करोड़ों के विकास कार्य में भ्रष्टाचार,खतरे में सैकड़ो जान, कभी भी हो सकता है भीषण हादसा जा सकते हैं कई प्राण
गजेन्द्र परिहार
प्रदेश सरकार और शासन आमजन के हित में करोड़ों रुपए खर्च करता है लेकिन विभाग के जिम्मेदारो को उन करोड़ों रुपयों से भ्रष्टाचार और मिलीभगत की होली खेलने में कोई गराज नहीं है मामला संभागीय मुख्यालय से लगे ग्राम श्याम डीह में सोन नदी पर बने करोड़ की लागत से ब्रिज का है, जहां विकास कार्य तो जैसे तैसे पूरा हुआ लेकिन विभाग और ठेकेदार ने मिलकर भ्रष्टाचार की ऐसी पटकथा लिखी की करोड़ों खर्च करने के बाद अब सैकड़ो जान दांव पर लगी हुई हैं और विभाग मामले से मुंह चुराता प्रतीत हो रहा है। जी हां सोन नदी श्याम डीह ब्रिज पहुंचने के लिए ग्रामीणों को मौत की खाई नुमा सड़क पार करनी पड़ती है जिसकी गहराई लगभग 60 फीट से ज्यादा है। हालाकि इस मामले में ग्रामीणों के विरोध और हमारी टीम की सूचना के बाद आयुक्त शहडोल द्वारा एक्शन मोड में आकर प्राथमिक दृष्टि से सेतु निर्माण के एसडीओ डी एस मरकाम को भेजकर आवागमन बंद कराया गया है लेकिन ग्रामीणों में आक्रोश अभी भी जारी है ग्रामीणों के अनुसार सरकार उनकी उपेक्षा कर रही 8 वर्षो बाद ब्रिज का निर्माण पूरा हुआ भी तो ऐसे की हमारे उपयोग में नहीं और उपयोग में हो तो जिंदगी खतरे में..
शहडोल। आम जनता द्वारा चुकाए गए कर (टैक्स) को प्रदेश सरकार द्वारा आम जनता के हित में खर्च किया जाता है लेकिन बीच में कुछ बिचौलिए अधिकारी अपनी जेब भरने के लालच में न सिर्फ भ्रष्टाचार की पटकथा लिखते हैं अपितु इस बीच में कई जिन्दगी को दाव पर लगा देते हैं जिनका उन्हें कोई मलाल भी नहीं होता, जब कोई करोड़ की लागत से निर्माण कार्य प्रारंभ होता है तो निर्माण एजेंसी को समय-समय पर इसकी मॉनिटरिंग करनी होती है या कहा यह भी जा सकता है कि कर भले ही ठेकेदार द्वारा किया जाए लेकिन निर्माण एजेंसी विभाग होती है विभाग को अपनी निगरानी में कार्य पूर्ण करना होता है लेकिन विभाग ठेकेदार से मिलकर सिर्फ अपनी जेब भरने तक में व्यस्त रह जाता है जिसका जीता जागता उदाहरण है संभागीय मुख्यालय के श्याम डीह गांव में सोन नदी पर करोड़ो की लागत से बना ब्रिज ।
जाने क्या है पूरा मामला
लोक निर्माण विभाग के सेतु निर्माण शाखा शहडोल द्वारा संभागीय मुख्यालय के समीप आदिवासी अंचल श्यामडीह में आमजन की समस्याओं को मद्देनजर रखते हुए करोड़ों की लागत से सोन नदी पर सेतु निर्माण का कार्य कराया गया लेट लतीफ ही सही सेतु निर्माण का कार्य पूर्ण हुआ हालांकि जनता को विभाग की लापरवाही और ठेकेदार की मनमानी की वजह से काफी लंबा इंतजार भी करना पड़ा लेकिन काफी लंबे इंतजार के बाद अब जब यह ब्रिज का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ है तो ग्रामीण और मजदूरों को ब्रिज का लाभ उठाने के लिए अपने जान की जोखिम में डालकर ब्रिज तक पहुंचाना पड़ रहा है श्यामडीह की ओर से जैसे ही ब्रिज क्रॉस किया जाता है तो शुरू होती है मौत की खाई,कम शब्दों में कहा जाए तो ग्राम को ब्रिज से जोड़ने के लिए विभाग और ठेकेदार द्वारा मिट्टी के लगभग 60 से 75 फीट ऊंचे टीले को काटकर रास्ता बनाया गया है,जिससे आये दिन किसी न किसी कोने से मिट्टी धसकती है हालांकि अब तक कोई भी बड़ा हादसा नहीं हुआ लेकिन ईश्वर न करे यदि यह टीला दशक गया और ग्रामीण इसके नीचे दब गए तो ग्रामीणों के शव निकालने में लगभग 72 घंटे का समय प्रशासन को लगेगा। जिसकी फिक्र ना विभाग को थी ना ठेकेदार को।
चुनाव बहिष्कार के दी चेतावनी
मंगलवार की दोपहर स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन द्वारा ब्रिज निर्माण के नाम पर बनाई गई मौत नुमा खाई के समीप अंशकालिक धरना प्रदर्शन करते हुए मौत की खाई से निजात दिलाने की मांग प्रशासन से रखी,साथ ही रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे भी लगाए। इस दौरान ग्रामीणों द्वारा मांग रखी गई कि ठेकेदार और सेतु निर्माण विभाग के अधिकारियों पर ठोस कार्यवाही प्रशासन द्वारा की जाए एवं तत्काल प्रभाव से सड़क में सुधार कार्य प्रारंभ करते हुए टीले की ऊंचाई कम कराई जाए ताकि आवागमन बाधित न हो ना ही किसी प्रकार के जान माल की हानि की आशंका हो। तथा मांगों पर तत्काल प्रभाव से कार्यवाही न करने पर ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी भी दी इस दौरान ठेकेदार और सेतु निर्माण विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे थे लेकिन ग्रामीणों को देखकर वह वे सवालों से बचते हुए नजर आए।
दाव पर सैकड़ो जान
ब्रिज का निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद ग्रामीणों और मजदूरों ने खाईनुमा पहुंच मार्ग का उपयोग करना प्रारंभ कर दिया हालांकि जब तक मजदूर खाई नुमा मार्ग से गुजरते हैं तो उनकी नजर ऊपर की ओर ही रहती है की कहीं ऊपर से मिट्टी की दीवाल उन पर गिर ना पड़े फिर भी जैसे-तैसे अपने जान को दाव पर लगाकर दिहाड़ी की लालच में कम समय में गंतव्य तक पहुंचने के लिए मजदूर और ग्रामीण मार्ग का इस्तेमाल करते हैं, हालांकि किसी बुद्धजीवी ने समय रहते एक बड़े संभावित हादसे को भापते हुए मौत की खाई नुमा रास्ते की शुरुआत के पूर्व ही टंच लाइन ( नाली) जेसीबी से खुदवा दी ताकि कोई बड़े वाहन उक्त मार्ग से ना निकले क्योंकि यदि बड़े वाहन उक्त मार्ग से निकलते हैं तो उसके वजन अथवा वाइब्रेशन से मिट्टी धसक सकती है।
क्या है विभाग की भूमिका
शहडोल का सेतु निर्माण विभाग में पदस्थ एसडीओ मरकाम एक लंबे अरसे से सुर्खियों में बने रहे हैं विभाग की अनियमिता जग जाहिर रही हैं लेकिन इस बार तो विभाग की जिम्मेदारों ने सारी हदें ही पार कर दी जिस मौत नुमा रास्ते से ग्रामीण गुजर रहे हैं जहां खड़े होने से आम आदमी की सांस मौत की खाई की डर से अटक रही हैं ऐसा निर्माण कार्य करने के बाद विभाग की जिम्मेदारों ने ना सिर्फ निर्माण कार्य पूर्ण कह आवगमन को हरी झंडी दिखा दी अपितु पलट कर सुरक्षा का माकूल उपाय सुनिश्चित करने का प्रयास भी नहीं किया, सूत्र बताते हैं कि भ्रष्टाचार की पटकथा लिखते हुए ब्रिज की ऊंचाई कम बनाई गई और अप्रोच बनाने के लिए ठेकेदार शिवकुमार पटेल के साथ मिलकर आनन फानन में काम पूरा कर कर अपने हिस्से का कमीशन लेकर मामला रफा दफा कर दिया तो वंही विस्तृत जांच में विभाग के अन्य करनामें में भी सामने आ सकते हैं।
जिम्मेदारों पर हो निलम्बन की कार्यवाही
विभाग और ठेकेदार द्वारा जिस प्रकार से मिली भगत कर मौत की खाई खोदी गई है वह निश्चित तौर पर बड़ी लापरवाही है इस मामले को संज्ञान में लेकर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही कलेक्टर शहडोल अथवा कमिश्नर शहडोल को करनी चाहिए क्योंकि यदि इस मौत के खाईनुमा रास्ते से कोई दुर्घटना होती है तो कई ग्रामीणों की जान जा सकती है जिससे प्रदेश भर में शोक लहर और सन्नाटा पसर जाएगा खैर सौ बात की एक बात इस प्रकार के जानलेवा सड़क मार्ग के लिए जिम्मेदार अधिकारी पर निलंबन की कार्यवाही के साथ साथ उक्त पूरे निर्माण कार्य की विस्तृत जांच होनी चाहिए। साथ ही तत्काल प्रभाव से उक्त मार्ग को बंद कर इस खाई को पाटने अथवा मिट्टी को हटवाने की माकूल व्यवस्था भी जिले अथवा संभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को करना चाहिए ताकि कोई बड़ी दुर्घटना ना घटे।
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