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कोबरा विश्लेषण: सवा सौ दिन और बीस लाख, अपनी ही कार्यशैली पर साहब ने लगाया प्रश्न चिन्ह...!





शहडोल (कोबरा- मुहिम ) : इसमे कोई शक नहीं है की सूबेदार अभिनव राय के प्रभार लेने के बाद यातायात व्यवस्था काफी सुधरी है लेकिन इस व्यवस्था की तुलना यदि उनके प्रारंभिक कार्यकाल से की जाए तो आज की व्यवस्था को लचर कहना भी गलत नही होगा । स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित एक खबर  व यातायात विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार शहडोल यातायात विभाग द्वारा सूबेदार अभिनवराय की निगरानी में उनकी टीम द्वारा जनवरी माह से अप्रैल माह के बीच में यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्यवाही करते हुए लगभग बीस लाख का राजस्व शाशन के खाते में पहुंचाया गया है जो की निश्चित ही सराहनीय है लेकिन इस राशि का अधिकतम भाग छुटपुट कार्यवाहियों से प्राप्त हुआ है जिसकी पुष्टि भी कथित  समाचार पत्र द्वारा की गई है। मामले में विचारणीय तथ्य यह है कि यदि आंकड़ों को न्यूनतम पैमाने पर रखा जाए तो शहर में रेत परिवहन के काम में लगभग एक सैकड़ा मिनी ट्रक अथवा डग्गीयां संचालित है और लगभग इससे दुगने कैपसूल वाहन यातायात की सीमा में दौड़ते हैं, फिर भी यातायात विभाग द्वारा ओवरलोडिंग कार्यवाही में चार माह में सिर्फ 40 वाहनों पर ही कार्यवाही की गई है जिनसे लगभग एक लाख बत्तीस हजार रुपये का राजस्व वसूल किया गया है।

आंकड़े लगा रहे कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह...
आंकड़ों की मानें तो ओवरलोडिंग कार्यवाही से प्राप्त राजस्व कुल वसूल किये गये राजस्व
का एक चौथाई भी नहीं है । जब की शहडोल की सड़कों पर भारी  वाहनों की आवाजाही का शोरगुल 24 घंटे गूंजता रहता है आंकड़ों के अनुसार 4 माह में सिर्फ 40 ओवरलोड वाहनों पर कार्यवाही की गई है मतलब औसतन प्रतिमाह सिर्फ 10 वाहन ही ओव्हर लोड पाए गए है। यदि हम यह मान लेते है कि रेत परिवहन करने वाली 100 वाहन प्रति दिन मात्र एक चक्कर काम ही कर रहे तब भी महीने के 3000 चक्कर होते हैं मतलब आंकड़ो के अनुसार  इन तीन हजार चक्करो में सिर्फ 10 वाहन ही ओवरलोड रहते हैं । हालांकि जमीनी हकीकत क्या है यह जानना है तो आपको शहर का मात्र दो चक्कर ही लगाना पड़ेगा और आप सारी हकीकत से वाकिफ हो जाएंगे। हमारे द्वारा आंकड़े न्यूनतम लिए गए हैं जबकि हर वाहन मालिक प्रतिदिन कम से कम पांच चक्कर का टारगेट लेकर चलता है।

कैप्सूल पर क्यों मेहरबान हैं साहब...
24 घंटे शहर के बाईपास में दौड़ते कैप्सूल  कि यदि गिनती की जाए तो यह आंकड़े भी रेत के वाहनों से कम नहीं है फिर भी यह वाहन बेरोकटोक जांच के जद से बाहर क्यो है यह एक बड़ा प्रश्न बना हुआ है सूत्रों की माने तो चाँद खा%न नामक व्यक्ति द्वारा इन वाहनों से पांच हजार प्रतिमाह की वसूली कर यातायात प्रभारी के पास पहुंचाया जाता है , जिस वजह से साहब इन पर मेहरबान रहते हैं । इतना ही नहीं बीते दिनों कैप्सूल वाहन चालक द्वारा मीडिया से मुखातिब होकर इस बात का खुलासा किया गया था जो वाहन ₹5000 प्रतिमाह देते हैं उन पर कार्यवाही नहीं होती। जिसका खुलासा हमारी मुहिम के आगे के अंक में किया जाएगा ।

नोएंट्री की एक भी कार्यवाही का नही जिक्र...
शहर में भारी वाहन धड़ल्ले से नगर के मुख्य मार्गो में परिवहन करते नजर आते हैं जो कि दिन के समय पूर्णता प्रतिबंधित है फिर भी नो एंट्री संबंधी किसी प्रकार की कार्यवाही का उल्लेख ना तो कथित समाचार पत्र द्वारा किया गया ना ही इस प्रकार की कोई जानकारी यातायात विभाग से प्राप्त हुई...शहर के मुख्य मार्गो पर लगे सीसीटीवी कैमरा की फुटेज चेक की जाए तो इस बात का खुलासा हो सकता है कि कितने वाहनों क्षेत्र में परिवहन पर यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं। लेकिन शहर के अंदर कार्यवाही होती है तो सिर्फ छोटे वाहनों पर। ऐसे में कार्यवाही पर अपनी पीठ थपथपाना जगहँसाई जैसा साबित हो रहा है.?





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