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गोहपारु में उफान में रज्जन और विपिन की अवैध प्लाटिंग... डीएम की जांच और कार्यवाही का भी नहीं भय

 

गोहपारु में उफान में रज्जन और विपिन की अवैध प्लाटिंग... डीएम की जांच और कार्यवाही का भी नहीं भय 


गोहपारु बना अवैध प्लाटिंग का हब, तीन से चार बड़ी अवैध प्लाटिंग को अंजाम दे चुके कथित भू माफिया ...


इंट्रो : इधर मध्य प्रदेश सरकार माफिया मुक्त अभियान चलाती रही दूसरी ओर जिला मुख्यालय से महेश 20 किलोमीटर दूर गोपारु में दो माफियाओं का जन्म हुआ देखते ही देखते इन माफियाओं ने करोड़ों की अकोट संपत्ति अर्जित कर ली और गोपालु तहसील क्षेत्र अंतर्गत जमकर अवैध प्लाटिंग को अंजाम दिया, बताया जाता है कि राजन और विपिन नामक भूमाफियाओं ने शहडोल में अलग-अलग स्थान पर कभी दरगाह के समीप तो कभी शुक्ला ढाबा के पास बड़े पैमाने पर अवैध प्लाटिंग कर राजस्व को नुकसान पहुंचाया है, गौरतलाप है कि अवैध प्लाटिंग मामले में कानूनी तौर पर अपराध पंजीबद्ध करने एवं 3 साल की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।


गजेंद्र सिंह परिहार 

शहडोल : शहडोल जिले से महज 20 किलोमीटर दूर गोहपारू तहसील क्षेत्र अंतर्गत बड़े पैमाने पर माफिया द्वारा अवैध प्लाटिंग को अंजाम दिया गया है बताया जाता है कि रज्जन और विपिन नामक भूमाफियाओं ने कम ही समय में अवैध प्लाटिंग से करोडो रुपये कमाए हैं साथ ही भोली भाली जनता को बड़े-बड़े सपने दिखाकर लूटने पर भी किसी प्रकार की कसर नहीं छोड़ी है इसके अलावा शासन प्रशासन को करोड़ों के राजस्व का चूना भी कथित भूमिया जोड़ी द्वारा लगाया गया है आलम यह है कि वर्तमान में गोहपारु के जिस किसान के पास भी हाईवे से लगी जमीन है उसे पर कथित माफियाबंधुओं की नजर गड़ी हुई है जबकि दो से तीन बड़ी अवैध प्लाटिंग को यह अंजाम दे चुके हैं जिन पर इनमें कार्यवाही होनी चाहिए थी लेकिन कार्यवाही न होने से इनके हौसले बुलंद हैं।


राजस्व विभाग की मिली भगत


बताया जाता है कि कथित भू माफिया जोड़ी की तूती गोहपारु तहसील क्षेत्र में बोलती है ऐसा कोई पटवारी ऐसा कोई आर आई नहीं नहीं है जो इनके बात के बाहर हो,आलम यह है कि जमीन बेचने के दौरान ग्राहकों को बोले गए झूठ में आर आई और पटवारी भी इनकी हां में हां मिलते हैं इतना ही नहीं जमीन खुर्द बुर्द,नियम विरुद्ध टॉमी सहित राजस्व दस्तावेजों में छेड़छाड़ डायवर्सन जैसे कामों को या यूं कहें की चुटकियों में फोन लगाकर कर लेते हैं सूत्रों की माने तो उनकी हर अवैध प्लाटिंग में स्थानीय पटवारी और आर आई की अहम भूमिका होती है प्रति प्लाट के दर से तो कभी कुल अवैध प्लाटिंग के रकबे के आधार पर रिश्वत की रकम का वितरण राजस्व के महकमें को किया जाता है।


कलेक्टर का भी नहीं भय


संवेदनशील कलेक्टर तरुण भटनागर ने जब से शहडोल की कमान संभाली है जनता से उनका सीधा सामंजस्य रहा है आम जन के हितार्थ वे लगातार तत्पर हैं इसी तारतम में उनके द्वारा हाल ही में अवैध प्लाटिंग मामले में 14 भू स्वामियों को जवाब तलब किया गया है, शेष पर कार्यवाही जल्द होना बताया जा रहा है ऐसे में भी कथित भूमिया जोड़ी द्वारा जिन प्लाटिंग पर स्टे अथवा जो प्लाटिंग पूर्ण हो चुकी है उसके इर्द-गिर्द एवं नई साइड तैयार कर अवैध प्लाटिंग की योजना तैयार की जा रही है इसका सीधा अर्थ यह निकाला जा सकता है कि कथरी ओढ़कर घी खाने वाले इन भू माफिया को कलेक्टर साहब का भी भय नहीं है।


कब होगी दोषियों पर कार्यवाही


बताया जाता है कि कम ही समय में कथित भू माफिया जोड़ी ने राजस्व कायदों को तोड़ना मरोड़ना बखूबी सीख लिया है एग्रीमेंट और पावर ऑफ अटॉर्नी के नाम पर भू स्वामी को आगे कर प्लाटिंग का खेल खेलने का हुनर भी इन्हें आ चुका है लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि जब अवैध प्लाटिंग की जा रही थी तो उसे क्षेत्र का आर आई राजस्व निरीक्षक और पटवारी क्या कर रहे थे उन्होंने समय रहते इसकी जानकारी प्रशासन तक नहीं दी ऐसे अधिकारियों को भी चिन्हित किया जाना चाहिए तो वहीं कुछ स्थानों पर प्लाटिंग पूर्ण होने के बाद सूचना देने की खानापूर्ति की गई, ऐसे अधिकारियों पर नियमानुसार कार्यवाही एवं कथित भूमाफियाओं द्वारा लगभग 50 करोड़ से अधिक राजस्व का नुकसान पहुंचाने को लेकर उनकी संपत्ति कुर्की आय से अधिक संपत्ति की जांच एवं नियमानुसार अपराध पंजीबद्ध करने की कार्यवाही की दरकार संवेदनशील कलेक्टर से की जा रही है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस प्रकार की अवैध प्लाटिंग पूरा खेल शहडोल जिले कीनमीडिया की नजरों से अब तक छुपा रहा।नियमानुसार मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 61 (घ) (2) के तहत अवैध कालोनी निर्माण प्रमाणित पाए जाने तथा इसे एक दंडनीय अपराध की श्रेणी में पाते हुए न्यायलय कलेक्टर द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के माध्यम से थाने में दोषी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए अधिकृत किया गया है। दोषी द्वारा अवैध कॉलोनी निर्माण किया जाना प्रमाणित होने से आगामी कार्यवाही धारा 61 ( च) की उपधारा 3 के अनुसार की जानी है। 



यह कहते हैं प्लाटिंग के कायदे 


नियम के मुताबिक ले आउट बनाकर प्लाटिंग कराने से उसके लिए बंदिशें बढ़ जाती हैं। नक्शा पास कराने पर पार्क के लिए जगह छोड़ना अनिवार्य हो जाता है। सड़कों की चौड़ाई भी प्रावधान के अनुसार रखनी पड़ती है। नाली, बिजली और पानी की व्यवस्था करके देनी होती है। यही नहीं सरकार को डेवलपमेंट चार्ज भी देना पड़ता है। इतना सब करने से प्लाटिंग कॉस्ट बढ़ जाती है। जिससे मुनाफे पर असर पड़ता है। इसी वजह से बगैर ले आउट दाखिल किए सारे कार्य किए जा रहे हैं। इसके अलावा आवेदक को राजस्व विभाग में धारा 80 के अंतर्गत जिस जमीन पर प्लाटिंग करनी है उसे गैर कृषिक की घोषणा के लिए आवेदन करना होता है। इसके बाद संबंधित उपजिलाधिकारी न्यायालय में ’राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली’ की अनुमति मिलती है।


किसान और खरीददार सावधान


प्लाटिंग के अधिकतर मामले में जमीन का व्यपवर्तन ही नहीं हुआ रहता, तब तक अवैध प्लाटिंग करने वाले अपना काम पूरा कर निकल जाते हैं। इसके बाद क्रेता अपने आपको ठगा सा महसूस करते हैं। बाद में उन्हें सड़क,नाली,बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ता है। कई प्लाटिंग करने वाले लोग बड़े ही चालाक होते हैं। जब वे किसानों से उनकी जमीन खरीदते हैं तो उन्हें थोड़े पैसे देकर सिर्फ एग्रीमेंट कराते हैं और सीधे ग्राहक के नाम पर टुकड़े में किसानों से ही रजिस्ट्री कराते हैं। इसमें भविष्य में कार्रवाई होने पर अवैध प्लाटिंग करने वाले लोग बच जाते हैं । सिर्फ टुकड़ों में रजिस्ट्री करने वाले किसान फंस सकते हैं।


इनका कहना है 

(प्रशाशनिक प्रतिक्रिया) 


(गोहपारु में अवैध प्लाटिंग के संबंध में जानकारी देने के लिए शहडोल कलेक्टर तरुण भटनागर को उनके दूरभाष में संपर्क किया गया किंतु किसी कारण वश संपर्क नहीं हो पाया)

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