पढ़ें : क्या है काले कारोबार की जमीनी हकीकत, कैसे होता है खनन परिवहन का यह खेल
पहुंच से दूर मास्टरमाइंड,पर्दे के पीछे से नचा रहा कठपुतली
इंट्रो - प्रशासन की कोरोना वायरस से चल रही जंग में भंग डालने का काम कर रहे हैं कोयलांचल के दो बहुचर्चित माफ़िया..! प्रशासन ने कई बार बटुरा की अवैध खदानों को बंद कराने लाखो खर्च किये किंतु बंद करने में लगे समय से भी कम समय में माफिया सुरंग फिर खोल लेते हैं और बड़ी से गाड़ी दफ्तरों के चक्कर काटने लगती है फिर क्या अवैध खनन का सिलसिला फिर शुरू हो जाता है।फिर काम जोरो पर छह आठ महीने चलता है प्रतिदिन लगभग आधा दर्जन हाइवा कोयला लेकर तमाम थानाक्षेत्रों से होकर कटनी तक जाते हैं और फिर कोरमपूर्ति करते हुए प्रशासन द्वारा खदाने बंद कराई जाती हैं और सिलसिला यूँ ही चलता रहता है।
शहडोल (कोबरा- तहकीकात) : कोरोनावायरस कोविड-19 नामक वैश्विक महामारी से पूरा विश्व लड़ रहा है और जिला प्रशासन कोरोनावायरस को रोकने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहा है हालांकि इसमें कोई शक नही की कलेक्टर शहडोल की ही मेहनत है कि आज शहडोल जिला फिर कोरोना मुक्त है । किन्तु दूसरी ओर जिले के कोयलांचल में सक्रिय माफिया सोशल डिस्टेंस ,मार्क्स, सैनिटाइजर जैसे निर्देशों से परे लगभग एक सैकड़ा मजदूरों की मदद से दिन-रात कोयले का अवैध उत्खनन करा रहे हैं कई मजदूरों की तो इन्ही सुरंगों में समाधि बन चुकी है जिसके मामले फाइलों में बंद है तो कुछ न्यायालय में विचाराधीन । इतना ही नहीं प्रशासन को मुंह चिढ़ाने की कहावत तो तब चरितार्थ हुई जब बटुरामें संचालित तमाम अवैध कोयला खदानों की फिलिंग हाल ही में जिला प्रशासन द्वारा करवाई गई और सप्ताह भी नहीं बीता की माफियाओं ने खदानों के मुहाने को फिर खोल लिया है। खदान बंद करने और खोलने की प्रक्रिया काफी समय से अनवरत चली आ रही है किंतु जिले से माफिया राज खत्म नहीं हुआ लाकडाउन में इस भर्रेशाही को देखते हुए हमारी टीम द्वारा प्रशासन तक इस काले कारोबार की काली हकीकत पहुंचाने हेतु मुहिम छेड़ी गई है।
इन पर लागू नही होता कर्फ़्यू
दिनभर मजदूरों की जान जोखिम में डालकर माफियाओं द्वारा सैकड़ों मीटर गहरे सुरंगों में कोयला खनन का कार्य कराया जाता है और शाम 7:00 बजे के बाद जब जिले में कर्फ्यू प्रभावशील होता है तो स्थानीय लोगों की मदद से जेसीबी लगाकर लगभग आधा दर्जन हाईवा प्रतिदिन लोड किए जाते हैं। लोडिंग रात 12:00 बजे से लेकर 3:00 बजे तक की जाती है इस दौरान प्रतिदिन एक एक इत्तेफाक ऐसा होता है कि हाईवे से लगे इन अवैध कोयला खदानों पर पेट्रोलिंग कर रहे किसी पुलिसकर्मी की नजर नहीं पड़ती इतना ही नहीं उल्लेखित क्षेत्र में कर्फ्यू भी प्रभावशील नहीं होता है, थोड़े-थोड़े समय अंतराल में एक-एक कर ये हाईवा अमलाई बुढार कोतवाली सोहागपुर थाना क्षेत्रों की सीमा पारकर उमरिया के रास्ते कटनी के लिए रवाना हो जाते हैं।
अभी तो प्रशासन ने खर्चे थे लाखो...
वैसे तो जिला प्रशासन द्वारा कई बार इन खदानों के मुहाने बंद कराए गए थे किंतु अवैध उत्खनन बंद कराने में जिला प्रशासन हर बार असफल ही साबित हुआ है। ऐसा नहीं है कि उल्लेखित क्षेत्र में अवैध खनन पर कभी अंकुश नहीं लगा अवैध उत्खनन और मजदूरों की मौत के बढ़ते मामलों को मद्देनजर रखते हुए कई साल पहले जिला प्रशासन द्वारा सक्रियता दिखाते हुए उल्लेखित क्षेत्र में सीआरपीएफ की एक टुकड़ी तैनात की गई थी जिसके बाद उत्खनन लगभग थम सा गया था किंतु अब कार्यवाही के नाम पर प्रशासन के पास मानो सुरंगो के मुहाने पटवाने का ही झुनझुना बचा हुआ है जिसके लिए जीसीबी, टेंट, मुनादी,फ्लाईएश में हर बार लगभग लाखो रुपये बर्बाद किये जाते है।
इसकी टोपी उसके सर...
जिले में यह बात किसी से छिपी नहीं है यह कोयले का कारोबार किसका है। लेकिन कोयले की कालिख में सराबोर बहुचर्चित माफिया अब सफेदपोश हो गए हैं। हालांकि अशोक का नाम आगे कर माफिया जमकर बल्लेबाजी कर रहे हैं इतना ही नही अवैध कोयले के अन्य गढ़ों में कई छुटपुट माफिया सक्रिय है जो प्रतिमाह कोयले की कालिख से लगभग पचास लाख तक अंदर कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ सवाल नीचे है जिनके जवाब आने वाले अंक में आपको पढ़ने को मिलेंगे।
सवाल न. 1)- करोड़ो के इस काम मे क्या है बहुचर्चित आरक्षक की भूमिका..?
सवाल न. 2)- कैसे बनता है कोयला अवैध से वैध, कौन दे रहा डीओ.?
सवाल न.3)- काम शुरू होने से पहले क्यो दफ्तरों के बाहर नजर आती है बड़ी गाड़ियां..?
सवाल न.4)- कथरी ओढ़ कर कौन खा रहा घी कौन है सफेदपोश साइलेंट पार्टनर ?
सवाल न.5)- हाइलेवल मैनेजमेंट की चर्चा की क्या है जमीनी हकीकत..?
सवाल न.6)- अन्य छह स्थानों में कौन कौन करा रहा कोयला तस्करी..?
सवाल न.7)- फैक्ट्री संचालक ने डीओ के नाम पर क्या किया गड़बड़झाला..?
सवाल न.8)- लाकडाउन में कैसे उजागर थी जादू की फैक्टरी..?
सवाल न.9)- अवैध कोल खनन प्रोत्साहन में क्या है फ़ैक्टरी संचालक की भूमिका...?
सवाल न.10)-प्रतिमाह करोड़ो के मुनाफे का कैसे होता है बंदरबांट..?
सवाल न.11)- हाल में ही हुई कार्यवाही से कैसे जुदा हुआ मुख्य सरगना..?
सवाल न.12)- कोयले से अदना सा कर्मचारी कैसे बना करोड़ो का मालिक..?
सवाल न.13)- बुढ़ार व सोहागपुर की कार्यवाही में किस वजह से आया फर्क..?
सवाल न.14)- चंगेरा और रामपुर से प्रशासन ने अब तक क्यो बना रखी दूरी..?
सवाल यहीं खत्म नहीं होते हैं माफियाओं के नगरी में ऐसे कई और सवाल दफन हैं जिनकी जड़ें मुख्यालय तक पहुंची हुई है। पूरे सिस्टम को समझने के लिए व अंदरूनी जनाकारी के लिए कई महीने तक उल्लेखित क्षेत्र में तहकीकात करनी पड़ी है ,कई बार तो इन्वेस्टीगेशन के दौरान माफियाओं से फोन में तीखी नोक- झोंक का भी शिकार होना पड़ा है। पर अनन्तः तहकीकात का सिलसिला समाप्त हुआ जिसका खुलासा अग्रिम अंको में किया जाएगा।




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