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धड़ल्ले से जारी जिले में अवैध बोरवेल का खेल, संचालक मस्त प्रशासन फेल..

 


गणेश ने बताया बोरवेल खनन अनुमति के लगेंगे 3 हजार, सक्सेना बिना अनुमति के भी तैयार

जिले की प्रशासनिक व्यवस्था में पटरी होती नजर आ रही है और जिम्मेदार समाज बिन बने नजर आ रहे हैं आलम यह है कि बोरवेल संचालक धड़ल्ले से ग्राहकों को नियम और कायदो को रौंदने की फीस बता रहे हैं। कोई बोरवेल संचालक कहता है कि बिना अनुमति बोरिंग नहीं करेंगे और एसडीएम आफिस से अनुमति लेने के लिए ₹3000 लगेंगे तो दूसरा बोरवेल संचालक तथाकथित ग्राहक को फोन में यह बताता है की धर पकड़ बहुत चल रही है घर पकड़ थोड़ी शांत हो जाए तब बोर कर देंगे, हालांकि बात और ग्राहक हमारी टीम द्वारा की जा रही बात की बात किसी ग्रामीण ग्राहक से नहीं मीडिया से हो रही है बोरवेल संचालक ने बात बदलने मनगढ़ंत आरोप लगाने के बहुत प्रयास किया लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि जिले में प्रशासनिक कसावट शून्य पर है और बोरवेल संचालक अपनी मनमानी पर उतारू है।

शहडोल। जिला प्रशासन के सबसे वरिष्ठ अधिकारी कलेक्टर ग्रीष्मकालीन सत्र गिरते जलस्तर को लेकर मानसून सत्र तक खनन पर पाबंदी लगाते हैं और निचले स्तर के कर्मचारी पाबंदी का फायदा उठाकर तीन-तीन हजार रुपए की रिश्वत लेकर खनन की अनुमति देते हैं यह हम नहीं कहते यह कहती है हमारी टीम की तफ्तीश जिसमें बोरवेल संचालक ने हमारे टीम के एक सदस्य को ग्राहक समझकर एसडीएम कार्यालय से अनुमति लेने की फीस ₹3000 रुपये  बताइ इतना ही नहीं जिले में नलकूप खनन पर लगी पाबंदी की पोल भी कथित गणेश बोरवेल के संचालक ने दूरभाष में खोल दी, गणेश बोरवेल संचालक ने बताया कि रात के अंधेरे में विभिन्न ग्रामीण अंचलों में दलालों द्वारा धड़ल्ले से बिना अनुमति बोरिंग की जा रही है, लेकिन गणेश बोरवेल के संचालक पूर्णतः ईमानदार हैं वे परमिशन लेने के बाद ही बोरिंग अर्थात नलकूप खनन करेंगे लेकिन नलकूप खनन हेतु अनुमति के लिए 3 हजार रुपया खसरा नक्शा की कॉपी और आवेदन संबंधित विभाग में जमा करना होगा इसके बाद ही अनुमति मिलेगी। 

सक्सेना जी बिना अनुमति भी तैयार 

शहडोल सोहागपुर स्थित विराटेश्वरी बोरवेल कंपनी के संचालक सक्सेना जी से हमारी टीम द्वारा तफ्तीश की श्रखला के दौरान गोहपारू के समीप 1 ग्राम में बोरवेल खनन की बात कही गई तो सक्सेना जी ने साफ तौर पर बताया कि इस समय धरपकड़ तेज है हाल ही में कमिश्नर शहडोल के निर्देश पर कार्यवाही हुई है कुछ दिन बाद मामला शांत होने के बाद बोर किया जा सकेगा.. हालांकि जब तक बोरवेल संचालकों को यह समझ में आया कि उनकी बात किसी ग्राहक से नहीं किसी मीडिया बंधु से हो रही है तो सब ने अपने-अपने स्तर पर अपनी अपनी बात संभालने की कोशिश की लेकिन तब तक वह बोरवेल के नाम पर जिले में चल रहे खेल की पोल लगभग खोल चुके थे।

तफ्तीश में बोरवेल संचालको ने की पुष्टि

गुरुवार की शाम हमारी टीम द्वारा अरविंद मिश्रा के नाम से विराटेश्वरी बोरवेल संचालक के संचालक सक्सेना जी को दूरभाष में अरविंद मिश्रा निवासी दियापीपर बनकर बोरवेल के लिए संपर्क किया गया तो सक्सेना जी ने बताया कि माहौल बहुत टाइट है रास्ते में गाड़ी धड़पकड़ चल रही है, अभी थोड़ा मुश्किल है माहौल शांत होने दीजिए फिर बोरिंग करा देंगे, अभी एक गाड़ी गोपारु थाने में खड़ी है कार्यवाही हुई है, कमिश्नर साहब डायरेक्ट पकड़-पकड़ करवा रहे हैं, अभी बड़ी मुश्किल है फिर भी देखते हैं नही तो 15 जून तक रुक लीजिये, इसी क्रम में जब गणेश बोरवेल संचालक को फोन लगाया गया तो संचालक ने ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही टोटल बोरिंग को दलालों द्वारा अवैध रूप से करने की बात कही साथ ही अनुमति के बाद अनुमति अर्थात ₹3000 में अनुमति मिलने के बाद बोरिंग करने की बात कही, इसी क्रम मैं अंतिम फोन  गोहपारू लेदरा  निवासी रामानुज गुप्ता को किया गया तो उन्होंने भी बोरवेल नलकूप खनन करने के लिए अपनी स्वीकृति दी हालांकि गुप्ता जी ने दो टूक शब्दों में कहा कि या तो तहसील से परमिशन ले आए या फिर ₹3000 पुलिस को देना पड़ेगा बाकी शेष बातें फोन पर नहीं लेदरा में आकर करने की बात रामानुज गुप्ता जी ने कही।

आरोपों और टालमटोल का सिलसिला

लगभग तीनों बोरवेल संचालकों को तफ्तीश के दौरान अंतिम में यह समझ में आ गया कि यह कोई ग्रामीण ग्राहक नहीं अपितु कोई मीडिया बंधु है जो पूछपरक कर रहा है तीनों ने अपनी बातें सुधारने का भरसक प्रयास किया जैसे किसी को कोई पैसा नहीं देना होता बिना अनुमति बोरिंग नहीं होती यही नहीं कुछ नहीं तो ब्लैकमेलिंग जैसे आरोप लगाने भी शुरू कर दिए... ताकि किसी हिसाब से मामला ठंडा हो सके गोहपारु निवासी रामानुज गुप्ता ने एसपी ,कलेक्टर, 20 आदमी लेकर धरना, आंदोलन तक की चेतावनी दे डाली हालांकि दोबारा फोन लगाकर कुछ घंटे बाद गुप्ता जी हमारी टीम को ही अपनी बातों में फसाने का प्रयास कर रहे थे लेकिन फिर अपनी बातों में उलझ गए और साथ ही यह भी कहा कि इस तरह फोन करने से अच्छा होता आप डायरेक्ट फोन कर लेते.. खैर फोन कर लेते का मतलब तो आप समझ ही रहें हैं। सक्सेना जी ने इसी क्रम में जिस नंबर से फोन आया था उसको अपना रुआब दिखाने का प्रयास किया, गणेश बोरवेल संचालक ने भी अपनी बात सुधारी  और सब ब्लैकमेलिंग करते  हैं कहकर फोन काट दिया।

प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल

हम यह नहीं कहते कि जिले के तमाम अधिकारी भ्रष्ट हैं अथवा रिश्वतखोर हैं पर एक बात तो स्पष्ट है कि कहीं ना कहीं आग लगी है तो धुआं उठ रहा है जिस हिसाब से धड़ल्ले से बोरवेल संचालक स्थानीय महकमें पर इल्जाम लगा रहे हैं तो यह बात तो स्पष्ट है कि उनके प्रशासन से निचले स्तर पर मिली भगत है जिनको मैनेज करने के लिए रूपयो की मांग की जाती है, अब सवाल यह उठता है कि कलेक्टर की पाबंदी को अमल में लाने के लिए तहसील अनुभाग नगर और जनपद स्तर पर अधिकारी बैठे हुए हैं क्या इन अधिकारियों का कलेक्टर के आदेशों को अमल में लाना कर्तव्य नहीं है, क्या निचले स्तर के कर्मचारियों की उदासीनता से इसी प्रकार से कलेक्टर के आदेश पर बोरवेल संचालक पलीता लगाते रहेंगे या बोरवेल संचालकों पर ठोस कार्यवाही होगी गौरतलाप है कि पिछले अंक में हमारी टीम द्वारा जिले के तमाम बोरवेल संचालकों की बोरवेल मशीन में जीपीएस लगाने की मांग प्रमुखता से उठाई गई थी इसके अलावा जिले में कौन-कौन अवैध रूप से बोरवेल  कर रहा है इसकी जानकारी भी समाचार के माध्यम से प्रशाशन तक लाई गई थी।

इनका कहना है

अवैध नलकूप खनन को लेकर जानकारी आपके माध्यम से संज्ञान में आई है, कार्यालय द्वारा किसी प्रकार का कोई अनुमति के लिए चार्ज नहीं लिया जाता आप रिकार्डिंग शिकायत हमे भेजें हम जांच कराकर कार्यवाही करेंगे।

आईएएस अरविंद शाह

एसडीएम सोहागपुर


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