दो दर्जन से अधिक अवैध रेत खदाने संचालित, कोरम पूर्ति तक सीमित विभाग की कार्यवाही
कलेक्टर और खनिज विभाग द्वारा अवैध खदानों के संबंध में नहीं उठाये जा रहें ठोस कदम
तो क्या पटवारी हत्याकांड कि वजह है खनिज विभाग की निष्क्रयता...
शहडोल जिले के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध उत्खनन जोरों पर है और खनिज विभाग छुटपुट कार्यवाहियां कर सस्ती लोकप्रियता बटोरने अथवा कोरमपूर्ति तक सीमित है। गौरतलब है कि शहडोल खनिज विभाग का प्रभार देवेन्द्र पटले को मिलने के बाद से ही अवैध उत्खनन के मामलों में ही इजाफा हुआ है। जिसका प्रमाण ब्यौहारी के बाणसागर में हुई ऑन डयूटी पटवारी प्रसन्न सिंह की हत्या है तो वही अभी भी बदस्तूर अवैध खदाने और घाट संचालित है जिस पर विभाग की मेहरबानी और साठगाठ की चर्चाए आम है।
शहडोल। कुछ माह पूर्व शहडोल खनिज विभाग की कमान मध्यप्रदेष शासन द्वारा तत्कालीन अधिकारी प्रमोद शर्मा के स्थानांतरण के बाद देवेन्द्र पटले को सौपी गई थी देवेन्द्र के स्थानांतरण के बाद से कयास लगाई जा रही थी कि अवैध उत्खनन के मामले शहडोल में थमेगें, नवागत साहब कलेक्टर के निर्देषन पर अवैध उत्खनन पर लगाम कसेगें लेकिन इसके विपरीत प्रतीत हो रहा है कि विभाग की कार्यवाही महज कोरम पूर्ति तक ही सीमित है, जहां बडे पैमाने पर अवैध उत्खनन को माफियाओं द्वारा अंजाम दिया जा रहा है वहां विभाग की कार्यवाही का असर बडे पैमाने पर संचालित अवैध खदानों पर नहीं देखा जा रहा है और आलम यह है कि खनिज अधिकारी अपनी नाकामी को बल कि कमी का नाम देकर छुपाने की कोषिष कर रहें।
पटवारी की हुई थी हत्या
साहब घोडे बेचकर सोते रहे माफिया रात भर रेत ढोते रहे इसे इस प्रकार से भी कहा जा सकता है कि खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से विमूख होकर दफ्तरों की फाइल में अवैध उत्खनन ढूड़ते रहे तो वहां ब्यौहारी में बडे पैमाने पर अवैध उत्खनन संचालित रहा। जिसकी डयूटी थी अवैध उत्खनन रोकने की उसने जहमत उठाई नही ंतो यह जिम्मेदारी राजस्व अमले को दी गई। अब विभाग की तरह राजस्व अमले को नगर सेना के जवान सहित अन्य सुविधाएं तो मिलती नही ंतो राजस्व अमले में शमिल पटवारी प्रसन्न सिंह को अपनी जान गवानी पडी जिसके लिए कहीं न कही जिम्मेदार खनिज विभाग और विभाग के अधिकारी है। क्योंकि यदि इन्हेांने समय रहते ठोस कदम उठाये होते तो यह नौबत ही नहीं आती कम शब्दों में यह कहा जा सकता है कि पटवारी हत्याकांड में अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार अपनी डयूटी भूल चुके खनिज विभाग के अधिकारी भी रहें।
विभाग द्वारा नहीं उठाये गये ठोस कदम
तत्कालीन खनिज अधिकारी सुश्री फरहत जहां व अन्य खनिज अधिकारियों द्वारा अवैध खदान संचालन की स्थिति में ठोस कदम उठाते हुये अवैध खदानों के पहुच मार्ग को जेसीबी से गढ्ढे कराकर अवरूद्ध कराया जाता था। जिसके गवाह खनिज निरीक्षक प्रभात कुमार पट्टा, सर्वेयर खनिज विभाग समयलाल गुप्ता व अन्य खनिज विभाग का स्टॉफ है। लेकिन इसके विपरीत वर्तमान में लगातार अवैध उत्खनन एवं अवैध खदान संचालन की सूचनाए षिकायत मिलने के बाद भी नवागत अधिकारी श्री पटले ने अवैध खदानांे पर प्रतिबंध लगाने ठोस कदम नहीं उठाये यहां तक कि पटवारी हत्याकांड के बाद भी साहब के कान में जूॅ नहीं रंेगी, मानों साहब को किसी बडी वारदात अथवा घटना दुर्घटना का इंतजार है। खैर साहब मेरी मर्जी की तर्ज पर कागजों में उत्खनन रोक रहे है।
जिले में चरम पर अवैध उत्खनन
साहब के नाक के नीचे में जिला मुख्यालय में दर्जनों अवैध रेत खदाने संचालित है लेकिन साहब का रटारटाया जवाब है कि कार्यवाही जारी है। बुढार में भी बटली मरजात सहित अन्य लगभग आधा दर्जन अवैध खदानों का संचालन हो रहा है इसी प्रकार गोहपारू जयसिहंनगर में भी लगभग आधा दर्जन अवैध खदानें संचालित है तो ब्यौहारी तो अवैध उत्खनन का गढ़ बन गया है। जहां दर्जनों की तदात में अवैध घाट/खदानें संचालित हो रही है। लेकिन साहब की कार्यवाही सिर्फ सड़क पर दौडती चंद-चुनिंदा गाडियों तक सीमित है। कोयले के अवैध उत्खनन पर भी साहब चुप है कार्यवाही पुलिस विभाग कर रही रेत पर भी कार्यवाही पुलिस विभाग कर रही अवैध बोल्डर खनन पर भी कार्यवाही पुलिस विभाग कर रही। तब सवाल यह उठता है कि साहब क्या कर रहें।
इनका कहना है
विभाग द्वारा लगातार अवैध उत्खनन के संबंध में कार्यवाही की जा रही है, हमारे पास मात्र एक ही खनिज निरीक्षक है। अवैध खदानों का संचालन बंद कराने का कार्य हम आपके कहने पर नहीं करेगें।
देवेन्द्र पटले
खनिज अधिकारी, शहडोल
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