बचते नजर आए तो उन्होंने इस मामले में अर्थात निर्माण कार्य में लेट लतीफी और खाई नुमा सड़क निर्माण को लेकर बाइट  देने से भी इंकार कर दिया। जन चर्चा है कि तय अनुसार 2% कमीशन एसडीओ साहब पूर्व में ही ठेकेदार से ले चुके हैं और अब अतिरिक्त 2 % की मांग को लेकर  ठेकेदार का बिल रोक रखा है यही कारण है कि निर्माण कार्य अधूरा है सूत्रों की माने तो कथित भ्रष्ट एसडीओ कमीशन की इस रकम से वरिष्ठ अधिकारियों का भी मुंह बंद करवाने की बंदर घुड़की अपने अधीनस्थों को दे रहा है।

लापरवाह और भ्रष्ट है विभाग

शहडोल का सेतु निर्माण विभाग में पदस्थ एसडीओ मरकाम एक लंबे अरसे से सुर्खियों में बने रहे हैं विभाग की अनियमिता जग जाहिर रही हैं लेकिन इस बार तो विभाग की जिम्मेदारों ने सारी हदें ही पार कर दी जिस मौत नुमा रास्ते से ग्रामीण गुजर रहे हैं जहां खड़े होने से आम आदमी की सांस मौत की खाई की डर से अटक रही हैं ऐसा निर्माण कार्य करने के बाद विभाग की जिम्मेदारों ने ना सिर्फ  निर्माण कार्य पूर्ण कह आवगमन को हरी झंडी दिखा दी अपितु पलट कर सुरक्षा का माकूल उपाय सुनिश्चित करने का प्रयास भी नहीं किया, सूत्र बताते हैं कि भ्रष्टाचार की पटकथा लिखते हुए ब्रिज की ऊंचाई कम बनाई गई और अप्रोच बनाने के लिए ठेकेदार शिवकुमार पटेल के साथ मिलकर आनन फानन में काम पूरा कर कर अपने हिस्से का कमीशन लेकर मामला रफा दफा कर दिया तो वंही विस्तृत जांच में विभाग के अन्य करनामें में भी सामने आ सकते हैं। 

एसडीओ निलंबन की मांग

विभाग और ठेकेदार द्वारा जिस प्रकार से मिली भगत कर मौत की खाई खोदी गई है वह निश्चित तौर पर बड़ी लापरवाही है इस मामले को संज्ञान में लेकर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही कलेक्टर शहडोल अथवा कमिश्नर शहडोल को करनी चाहिए क्योंकि यदि इस मौत के खाईनुमा रास्ते से कोई दुर्घटना होती है तो कई ग्रामीणों की जान जा सकती है जिससे प्रदेश भर में शोक लहर और सन्नाटा पसर जाएगा खैर सौ बात की एक बात इस प्रकार के जानलेवा सड़क मार्ग के लिए जिम्मेदार  अधिकारी पर निलंबन की कार्यवाही  के साथ साथ उक्त पूरे निर्माण कार्य की विस्तृत जांच होनी चाहिए। साथ ही तत्काल प्रभाव से उक्त मार्ग को बंद कर इस खाई को पाटने अथवा मिट्टी को हटवाने की माकूल व्यवस्था भी जिले अथवा संभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को करना चाहिए ताकि कोई बड़ी दुर्घटना ना घटे।

इनका कहना है 

जानकारी आपके माध्यम से संज्ञान में आई है संभावित दुर्घटना को मद्देनजर रखते हुए तत्काल प्रभाव से विभाग के अधिकारियों को भेज कर रास्ता बंद कराया जाएगा।

बी एस जामोद 

कमिश्नर, शहडोल संभाग


क्योंकि निर्माण किए गए सड़क की ऊंचाई अधिक हो गई है तो उसके कटाई  के लिए हमारे द्वारा एस्टीमेट भेज कर भोपाल से अन्य रकम की मांग की जा रही है इसके अलावा वन विभाग की अनुमति के लिए भी पत्राचार किया जा रहा है रिवाइज प्रोसेस में है। 10-15 दिन में यदि अनुमति नहीं मिलती तो रास्ता बंद कर दिया जाएगा।

वसीम खान 

कार्यपालन यंत्री, सेतु निर्माण विभाग रीवा 


( वही इस संबंध में कमिश्नर शहडोल के आदेश पर रास्ता बंद करने पहुंचे एसडीओ दस मरकाम से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो वह मीडिया के कैमरे से बचते नजर आए)

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