तो क्या भर्ती घोटाले की वजह से महामहिम राज्यपाल व शिक्षा मंत्री ने दीक्षांत समारोह से बनाई दूरी
बीस लाख खर्चे और अव्यवस्थाओं के बीच शंभू नाथ विश्वविद्यालय का द्वितीय दीक्षांत समारोह संपन्न
कोबरा विशेष टीम डेस्क
इंट्रो : भर्ती घोटाले मामले में सुर्खियों में बनी शंभूनाथ विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह रविवार को विश्वविद्यालय कैंपस में संपन्न हुआ मानो भर्ती घोटाले व प्रबंधन की अव्यवस्थाओं को लेकर महामहीम राज्यपाल व फिर उच्च शिक्षा मंत्री ने कार्यक्रम से दूरी बनाई। तो वंही 20 लाख रुपए के बजट के बावजूद भी कार्यक्रम अव्यवस्थाओं के बीच संपन्न हुआ,अव्यवस्था में मुख्य रूप से चहेतो को दिए गए भोजन के टेंडर में गुणवत्तविहीन भोजन परोसा जाना सहित परिजनों को लंच पैकेट की व्यवस्था न करना रहा।
शहडोल : व्यापम के बाद इस सदी का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार अथवा घोटाले की चर्चा इतिहास में जब कभी होगी तो उसमें शंभूनाथ विश्वविद्यालय सहायक प्राध्यापक भर्ती घोटाले का नाम सबसे ऊपर आएगा, यदि यही कारण रहा कि रविवार को शंभूनाथ विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित द्वितीय दीक्षांत समारोह में महामहिम राज्यपाल व उच्च शिक्षा मंत्री भी शामिल होने नहीं पहुंचे क्योंकि आयोजित प्रेस वार्ता में ही प्रबंधन अपने ही जवाबों में गिर गया जिसके बाद प्रतीत हो रहा है कि यह सूचना माननीय महामहिम और उच्च शिक्षा मंत्री तक पहुंच गई और इतने बड़े कार्यक्रम दीक्षांत समारोह से माननीयों ने बहाने से कन्नी काट ली, शंभू नाथ विश्वविद्यालय सीएम शिवराज सिंह की शहडोल संभाग को अनुपम भेंट है जिस पर चंद भ्रष्टाचारी अधिकारी बट्टा लगाने का कार्य कर रहे हैं। हालांकि यह अधिकारी स्वयं को पाक साफ बताने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे लेकिन शासकीय राशि का दुरुपयोग चहेतों को उपकृत करना के साथ साथ व्यापक व्यापम की तर्ज पर भर्ती घोटाले जैसे मामले को लेकर विश्वविद्यालय की छवि दांव पर लगाए हुए हैं। और कुछ पूछो तो हटा हटा या जवाब है जिस को आपत्ति हो कोर्ट चला जाए आर्य जवाब वाजिब भी है क्योंकि जब मंत्री से लेकर संत्री तक सब मैनेज हो कथित घोटाले में सबकी सहमति हो तो सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का की तर्ज पर काम तो होगा ही।
महामहिम और मंत्री ने क्यों बनाई दूरी
प्रदेश के प्रथम नागरिक महामहिम राज्यपाल का इस प्रकार से नवगठित विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में शामिल ना होना कई सवालों को जन्म दे रहा है तो वही उच्च शिक्षा मंत्री के रिश्तेदारों की अवैध नियुक्ति का मामला भी सुर्खियों में रहा है और मंत्री जी भी कार्यक्रम से नदारद हो गए। अगर यह मान लिया जाए कि महामहिम किसी कारणवश या किसी स्वास्थ्य अथवा व्यक्तिगत कारणों से कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके तो उच्च शिक्षा मंत्री का शामिल ना होने का कारण कहीं ना कहीं विश्वविद्यालय का विवादों का घोटालों से गिरा होना हो सकता है। चर्चाओं की माने तो भर्ती घोटाले के बाद दीक्षांत समारोह में शासकीय राशि के दुरुपयोग की सूचना जब महामहिम और मंत्री जी तक पहुंची तो उन्होंने विश्वविद्यालय के इस कार्यक्रम से दूरी बनाई जिसका खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ा और खानापूर्ति की तर्ज पर कार्यक्रम संपन्न हुआ लेकिन छात्र छात्राओं के उत्साहवर्धन हेतु राजधानी स्तर पर कोई भी माननीय शहडोल नहीं पहुंचे।
अव्यवस्थाओं के बीच संपन्न दीक्षांत समारोह
भर्ती घोटाले में सफाई देते देते प्रेस वार्ता के दौरान विश्वविद्यालय प्रबंधन ने दीक्षांत समारोह के नाम पर बीस लाख रुपए शासकीय राशि की होली की पोल अपने ही जुबान से खोल दी थी। चहेतो को उपकृत करने का मामला प्रकाश में आया था, अब नियमों को दरकिनार कर जब चहेतों को उपकृत करते हुए कार्यक्रम संपन्न हुआ तो कार्यक्रम में अव्यवस्थाओं का अंबार रहा, कभी दीक्षांत समारोह के ड्रेस के नाम पर ₹2000 प्रति छात्र- छात्रा वसूली का मामला चर्चा में रहा तो वही अन्य जनप्रतिनिधियों व स्थानीय अधिकारियों का भी कार्यक्रम से दूरी बनाना जिला व संभाग स्तर पर जमकर सुर्खियां बटोरता रहा, इन अव्यवस्थाओं के बीच कार्यक्रम संपन्न हुआ तो कुलसचिव महोदय सेल्फी सेल्फी खेलते ही नजर आए। तो वहीं मंच पर भी अव्यवस्थाओं का सिलसिला जारी रहा, राष्ट्रगान के बाद होने वाले जयकारे की भी पूर्वाभ्यास सही ढंग से नहीं रहा।
गुणवत्ता विहीन भोजन में हुआ बवाल
जैसा की प्रेस वार्ता में कुलसचिव आशीष तिवारी ने स्पष्ट किया था कि लंच पैकेट का पूरा टेंडर फोन लगाकर राजू अवस्थी नामक कैटरर को दिया गया है। जो कि अपने आप में प्रमाणित भ्रष्टाचार है जिसकी बानगी रविवार को कार्यक्रम के बाद देखने को मिली जब लंच पैकेट में बच्चों को बिना दाल के सूखे चावल खाने को परोसे गए, अब बच्चे तो प्रबंधन का विरोध करने में सक्षम थे नहीं लेकिन जब अतिथियों और पत्रकारों को भी यही लंच पैकेट दिए गए तो पत्रकारों और अतिथियों ने खुलकर इसका विरोध करते हुए लंच पैकेट स्टेज में वापस कर कुलपति व कुलसचिव को अपना विरोध दर्ज कराया, आपको हम बता दें कि भोजन की गुणवत्ता देख कई छात्र-छात्राओं ने भूख के बावजूद भी खाने और लंच पैकेट से मना कर दिया, और भूखे ही घर लौट गए कुछ ने नुक्कड़ में समोसा और नमकीन से भूंख मिटाई।
हद तो तब हो गई जब कई छात्र-छात्राओ ने यह बताया कि लंच पैकेट खत्म हो जाने की वजह से उन्हें लंच नहीं मिला लेकिन प्रबंधन ने उन्हें शिकायत न करने की धमकी दी है। भोजन के लिए लगभग सैकड़ा से अधिक छात्र और अधिक छात्राएं अलग-अलग कतार में नजर आई और घंटों इंतजार के बाद उन्हें परोसा भी गया तो सूखी सब्जी, चार कच्ची मोटी पुड़िया और साथ में सुखा चावल। हालाकि कुछ डब्बों में मीठे के नाम पर गुलाब जामुन भी दिखे।बदनाम हो रहा है शंभू नाथ विश्वविद्यालय
एक और जहां भर्ती घोटाले को लेकर विश्वविद्यालय के साख की प्रदेश स्तर पर किरकिरी हो रही है, साख दांव पर लगी हुई है तो वही भ्रष्टाचार को लेकर कुलसचिव भी शहडोल संभाग में जमकर चर्चाओं में बने हुए हैं। बिना टेंडर चबूतरा तो चहेतों को खाने ड्रेस और टेंट का ठेका देने के अलावा चर्चाएं हैं कि कुलसचिव हर विकास कार्य यहां तक कि बस बुकिंग से लेकर कैंटीन टेंडर साफ सफाई टेंडर में आधे- आधे की साझीदारी के साथ भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं, जिसमें उनके चंद चहेते कुछ टुकड़ों की लालच में पाप के भागीदार बन रहे हैं। भर्ती घोटाला जिसमें प्रदेश स्तर पर भाजपा सरकार की किरकिरी हो रही है उस पर प्रदेश के मुखिया का संज्ञान ना लेना आने वाले चुनाव में भाजपा के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। जो कि इस घोटाले की जांच ना होने से शिक्षित व युवा वर्ग काफी नाराज नजर आ रहा है। तो वही विश्वविद्यालय के मठाधीश अपने साथी प्रोफेसर की हाथ की कठपुतली बन चुके हैं जिसकी चर्चा भी कैंपस में है।
तो क्या विफल रहा डैमेज कंट्रोल का प्रयास
बीते दिनों आयोजित पत्रकारवार्ता में ही विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राम शंकर जी समाचारों का प्रारंभ सकारात्मक व दीक्षांत समारोह से करने का अनुरोध करते नजर आए । तो वही पत्रकार वार्ता में सवालों से बचते हुए हर चीज को नकारात्मक ना देखने की बात भी कुलपति व प्रबंधन द्वारा कही गई, ऐसा ही जवाब दीक्षांत समारोह के दिन नाराज पत्रकारों को फिर दिया गया कि नकारात्मकता ना देखें। जानकारों की मानें तो पत्रकार वार्ता का आयोजन दीक्षांत समारोह नहीं अपितु विश्वविद्यालय कि बनावटी अच्छी छवि राजधानी के गलियारों में गुलजार करना था लेकिन अफसोस प्रबंधन को इसमें सफलता नहीं मिल पाई और माननीय ने कार्यक्रम से कन्नी काटना ही वाजिब समझा।
कैसे साकार होंगे कुलपति के स्वपन...
कुलपति प्रोफेसर राम शंकर जी बार-बार यह कहते हैं कि वह शहडोल शंभूनाथ विश्वविद्यालय को एक अलग आयाम तक पहुंचाना चाहते हैं केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलवाना चाहते हैं, और वे मानव अभी से चाहते हैं कि 3 करोड़ के स्थान पर केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर 300 करोड़ का बजट विश्वविद्यालय को मिले, और प्रदेश स्तर पर विश्वविद्यालय की अलग पहचान हो आदिवासी सभ्यता का विकास हो लेकिन इसके विपरीत माननीय का कार्यकाल अब तक का सबसे काला कार्यकाल यदि कहा जाए तो यह गलत नही होगा। क्योंकि माननीय के कार्यकाल में इस प्रकार महामहिम राज्यपाल और मंत्री जी का कार्यक्रम से दूरी बनाना शंभू नाथ विश्वविद्यालय के विकास की राह पर रोड़ा साबित हो सकता है।





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