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omg...अजब है यह कहानी यंहा उल्टा चलता है पानी !










कोबरा न्यूज में पढ़ें 
कैसे किसानों की समस्या को बढ़ाने खर्च किये गए करोड़ो ......?

 हमारी जुबानी.....ऐसी पकाई भ्रष्टाचार की खिचड़ी की उल्टा चढ़ने लगा पानी 


यूं तो किसानों की समस्या कम करने के लिए प्रशासन द्वारा करोड़ों खर्च किए जाते हैं पर यह मामला अनोखा है जहां करोड़ों खर्च करके प्रशासन/ जल संसाधन विभाग द्वारा किसानों की समस्या बढ़ाई गई है । जी हां चरम पर पहुंचे भ्रष्टाचार का नतीजा है की आमाझिरिया की इस नहर में बांध का पानी खेतों तक पहुंचने के स्थान पर खेत का पानी बांध में घुसता है।अर्थात शहडोल के भ्रष्टाचार के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ की काम एकदम उलटा हुआ पानी भी उल्टा चलने लगा फिर भी ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया।



शहडोल(कोबरा)।  भ्रष्टाचार के तो कई किस्से आपने सुन रखे होंगे पर जलसंसाधन विभाग में चरम पर फैले भ्रष्टाचार की पराकाष्टा तब सामने आई जब जयसिंहनगर जनपद क्षेत्र के  ग्राम पंचायत आमाझिरिया मे मानकों और उद्देश्य को शत-प्रतिशत चुनौती दे रही  नहर का पूर्ण भुगतान ठेकेदार को कर दिया गया और बीते पांच वर्ष अर्थात निर्माण के समय से ही नहर का पानी या सिंचाई से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। नहर का घटिया निर्माण तो मानो चीख चीख कर स्वयं बता रहा है। क्योंकि जब नहर में पानी ही नहीं तो फिर नहर का निर्माण कितना गुणवत्तापूर्ण और मानकों के अनुरूप हुआ यह स्वयं उजागर होता है। ज्ञातव्य है कि करोड़ोंं की लागत से बनी यह नहर लगभग 8 किमीं लंबी है लेकिन इसका एक प्रतिशत लाभ आज तक किसी किसान को नहीं मिला।
आठ माह रहती है सूखी 
जिस उद्देश्य के लिए नहर बनाई जाती है और जिन मानकों के लिए नहर का निर्माण कार्य कराया जाता है उन मानकों की शत-प्रतिशत उपेक्षा का नतीजा है कि बारिस के चार महीनों को अगर नजरअंदाज किया जाए तो बाकी वर्ष भर नहर सूखी पड़ी रहती है। जबकि वर्ष भर बांध में एकत्रित पानी नहर  के माध्यम से विभिन्न गांवो तक पहुंचना चाहिए। आपको बता दें कि नहर में पूरा मामला सिर्फ ढाल (स्लोप) पर आधारित होता है बांध जहां से नहर शुरू होती है वहां से ढाल नहर के अंतिम छोर तक लगातार घटती जाती है। जिससे धारा प्रवाह वर्ष भर बना रहता है पर इन बातों का आमा झिरिया की नहर से कोई संबंध नहीं है।
चार माह उल्टा चलता है पानी
वैसे तो वर्ष के 8 माह उल्लेखित नहर में सूखा पड़ा रहता है किंतु  वर्षा के समय भ्रष्टाचार और मिलीभगत की पोल तब खुलकर सामनेआती है जब विभिन्न ग्रामों का पानी नहर के माध्यम से उल्टा बांध में ही घुसता है और फिर ओव्हर फ्लो होने की वजह से बांध के आसपास का क्षेत्र भी कृषि योग्य नहीं रह जाता है। इससे तो यही अच्छा होता कि नहर बनवाई ही नहीं जाती तो कम से कम बारिस में एकत्रित पानी ही किसानों के काम आता।
मिलकर पकाई भ्रष्टाचार की खिचड़ी
नियमों की बात करें तो निर्माण कार्य के मानक एसडीओ द्वारा निर्धारित किए जाते हैं, सब इंजीनियर का कार्य होता है कि स्वयं की निगरानी में वह ठेकेदार से मानकों के अनुरूप गुणवत्तायुक्त कार्य कराए। और वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है कि समय समय पर निर्माण कार्य और रखरखाव का निरीक्षण करें किंतु यहां सूत्रों की माने तो एसडीओ आरएम द्विवेदी व ठेकेदार ने मिलकर नहर के नाम पर ठेका पूर्ति करते हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार को अंजाम दे डाला और अधिकारियों ने भी इसमें घालमेल करते हुए मूक सहमति दे डाली।
इनका कहना है 
आमाझिरिया नहर के निर्माण के संबंध में  शिकायतें मिलते ही कार्यवाही की जाएगी। संभव है कि मैं स्वयं ही नहर का मौका मुआयना करुंगा।
आरबी प्रजापति
कमिश्नर, शहडोल
जानकारी आपके माध्यम से संज्ञान में आई है, किंतु अभी मैं मीटिंग में हूं बाद मेें दिखवाता हूं।
बीपी मिश्रा, ईई जलसंधान विभाग




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