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वन विभाग में प्रमाणित अनियमितता में चार माह से जारी जांच और पत्राचार का खेल...!!

 



कब होगी दोषियों पर कार्यवाही, क्या दोषी वन कर्मियों को बचाने की है कोशिश


तेंदूपत्ता कोष में सेंध.. अन्य कार्यों की हो जांच लंबित प्रकरण में कार्यवाही की दरकार

शहडोल जिले का दक्षिण वन मंडल अपने करगुजारियों को लेकर प्रदेश स्तर पर सुर्खियां बटोर चुका है फिर चाहे मामला नियम विरुद्ध वीनियर अनुमति देने का हो या फिर मामला हो वन सीसी सड़क में वित्तीय अनियमितता का आलम यह है कि जंगल विभाग में जंगल राज है और जांच के बहाने मामले को ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया जा रहा है जबकि जानकारी के अनुसार नरवार वन सीसी सड़क अनियमितता मामले में दोषी रेंजर, डिप्टी रेंजर सहित अन्य पर कार्यवाही की गाज गिरनी चाहिए थी लेकिन इसके विपरीत ईमानदार बताई जाने वाली डीएफओ श्रद्धा पेंद्रोे पर इस मामले ने ठोस कदम न उठाए जाने से कई सवाल उठ रहे है कि चार महीने से कार्यवाही सिर्फ पत्राचार तक क्यों अटकी है जबकी समिति का जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जा चुका था।





शहडोल। शहडोल के दक्षिण वन मंडल अंतर्गत लगभग 87 लाख की वन सीसी सड़क में अनियमितता या यू कहे कि भ्रष्टाचार और मिलीभगत की भेंट चढ़ी सड़क में चार माह बीत जाने के बाद भी ठोस कदम नहीं उठाए गए मामला सिर्फ पत्राचार और अनुशंसा तक सीमित रह गया हालाकि पूर्व में डीएफओ द्वारा यह बयान दिया गया था कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही हेतु प्रतिवेदन भेजा गया है किन्तु वह प्रतिवेदन कहां सिमट कर रह गया यह भी जांच का विषय है, बहरहाल रेंजर, डिप्टी रेंजर सहित दोषी समस्त स्टाफ की पौ बारह रही तो दूसरी ओर चार माह बीतने पर भी जांच अब तक अधूरी बताई जा रही है जिसमें पीडब्लूडी जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों के मध्य पत्राचार का खेल जारी बताया जा रहा है लेकिन जांच पूरी नहीं हुई या संभव है की जांच को जानबूझकर पूरा नहीं होने दिया जा रहा है। 






चार माह जांच पूरी नहीं हुई 

मध्य प्रदेश राज्य लघु वन उपज सहकारी संघ मर्यादित शहडोल द्वारा मामले की जांच का रिपोर्ट सौंपी गई थी जिसमें व्यापक अनियमितता उजागर हुई थी वहीं इस मामले में वन विभाग द्वारा पीडब्ल्यूडी की टीम से जांच कराकर कार्यवाही करने की बात कही गई थी लेकिन चार माह हो गए अब तक जांच नहीं हुई और मामला समय के साथ ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया। गौरतलब है कि वन विभाग द्वारा अपनी भी पांच सदस्य टीम गठित की गई थी लेकिन उसे टीम का भी कोई निर्णय अथवा जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई और ना ही उसे रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्यवाही की गई अब वही है बताया जा रहा है कि पीडब्ल्यूडी की टीम जांच नहीं कर रही इस वजह से कार्यवाही रुकी हुई है। कुल मिला कर पूर्व में दिया गया बयान की कार्यवाही हेतु पत्राचार किया गया है भी जांच की भांति ही ठंडे बस्ते में है और प्रतीत हो रहा है कि वरिष्ठ अधिकारी भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम कर रहे है।






जाने क्या है मामला

जून के अंतिम सप्ताह में भ्रष्टाचार का एक मामला सामने आया जिसे प्रमुखता से हमारे द्वारा प्रकाषित किया गया तेंदूपत्ता समिति से दक्षिण वन मंडल शहडोल अंतर्गत छतवई परिक्षेत्र के नरवार बिजौरी निपानिया में लगभग 87 लाख की लागत से पांच सड़कों का निर्माण किया जाना था जिसमें व्यापक भ्रष्टाचार व अनियमिता समिति के जांच रिपोर्ट में प्रमाणित हुई थी बहरहाल मामले में वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी जांच रिपोर्ट की गेंद एक दूसरे के पाले में फेंक कर मामला रफादफा करने का प्रयास किया जा रहा है।

यह था प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में 

मध्य प्रदेश राज्य लघु वन उपज सहकारी संघ द्वारा प्रदेश प्रतिनिधि अनूप सिंह परिहार एवं जिला अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह के मार्गदर्शन में सोप गई जांच रिपोर्ट में बताया गया कि उल्लेखित कार्यों का मापदण्ड के तहत (प्राक्कलन) के अनुसार कार्य नहीं कराया गया। मौके पर पाया गया की तेन्दूपत्ता कार्य का निरीक्षण प्राक्कलन के आधार पर 6.5 मीटर चौडाई एवं 20 से.मी. ऊच्चाई बेस का प्रावधान था जिसके स्थान पर 3.75 चौड़ाई में एवं ऊचाई 10 से.मी. पाई गई। एवं प्राक्कलन के आधार और रोड की उँचाई 14 इंच होना है तथा 35 से.मी. मिक्सिंग कार्य होना था जबकि उक्त कार्य 4 ईन्च 10 से.मी. का कार्य पाया गया जो की घोर अनियमितता की श्रेणी में आता है इसके अलावा रोड में 3 मीटर पर गैस पास कटिंग हेतु प्रावधान था वह कार्य नहीं पाया गया। उपयोग की गई रेता की क्वालिटी मिटटी युक्त एवं खराब पाया गया। वह आज भी मौके पर डम्प है। यह पूर्णत खराब है। एवं मटेरियल का टेस्ट रिपोर्ट नही प्रस्तुत किया गया। इस्तेमाल की गई सीमेंट की क्वालिटी खजुराहों ब्राण्ड जो कि लूज सीमेंट ठेकेदार द्वारा उपलब्ध कराया गया जिससे रोड क्वालिटी खराब पाया गया। एवं मिटटी का कार्य 40 एमएम 30 एमएम दो लेयर पर कार्य किया गया जबकि प्राक्कलन को आधार पर में 20 एमएम से एक स्टेप में 14 इंच बनाना था। मौके पर नहीं पाया गया। सड़कों में साइड फीलिंग हार्ड सोल्डर (कड़ी मुरूम) से करना था यह नहीं कराया गया इसके साथ ही सीसी रोडो की लम्बाई पूर्ण नहीं पाई गयी। सम्पूर्ण सीसी रोडों के निर्माण कार्य में 1अनुपात 4अनुपाते 6 मसाला से सीसी रोड बनाया गया। एवं अंतिम बिंदु में बताया गया की निपनिया मे 5.50 चौ. एवं 20 से.मी. ऊचाई होना था जिसे 40 एवं 20 एम एम से गिटटी कार्य किया जाना था जो जिसकी 3.75 चौ. एवं 10 से.मी. मौके से पाया गया। एवं जी० एस०बी० का कार्य होना नहीं पाया गया। कुल रोड की ऊचाई 7 से 8 इंच 18 से 20 से.मी. पाई गई। जो स्टीमेट के कम पाया गया। उपरोक्त कार्य संतोषजनक नहीं पाया गया एवं बिन्दु क्र. 01 से 11 तक सम्पूर्ण जानकारी अग्रिम कार्यवाही हेतु सादर सम्प्रेषित है।

इनका कहना है

हमारे द्वारा पीडब्ल्यूडी शहडोल को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया था लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि वे कलेक्टर शहडोल के निर्देष पर ही जांच करेंगे हमने जांच हेतु पत्राचार किया है रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही की जायेगी।



श्रद्धा पेन्द्रो

डीएफओ साउथ शहडोल


जानकारी आपके माध्यम से संज्ञान में आई है हम दिखवाते है क्या कार्यवाही अथवा जांच हो रही है।


अनुपम सहाय

फील्ड डायरेक्टर बीटीआर/सीसीएफ शहडोल


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