जब शिक्षक बना कायदों का भक्षक..!! कथित हत्यारे अज्जू और सहयोगी अमित बने सिपहसालार
शहडोल की बसें कीमती भूमि भूमाफियाओं के लिए चारागाह में तब्दील हो गई है, हालांकि इस लूट खसोट पर तत्कालीन कलेक्टर तरुण भटनागर ने पूर्ण रूप से रोक लगा दी थी कई खसरा नंबर अभी भी स्थगन की मार झेल रहे हैं लेकिन इस बीच शासकीय भूमाफिया डीएस ने फिर अपना कार्य प्रारंभ किया और बड़े पैमाने पर अवैध प्लाटिंग का कारोबार प्रारंभ करते हुए अपराधी अज्जू को लेकर अवैध प्लाटिंग शुरू की और लगभग 8 से 10 प्लाट बिक्री की खबर भी सामने आ रही है।
रिजवान खान
शहडोल: तत्कालीन कलेक्टर तरुण भटनागर ने जिले में अवैध भू कारोबार पर लगभग 100ः अंकुश लगा दिया जिसके बाद भू माफियाओं के हौसले टूट गए तो वही तत्कालीन कलेक्टर के स्थानांतरण के बाद शासकीय माफिया या यू कहे कि शिक्षक के भेस में छुपे भूमाफिया ने अवैध रूप से प्लाटिंग का खेल फिर से प्रारंभ कर दिया है बताया जाता है कि शहडोल जिला मुख्यालय के जमुई में बड़े पैमाने पर डी एस और अज्जू ने अवैध प्लाटिंग शुरू की है जहां रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के सहारे धड़ाधड़ रजिस्ट्री की जा रही हैं लेकिन शायद कथित भूमाफिया यह भूल बैठे हैं कि प्लाट की रजिस्ट्री के लिए कलेक्टर अनुमति अनिवार्य है और अवैध प्लाटिंग में उन्हें अनुमति मिलेगी नहीं ऐसे में नुकसान उन्हें होगा जिन्होंने भारी रकम देकर कथित भूमाफियाओं से प्लाट क्रय किया है।
पूर्व में किए हैं कई खेल
जन चर्चाओं के अनुसार कथित भूमाफिया शिक्षक डीएस ने पूर्व में भी जिला मुख्यालय के इर्द-गिर्द बड़ी पैमाने पर अवैध प्लाटिंग को अंजाम दिया था जिसमें तत्कालीन कलेक्टर द्वारा जांच भी गठित की गई थी लेकिन तहसीलदार मित्र भारत सोनी के सहयोग से फाइल ठंडे बस्ते के हवाले कर दी गई इतना ही नहीं चर्चा यह भी थी कि फाइल में डी एस का नाम हटाने के लिए लाखों का लेनदेन हुआ था तो वही कथित माफिया का दूसरा सहयोगी अज्जू पूर्व में भी हत्या से जुड़े मामले में सुर्खियों में रहा है, बताया जाता है की जमीन के पीछे हत्या तक के वारदात को अंजाम देने तक की कोशिश कर डाली थी।
तत्कालीन कलेक्टर ने लगाया था प्रतिबंध
तत्कालीन कलेक्टर तरुण भटनागर ने अवैध प्लाटिंग पर बड़ी कार्यवाही करते हुए गोहपारु गोरतरा विचारपुर सहित आसपास के तमाम विशिष्ट ग्रामों में अवैध प्लाटिंग से जुड़े खसरा नंबरों में खरीदी बिक्री प्रतिबंधित करते हुए जांच गठित की थी तो वही साहब के ट्रांसफर के बाद अनुभाग स्तर पर सेटिंग कर भूमाफिया अपने-अपने खसरा क्रमांक को प्रतिबंध से हटाने के प्रयास में जुटे थे तो इन्हीं सबके बीच कथित भूमाफियाओं ने कार्य करने का नया तरीका निकाला और बड़े पैमाने पर अवैध प्लाटिंग जमुई में प्रारंभ कर दी।
बिक्री के लिए अनुमति अनिवार्य
भोले भाले ग्राहकों को रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के सहारे प्लाट की बिक्री तो कथित भू माफिया कर रहे हैं और ग्राहकों को कलेक्टर अनुमति जल्द मिलने का आश्वासन भी दिया जा रहा है लेकिन ईमानदार कलेक्टर केदार सिंह के राज में शोर सिफारिश अथवा पीछे के रास्ते से अनुमति लगभग असंभव बताई जा रही है ऐसे में जब एक खसरा नंबर में केवल तीन ही अनुमति मिलेगी तो कथित भू माफिया क्या करेंगे बताया यह भी जा रहा है कि एग्रीमेंट के सहारे कथित भूमाफिया जमीन की बिक्री कर रहे हैं ऐसे में वास्तविक भूस्वामी को भी अवैध प्लाटिंग के तहत दिक्कत हो सकती है।
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