खनिज व डीजीएमएस के कायदों की स्टेट हाईवे के समीप उड़ रही धज्जियां...!
शहडोल:( कोबरा- खनन खलनायक) शहडोल जिले के सीमा पर अनूपपुर के सरई ग्राम के समीप या यूं कहें कि शहडोल- डिंडौरी- मंडला- नागपुर स्टेट हाईवे में सरई घाट के समीप पत्थर खनन में खनिज व विस्फोटक कायदों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। सिंहपुर थाना क्षेत्र के बाद जब भी विस्फोट की बात निकल कर सामने आती है तो आम आदमी के जुबान पर एक ही नाम आता है वह है माफिया मोती..? अब यह मोती है कौन यह तो अनूपपुर का खनिज विभाग या फिर डीजीएमएस के अधिकारी ही जानते होंगे, जिसका नाम शहडोल अनूपपुर दोनों जिलों में सबसे कम रेट पर गिट्टी पत्थर उपलब्ध कराने में सबसे पहले लिया जाता है, खैर यदि व्यापार व कम दाम के मामले में किसी का नाम लिया जाता है तो यह अच्छी बात है की व्यापारी सफल है, लेकिन जब सरई और उसके आसपास के तमाम क्षेत्रों में अवैध पत्थर खनन, भारी बोरवेल मशीन लगाकर ब्लास्टिंग एवं पत्थर खनन के मामले में मनमर्जी की बात आती है तब भी स्थानीय लोगों की जुबां पर एक ही नाम आता है कोई इन्हें पत्थर किंग मोती कहता है तो कोई इन्हें माफिया मोती का नाम देता है। लेकिन यह बात भी सही है कि सरई घाट के आसपास संचालित क्रेशरों में एक अरसे से नियम विरुद्ध पत्थर खनन की शिकायतें सामने आई हैं फिर चाहे शिकायत सीएम हेल्पलाइन में दर्ज कराई गई हो या समाचार के माध्यम से अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया हो..! लेकिन बताया जाता है कि मोती का मैनेजमेंट इतना तगड़ा है कि मामला चुटकियों में रफा-दफा हो जाता है जिसका फायदा जानू,सहित अन्य आसपास के खनन माफियाओं को मिलता है।
क्रेशर व पत्थर खदानों की हो जांच...
शहडोल-डिंडोरी मुख्य मार्ग में सरई घाट के आसपास संचालित क्रेशर में क्रेशर संचालकों को खनिज विभाग द्वारा नियमतः पत्थर खनन हेतु लीज आवंटित की गई है, लेकिन प्रतीत हो रहा है कि लीज आवंटन के बाद से आज दिनांक तक खनिज विभाग के अधिकारियों ने दोबारा कभी इन पत्थर खदानों में झांकने की जहमत नहीं उठाई है, ना ही यह पता किया है कि नियम व मापदंड पूरे किए जा रहे हैं अथवा नहीं, जिसका फायदा निश्चित रूप से स्थानीय खनन माफियाओं को मिल रहा है और कोई खनन माफिया फॉरेस्ट की जमीन में खनन कर रहा है तो कोई 24 घंटे में आधा दर्जन से अधिक हैवी ब्लास्टिंग कर पहाड़ों का सीना चीर रहा है। लेकिन जिम्मेदारो के कान में जूं भी नहीं रेंग रही है। और यदि कोई शिकायत सीएम हेल्प लाइन तक पहुँची भी तो उसे जोर जुगाड़ लगा कर निपटा लिया जाता है।
नियमो को भी दी गई तिलांजलि...?
पत्थर खदान संचालन के विधिवत नियम खनिज विभाग एवं डीजीएमएस द्वारा तय किये गए हैं। लेकिन कलयुग में भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि यह नियम सिर्फ कागजों में ही पुरे हो पाते हैं, तो रही संचालित खदानों में फेंसिंग तो दूर की बात है क्रेशर तक में दीवाल बाउंड्री वॉल का निर्माण नहीं कराया गया है। इतना ही नहीं खदान के नाम पर मौत की खाई को दी गई 6 मीटर का आंकड़ा तो धूल में दफन हो गया, सूचना तो एक औपचारिकता है बाकी सबको सिस्टम पता है। फिर भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्लीयरेन्स आसानी से मिल जाती है खैर जब बात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की आती है तो बताया जाता है कि खनन माफिया श्री गणेश को भोग लगा कर क्लीयरेन्स ले ही लेते हैं। इतना ही नहीं विस्फोटक सामग्री के परिवहन,व्यय रख रखाव के भी नियम है जिनका पालन सिर्फ कागजों में ही होता है, खैर नक्सली बेल्ट से लगे सरई में विस्फोटक परिवहन एक पूरा मामला ही अलग है जिसे हम अपनी अगली खबर में जल्द आप तक पहुचायेंगे।
किरर न बन जाये सरई...
हाल ही में अमरकंटक पहुंच मार्ग किरर घाट में भूत लखन होने से अफरा-तफरी का माहौल निर्मित हो गया था, तो घंटों तक दोनों ओर से आने जाने वाले राहगीर जाम में फंसे रहे हालांकि किसी प्रकार की जान माल का नुकसान नहीं हुआ, कई माह तक किरर घाट मुख्य मार्ग भी बंद रहा और प्रशासन की सफल पहल के बाद मार्ग पुनः प्रारंभ कराया गया, अब सरई घाट भी चारों ओर से सुंदर पर्वत श्रंखलाओं से घिरा हुआ है। फिर ऐसे में भारी विस्फोट या यूं कहें की पत्थर की लालच में नियम विरुद्ध पर्वतों का सीना चीरना यदि इसी प्रकार जारी रहा तो आने वाले कल में किधर के भांति ही श्रंखलन की स्थिति सरई में भी निर्मित हो सकती है। जिसके लिए जिम्मेदार माफिया मोती जैसे स्थानीय खनन माफिया ही होंगे।
किसी भी प्रकार के समाचार,शिकायत अथवा सुझाव हेतु संपर्क/ पत्राचार करें
संचालक: गजेंद्र सिंह परिहार
पता: कार्यालय कोबरा न्यूज, 1st फ्लोर बियाला कॉम्लेक्स,रीवा रोड, शहडोल
0 Comments