Ticker

6/recent/ticker-posts

सावधान इस दफ्तर में घूंस नही देने पर मिल सकती है गालियां...!


मोदी जी की डिजिटल योजना की तर्ज पर डिजिटल हुई बाबू की घूसखोरी : शिकायत
इंट्रो : एक और देश के मुखिया लोगों को डिजिटल करने के प्रयास में जुटे हुए हैं तो दूसरी ओर प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री कमलनाथ भ्रष्टाचार को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं ऐसे में तहसील के बाबू ने केंद्र और प्रदेश दोनों सरकारों के निर्देश का पालन करते हुए डिजिटल भ्रष्टाचार को जन्म दिया जिसकी शिकायत आदिवासी महिला द्वारा कलेक्टर शहडोल से की गई मामला यहीं समाप्त नहीं होता घूस की रकम पूरी ना मिलने पर कथित बाबू ने तो आदिवासी महिला का जातिगत अपमान कर उसे तहसील न्यायालय के बाहर कर दिया ।

शहडोल(कोबरा) : न्यायालय में भले ही लाखों मामले लंबित पड़े हो किंतु आज भी जब बीच बाजार दो लोगों की लड़ाई होती है तो वे एक दूसरे को यही कहते नजर आते हैं कि मैं तुझे कोर्ट में देख लूंगा फिर चाहे मामला जमीन का हो संपत्ति का हो या मारपीट का । न्याय की देवी के कक्ष में सभी को सिर्फ न्याय की उम्मीद होती है और भरोसा होता है कि जो भी होगा ईमानदारी से होगा । किंतु इस भरोसे और ईमानदारी पर भ्रष्टाचार का ग्रहण तब लगा जब गरीब आदिवासी महिला अपना दुखड़ा सुनाने जिले के मुखिया कलेक्टर ललित दाहिमा के पास पहुंची। पीड़िता ने लिखित शिकायत देकर न्याय की गुहार  कलेक्टर से लगाई की तहसील न्यायालय में पदस्थ रजनीश मिश्रा नामक बाबू द्वारा ना सिर्फ सेजरा में नाम दर्ज करने के एवज में पीड़िता से ₹10000 की डिमांड की बल्कि पूरी रकम ना मिलने पर पीड़िता का जातिगत अपमान भी किया ।

जब डिजिटल हुआ भ्रष्टाचार...
शिकायतकर्ता आदिवासी महिला द्वारा शिकायत में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि शाहदरा में नाम दर्ज करने के एवज में तहसील न्यायालय में पदस्थ रजनीश मिश्रा द्वारा ₹10000 रिश्वत की दिमाग आदिवासी महिला से की गई थी। कितने रुपए ना होने की दरखास्त जब महिला द्वारा कथित बाबू से की गई तो प्रतिउत्तर में बाबू द्वारा कुछ रकम देने की बात कही गई जिस पर शिकायतकर्ता आदिवासी महिला द्वारा मोबाइल नंबर से लिंक अकाउंट में ₹1000 ट्रांसफर कराए गए किंतु फिर भी काम ना होने और डिमांड को मद्देनजर रखते हुए महिला द्वारा कर्ज लेकर ₹2000 साहब को दिए गए। मामले का विचारणीय पहलू यह है की घूस की रकम जो कभी टेबल के नीचे से ली जाती थी आज कैशलेस हो गई और बाबू प्रत्यक्ष रूप से बैंक अकाउंट में घूस की रकम मंगाने लगे हैं हालांकि इस बात की पुष्टि तो बैंक स्टेटमेंट की जांच के बाद ही हो पाएगी लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा की यही समय है जिसे घोर कलयुग कहा जाए जब भ्रष्टाचार भी डिजिटल हो चला।

कलेक्टर से लगाई गुहार...
आम आदमी जो कि हमेशा कोर्ट कचहरी लिखा पढ़ी शिकायत करने कराने से कतराता नजर आता है  उसने कलेक्टर ललित दाहिमा के पदस्थापना के बाद जिला प्रशासन के बदले कार्यप्रणाली गामीण अंचलो में जनसुनवाई, बुजुर्गों का सम्मान, लापरवाही बरतने वालो की छुट्टी आदि जैसे कार्यो से प्रभावित होकर खुल कर भ्रष्टाचार का विरोध करने का साहसिक कदम उठाया है, और कथित बाबू द्वारा किये गए भ्रष्टाचार और अपमान की लिखित शिकायत करते हुए न्याय की गुहार लगाई है। सूत्रों की मानें तो पूर्व में भी कथित बाबू को जिले के मुखिया द्वारा चेतावनी दी जा चुकी है अगर ऐसा है तो उसके बाद भी यह कृत्य जिला प्रशासन को खुली चुनौती देने का कार्य कर रहा है।


( वंही उक्त शिकायत के संबंध में जब एसडीएम सुरेश अग्रवाल से दूरभाष में संपर्क साधने के प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नही हो पाया) 






Post a Comment

0 Comments