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रेत और कोयले के डग्गी तक सीमित मैडम की ईमानदारी..?? रेंजर और टीम निकली भ्रष्टाचारी


फिर चर्चे में दक्षिण वन मंडल अधिकारी शहडोल,क्या भ्रष्टाचार में है हिस्सेदारी,जो सुरक्षित है भ्रष्टाचारी 



इधर भोपाल तक पहुंची पीलिंग लिंथ/ वीनियर मामले की शिकायत..!! क्या EOW और लोकायुक्त जांच का है सीसी सड़क भ्रष्टाचार मामले में इंतजार



जंगल में जंगल राज या यूं कहां जाए कि शहडोल के दक्षिण जंगल विभाग में जंगल राज इन दिनों हावी है, अनूपपुर में अनिल ओर आकाश को पीलिंग लिंथ मशीन की अनुमति देने को लेकर दक्षिण वन मंडल अधिकारी की शिकायत राजधानी के गलियारों में गूंज रही है, नोटिस के बाद चार्जसीट की प्रक्रिया भी पूर्ण हो चुकी है तो दूसरी ओर बहुचर्चित वन सीसी सड़क पर भ्रष्टाचार का मामला भी समय के साथ ठंडे बस्ते के हवाले किया जा रहा है जहां बड़े पैमाने पर व्यापक भ्रष्टाचार को छुपाने की कोशिश की जा रही है अब इसमें डीएफओ सीसीएफ की क्या भागीदारी अथवा भूमिका है यह तो स्पष्ट कहना मुश्किल है लेकिन यह तो स्पष्ट है कि एक जुलाई से चल रही जांच को धीरे-धीरे ठंडे बस्ते के हवाले करने का प्रयास डीएफओ और सीसीएफ कर रहे हैं आरोप लग रहें है की मलाई मिलकर खाई और सब मिलकर अब लाखों के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं ऐसे ने मजदूरों की मजदूरी अटक गई है जिससे मजदूर परेशान है। गौरतलब है कि जिन सड़कों में भ्रष्टाचार का हम उल्लेख कर रहे हैं इस क्षेत्र में आए दिन रेत के छोटे वाहनों पर कार्यवाही करने मैडम का दौरा जारी रहता था ऐसे में मैडम को घटिया गुणवत्ता एवं एस्टीमेट से हटकर बनी सड़क ना देखी हो यह तो आश्चर्य की बात है जनचर्चा यह भी है कि मैडम की सख्ती सिर्फ रेत और अन्य गाड़ियों के लिए है अन्य मामलों पर क्या छोटे कर्मचारियों के माध्यम से व्यापक लेनदेन की प्रक्रिया अपनाई गई है। 





शहडोल। ईमानदार अधिकारी दो प्रकार के होते हैं एक जो बिल्कुल रिश्वत नहीं लेते दूसरे जो कि डायरेक्ट रिश्वत तो नहीं लेते, छुटपुट कार्यवाही से भय उत्पन्न करते हैं और फिर निचले स्तर के अधिकारियों के माध्यम से दुगुनी वसूली करते हैं। खैर अब बात करते हैं दक्षिण वन मंडल अधिकारी की जिनके प्रभार लेने के बाद से वन भूमि से अवैध उत्खनन और उत्खनन माफिया प्रमुखता से रडार में रहे लेकिन इसके विपरीत मैडम के कर्मचारी और अधिकारी मैडम के ही नाक के नीचे नरवार जहां हफ्ते में मैडम के लगभग दो दौरा अवैध खनन को लेकर हो जाता है उस स्थान पर भ्रष्टाचार की इबारत लिखते रहे और मैडम को इसकी जानकारी नहीं रही और जब जानकारी दी गई तो जांच की पटकथा प्रारंभ तो हुई लेकिन अब तक उसके कोई रिजल्ट नहीं मिले, और  मजदूरों की मजदूरी अब तक अटकी हुई है मजदूर परेशान हैं हालांकि एक काम बखूबी होना सूत्रों द्वारा बताया गया कि जांच समिति को खरीद फरोख्त की प्रक्रिया शुरू हुई प्रक्रिया में नाकाम होने के बाद जांच का हवाला देकर मामले को फिर ठंडे बस्ते में डालने का सुझाव भ्रष्ट अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों को दी, ऐसे में अब संभागीय मुख्यालय में हाथियों की दस्तक जिसमें मैदानी अमले की ड्यूटी लगाई गई है जिसे जांच अथवा कार्यवाही में कोई प्रभाव नहीं पड़ता का हवाला देकर मामला दबाने का प्रयास जारी है। 







पीलिंगलिंथ अनुमति को लेकर घेरे में डीएफओ

शहडोल में चंबल की रानी की उपाधि प्राप्त डीएफओ साउथ का कार्यकाल विवादों से घिरा रहा है, रेत और  कोयले की छोटी गाड़ियों पर कार्यवाही को लेकर तो मैडम ने खूब सुर्खिया बटोरी लेकिन इसी बीच हुए शिकार के मामले में जमकर मिट्टीपलीत का सामना भी मैडम को करना पड़ा बाद इसके अनूपपुर प्रभार के दौरान पीलिंग़ लिंथ वीनियर मामले में अनुमति को लेकर तत्कालीन सीसीएफ से ठना ठनी की स्थिति भी निर्मित हुई निर्मित स्थिति के बाद जन निकली कि मैडम ने अपने ही रेंजर को सामने कर रेंजरों की टीम तैनात कर सीसीएफ के खिलाफ ही मोर्चा खुलवा दिया ताकि वीनियर फैक्ट्री अनुमति मामला जिसमें तत्कालीन सीसीफ़ अपने डीएफओ को जवाब तलब किया था और मैडम ने नोटिस का जवाब नहीं दिया  वह दबा रह जाए। और फिर यह वन सीसी सड़क घोटाला अब सवाल यह उठता है कि यदि मैडम ईमानदार है तो फिर उनके नाक के नीचे उनके चाहते रेंजर विश्वकर्मा और उनकी टीम ने इस क्षेत्र में जहां आए दिन मैडम का दौरा रहता है वहां इतने व्यापक भ्रष्टाचार को अंजाम कैसे दिया। 

वन सीसी सड़क में लाखों का भ्रष्टाचार 

दक्षिण वन मंडल अंतर्गत छतवई परिक्षेत्र शहडोल अंतर्गत नरवार बिजोरी में पांच सड़क तेंदूपत्ता समिति कोष से स्वीकृत हुई जिनका निर्माण कार्य डीएफओ साउथ के अधीनस्थ वन कर्मियों द्वारा कराया गया जिसमें कुल स्वीकृत राशि लगभग 88 लाख रुपए रही, जिसमें वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार की जमकर होली खेली गई और एस्टीमेट से हटकर सिर्फ एक तिहाई मोटी की सड़क गुणवत्ताहीन निर्माण की गई जिसमें ग्राम वासियों ने आरोप लगाया कि लगभग 88 लाख की सड़क में 10 लख रुपए के सड़क का निर्माण कार्य किया गया और लगभग 25 लख रुपए सप्लायर के नाम पर भुगतान कर दिया गया जबकि ग्राम के मजदूर आज भी मजदूरी के लिए परेशान है उनका मजदूरी भुगतान नहीं हुआ। हालांकि वन विभाग  के अधिकारियों की माने तो सड़क का भुगतान नहीं हुआ है सिर्फ पदार्थ का भुगतान हुआ है लेकिन सवाल यह है कि जब कुल 10 से 12 लाख की सड़क बनी तो 25 लाख का माल कहां खालपा खैर विभाग इस मामले में गोल-गोल जवाब देकर जांच का हवाला देकर मामला रफा दफा करने के प्रयास में जुटा हुआ है।




मजदूरी के लिए मजदूर हो रहे परेशान 

शासन से लाखों की तनख्वाह लेने वाले अधिकारियों को मानों गरीब मजदूर जो दिहाड़ी में अपना जीवन यापन करते हैं उनके दर्द का एहसास ही नहीं है यही कारण है कि करोड़पति सप्लायर को 25 लख रुपए का भुगतान बिना सामग्री के करना बताया गया और गरीब मजदूरों की मजदूरी अब तक देना बाकी है इस बात की जानकारी जब डीएफओ को दी गई तो मैडम ने में बेबाकी से कहा कि रेंजर अपनी तनख्वाह से मजदूरी का भुगतान करेंगे लेकिन मजदूरी का भुगतान आज तक नहीं हुआ मानो यह सब कहने सुनने की बातें हैं गरीब की दिहाड़ी भुगतान की किसी को परवाह ही नहीं है। सूत्रों की माने तो अपने चहेते कठपुतली ठेकेदार को लगभग 25 लाख का भुगतान माल सप्लाई के नाम पर किया जबकि किसी प्रकार के सप्लाई का ठेका हेतु निविदा अथवा कोटेशन आमंत्रित नहीं किए गए कम शब्दों में ग्रामवासियों के अनुसार लगभग 88 लख रुपए में 18 लाख खर्च कर 70 लाख डकार लिए गए और अब मजदूर मजदूरी के लिए परेशान हैं, और वन कर्मियों का डबल फायदा भ्रष्टाचार से कमाई और सरकार तनख्वा तो दे ही रही है। 

भ्रष्ट वनकर्मियों का कब होगी कार्रवाई 

अब सवाल यह उठता है कि एस्टीमेट से हटकर गुणवत्ता विहीन बनी सड़क पर जिम्मेदार भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही कब होगी तो इस बीच सवाल यह भी उठना है की कार्यवाही आखिर क्यों होगी जब वरिष्ठ अधिकारियों का उल्लेखित क्षेत्र जहां सड़क निर्माण हो रहा था वहां लगातार आना-जाना बना था तो निश्चित तौर पर उनकी सहमति से ही यह भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया होगा बहरहाल यह एक कयाश है जो हम और ग्रामीण लगा रहे हैं लेकिन इसकी पुष्टि तब होती दिखाई दे रही है जब सीसीएफ लेवल के अधिकारी रिकवरी तक मामला शांत करने और डीएफओ लेवल के अधिकारी सिर्फ जांच की बात करके मामला रफा दफा करने का प्रयास करें, फिर भले ही इस जांच की आंच से मजदूरों की मजदूरी प्रभावित हो। जन चर्चा यह भी है कि बिल भुगतान और सड़क निर्माण में मैडम की भी हिस्सेदारी थी यही कारण है कि मैडम भ्रष्ट बनकर्मियों को बचाने का प्रयास कर रही है।

इनका कहना है

जानकारी आपके माध्यम से संज्ञान में आई थी शहडोल बैठक के दौरान इस संबंध में दक्षिण वन मंडल अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं उन्होंने बताया कि जांच करने के लिए पीडब्ल्यूडी निर्माण एजेंसी से बातचीत की जा रही है भ्रष्टाचार करने वालों से रिकवरी की जाएगी।

राजेश राय 

मुख्य वन संरक्षक शहडोल/रीवा 


सड़क मामले में किसी प्रकार की अपडेट अभी हम नहीं दे पाएंगे दो दिन से हाथियों का मूवमेंट है अभी किसी प्रकार की जानकारी नहीं दे पाएंगे। 

श्रीमती श्रद्धा पेन्द्रो

दक्षिण वन मंडल अधिकारी शहडोल



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