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असवारी और बोदाटोला कनेक्शन... नियम से हटकर बोल्डर खनन, क्रेशर संचालन पर सवाल..

 


गजेंद्र परिहार 

शहडोल : शहडोल में खनन माफिया की कमी थी क्या जो दमोह और सागर से आए खनन माफियाओं ने शहडोल में अपना कब्जा जमा लिया जी हां जी क्रेशर को और खदान को तत्कालीन कलेक्टर सत्येंद्र सिंह द्वारा सीज कराया गया था उसे क्रेशर पर असवारी के क्रेशर संचालक ने पुनः अपना कब्जा कर लिया है, अब कहने को तो तिवारी जी बोल्डर या तो खरीद रहे होंगे या गोहपारु के असवारी स्थित अपने बोल्डर खदान से खुदवा रहे होंगे लेकिन यह बात सिर्फ कहने की है सूत्रों का कहना तो यह है कि जिस खदान और जिस क्रेशर को सीज किया गया था जिला प्रशासन को चुनौती देकर कथित तिवारी जी वहीं पर पुनः खनन कर रहे हैं। हालांकि एक वक्त तिवारी जी का खूब जलजला था दो नंबर वाले साहब से तिवारी जी की पटती थी और उन्होंने उस वक्त खूब खेल खेले कभी कभी अपने क्रेशर के पड़ोस में लगे दादा के क्रेशर से जा रही गिट्टी जप्त कराई तो कभी पेट्रोल पंप से लगे गोहपारू मुख्य मार्ग के दादा भाई के क्रेशर की गाड़ियां जप्त कराई।

बोदाटोला में चालू नया खेला...

जिला प्रशासन द्वारा टीम भेज कर जी क्रेशर को लगभग 3 वर्षों पूर्व सीज कर कार्यवाही की गई थी उसी क्रेशर को कथित क्रशर संचालक द्वारा लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व पुणे चालू कराया गया था जिस पर कोबरा की खबर पर संज्ञान लेकर तत्कालीन कलेक्टर वंदना वेद ने खनिज निरीक्षक प्रभात पट्टा को भेज कर क्रेशर को पुनः सीज करने की कार्यवाही की थी तब से क्रेशर के मूल संचालक के हौसले पस्त बचाए जा रहे थे लेकिन प्रशासन से पंगा लेने और कलेक्टर से दो दो हाथ करने की जो कथित गोहपारू के माफिया ने जो ठानी क्रेशर का संचालन पुन प्रारंभ हो गया अब देखना यह होगा की कार्यवाही क्या होगी। हालांकि तिवारी जी बॉर्डर के लिए कभी शहडोल के महाराज का नाम खराब करते हैं तो कभी कोई और बहना बताते हैं।

बोल्डर खदान की हो जांच 

जानकार सूत्रों की माने तो असवारी में कथित तिवारी जी की खदान न सिर्फ लीज से बाहर जा चुकी है अपितु डीजीएमएस के कायदो के भी परे है तो वही खदान की गहराई उत्खनन किए गए बोल्डर की मात्रा सहित वृक्षारोपण ना करना ग्रीन परदे ना लगवाना, फेंसिंग बाउंड्री वॉल ना होना जैसे मापदंडों की कार्यवाही खनिज विभाग को करनी चाहिए। इसके अलावा गोहपारू जयसिंहनगर में संचालित अन्य क्रेशर संचालकों द्वारा भी नियमों को धता बताया जा रहा है पर भी कार्यवाही अवश्य होनी चाहिए अब देखना यह होगा कि संवेदनशील कलेक्टर अवैध पत्थर खनन नियमों को धता बताने के मामले में क्या कार्रवाई करते हैं।



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